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छत्तीसगढ़ के स्पेशल डीजी आरके विज से जानिए ऑनलाइन ठगी के पीड़ितों को कैसे वापस मिल सकते हैं रुपए? - स्पेशल डीजी आरके विज

ETV भारत समय-समय पर आपको जागरूक करता है, जिससे आप किसी भी परिस्थिति में साइबर क्राइम के शिकार न बने. साइबर क्राइम की रोकथाम (cyber crime prevention) के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस (Chhattisgarh Police) भी समय-समय पर अभियान चलाती है. पुलिस लगातार लोगों को जागरूक कर रही है. साइबर क्राइम से बचने के लिए लोगों को किस तरह से सचेत रहना चाहिए, इन तमाम विषयों पर स्पेशल डीजी आरके विज (Special DG RK Vij) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है. आरके विज ने बताया है कि किस तरह से ऑनलाइन ठगी के पीड़ित अपने पैसे वापस पा सकते हैं.

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स्पेशल डीजी आरके विज
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Published : Jun 3, 2021, 9:48 PM IST

Updated : Jun 4, 2021, 3:52 PM IST

रायपुर: प्रदेश में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है. समय के साथ-साथ साइबर क्राइम पर स्वरूप भी बदलता जा रहा है. साइबर क्राइम के जरिए साइबर अपराधी दूर बैठकर आपके खातों से पैसे निकाल रहे हैं. जैसे-जैसे हम डिजिटल युग की ओर आगे बढ़ रहे हैं, साइबर क्राइम का रूप भी बदलता जा रहा है. ऑनलाइन ठगी के कई मामले रोज दर्ज किए जा रहे हैं. एटीएम क्लोनिंग और अन्य कई माध्यमों से लोगों के जीवन भर की कमाई को पल में गायब कर दिया जा रहा है.

स्पेशल डीजी आरके विज से साइबर क्राइम से खास बातचीत

ETV भारत समय-समय पर आपको जागरूक करता है, जिससे किसी भी परिस्थिति में पाठक साइबर क्राइम के शिकार न बनें. साइबर क्राइम की रोकथाम (cyber crime prevention) के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस (Chhattisgarh Police) भी समय-समय पर अभियान चलाती है. पुलिस लगातार लोगों को जागरूक कर रही है. साइबर क्राइम से बचने के लिए लोगों को किस तरह से सचेत रहना चाहिए. इन तमाम विषयों पर स्पेशल डीजी आरके विज ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.

जागते रहो क्योंकि लॉकडाउन के दौरान एक्टिव हैं साइबर ठग

सवाल: वर्तमान में किस तरह के साइबर क्राइम हो रहे हैं ?

जवाब: पिछले एक डेढ़ सालों की बात की जाए तो लॉकडाउन के दौरान यह देखा गया कि लोग ज्यादातर इंटरनेट यूज कर रहे हैं. सोशल मीडिया का इस्तेमाल बढ़ा है. (use of social media) कुछ नए प्रकार के क्राइम देखने को मिले हैं. विज ने कहा कि लास्ट इयर ऑनलाइन शराब बेचने के दौरान ठगी की गई. गूगल पर कस्टमर केयर नंबर सर्च कर उसका इस्तेमाल किया गया. उससे भी उनके साथ ठगी की गई. डेबिट क्रेडिट कार्ड बंद होने के नाम पर ठगी की गई. कई बार अनजान लिंक क्लिक करने पर खातों से पैसे गायब हो गए. इंटरनेट के माध्यम से फाइनेंसियल फ्रॉड के मामले बढ़े हैं. इसके अलावा पर्सनल ट्रांजेक्शन अश्लील सामग्री खरीदी बिक्री को लेकर फ्रॉड किया गया.

सवाल : कई बार देखा गया है कि ऑनलाइन ठगी का शिकार होने के बाद लोग आसपास के थानों में शिकायत दर्ज करने पहुंचते हैं. लेकिन वहां उनकी शिकायत दर्ज नहीं की जाती है. उन्हें साइबर थाना या फिर अन्य जगह जाने की सलाह दी जाती है. जिस वजह से लोग परेशान भी होते हैं. इस पर क्या करेंगे ?

जवाब: सरकार के द्वारा एक पोर्टल लॉन्च किया गया है. cybercrime.gov.in और एक नंबर 155260 भी रिलीज किया गया है. (cyber crime help line number) इसमें किसी भी व्यक्ति को कहीं भी भटकने की जरूरत नहीं है. कोई भी व्यक्ति जिसके साथ फाइनेंशियल फ्रॉड हुआ है इस नंबर को डायल कर सकता है या इस पोर्टल पर जा सकता है. जैसे ही पोर्टल पर घटना की डिटेल डालेंगे उसके बाद तत्काल मनी ट्रांसफर करने से रोक देगा. जिससे आर्थिक नुकसान होने से बच जाएगा है. अगर आप पोर्टल को यूज नहीं कर पा रहे है तो नंबर 155260 पर फोन करेंगे. उस पर 24 घंटे हमारे लोग मौजूद रहते हैं. ऑनलाइन इंफॉर्मेशन फिड करने के तत्काल बाद ट्रांजेक्शन रुक सकता है. क्योंकि इसमें पुलिस के साथ कई बैंक भी जुड़े हुए हैं. जो तत्काल फ्रॉड होने की स्थिति में या गलत ट्रांजेक्शन की स्थिति में उस रकम को निकलने से रोक देते हैं. यही वजह है कि आपके साथ कभी भी ऑनलाइन फ्रॉड होता है, तो इस नंबर पर तत्काल कॉल करें.

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सवाल: नई वेबसाइट और नंबर जारी करने के बाद कई लोग ठगी का शिकार हुए. क्या उनके पैसे वापस मिल गए ?

जवाब: यह सुविधा कुछ दिन पहले ही शुरू की गई है. इसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं. अबतक ऑनलाइन ठगी के मामलों में चंद दिनों में ही लगभग चार लाख रुपये से ज्यादा लोगों के पैसे वापस दिलाए गए हैं. विज ने कहा कि ऑनलाइन ठगी और साइबर क्राइम होने के बाद लोग जितना ज्यादा एक्टिव रहेंगे उनके पैसे उतने जल्दी वापस मिलेंगे.

सवाल: ऑनलाइन फ्रॉड होने पर यदि थानों में शिकायत दर्ज की जाए या फिर थानों के माध्यम से इन नंबर और वेबसाइट में कंप्लेंट की जाए तो लोगों को और भी मदद मिल सकती है इस पर आपका क्या कहना है ?

जवाब: हमारे द्वारा सभी एसपी को निर्देश दिया गया है कि जो भी व्यक्ति साइबर क्राइम से संबंधित शिकायत करने थाने पहुंचता है तो वहां मौजूद पुलिस कर्मी उसकी मदद कर सकता है. ऐसी परिस्थिति में कोई भी पुलिस स्टेशन साइबर क्राइम से संबंधित मामले में मदद करेगा. हालांकि हो सकता है कि थाने जाते जाते हैं. काफी समय बीत जाए इस स्थिति में उसके पैसे भी खाते से निकल सकते हैं, लेकिन ऑनलाइन फ्रॉड होने के तत्काल बाद यदि कोई व्यक्ति दिए गए नंबर या वेबसाइट पर संपर्क कर संबंधित जानकारी अपलोड करता है तो उस राशि को तत्काल ब्लॉक कर निकलाने से रोका जा सकता है. इसलिए पुलिस लोगों से अपील करती है कि कभी ऐसी स्थिति आए तो थाने के चक्कर काटने से अच्छा है, तत्काल दिए गए नंबरों या वेबसाइट पर संपर्क करें.

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सवाल : प्रदेश में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है, इससे निपटने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर से क्या तैयारी की गई है? साथ ही अपराधियों को पकड़ने के लिए आपके द्वारा किस तरह की कार्रवाई की जाती है?

जवाब: राज्य सरकार के द्वारा पिछले साल साइबर पुलिस स्टेशन शुरू किया गया है. जिसकी मॉनिटर पुलिस मुख्यालय से की जाती है. साइबर सेल में किस प्रकार के केस होंगे इसको लेकर कुछ गाइडलाइन जारी की गई है. 10 लाख से ऊपर वाले मामलों को सीधा रजिस्टर्ड भी किया गया है. ऐसे 2 मामले प्रकाश में आ चुके हैं. एक केस में आरबीआई से शिकायत आने के बाद आरोपी को बिहार से गिरफ्तारी की गई. इसके लिए काफी बड़ी टीम लगाई गई थी. इस मामले में दूसरे स्टेट भी पूरा सहयोग दे रहे हैं.

सवाल : सिटीजन फाइनेंशियल रिर्पोटिंग सिस्टम किस तरह काम करता है.

जवाब: इस साइट पर सिटिजन सीधे संपर्क कर सकते हैं. कभी भी फ्रॉड होने की स्थिति में घर बैठे वह इस पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. उन्हें कहीं भी भटकने की कोई जरूरत नहीं है.

सवाल : ऑनलाइन ठगी के लिए अपराधी लगातार अपडेट हो रहे हैं. नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं. ऐसे फ्रॉड को रोकने के लिए क्या छत्तीसगढ़ साइबर सेल भी अपडेट हो रहा है. इसके अलावा साइबर क्राइम से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस के पास मैन पावर सहित क्या पर्याप्त मात्रा में संसाधन मौजूद हैं.

जवाब: यह जरूर है कि हमारे पास इससे संबंधित अधिकारी कुछ कम है. इसमें टेक्निकल क्वॉलिफाइड लोग होते हैं. जो कंप्यूटर और साइबर संबंधित प्रशिक्षित होते हैं. जो इस तरह के अपराध घटित होने में मदद करते हैं. इसमें भी दो तरह के पुलिस अधिकारी मौजूद हैं. एक तो वेल क्वॉलिफाइड हैं और दूसरे वे पुलिस कर्मी है जिन्हें कंप्यूटर का ज्ञान है या फिर उनका इंटरेस्ट इस ओर ज्यादा है. इसके अलावा आउटसोर्सिंग की भी अनुमति है, लेकिन अभी आउटसोर्सिंग नहीं की गई है.

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सवाल : साइबर क्राइम से जुड़े अधिकतर गैंग दूसरे स्टेट में संचालित होते हैं. ऐसी परिस्थिति में उन स्टेट में जाकर अपराधियों को पकड़ना कितना चुनौती भरा काम होता है.

जवाब: पहले जामताड़ा बिहार-झारखंड के बहुत सारे केस आए थे. साइबर क्राइम से संबंधित जो भी शिकायत मिलती है, उसके बाद उस से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस अन्य राज्यों में भी जाती है. जहां उस स्टेट की पुलिस के द्वारा मदद की जाती है. उनके सहयोग से हम अपराधियों को पकड़ने में कामयाब होते हैं.

सवाल : पोर्न साइट बड़ी समस्या बनकर उभरी है खासकर बच्चों के लिए, इससे निपटने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस की क्या तैयारी है. (Blackmail by making porn videos)

जवाब: इसमें एक बड़ा बदलाव आया है. अमेरिका की एक एजेंसी ने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से अनुबंध किया था. उस एग्रीमेंट के तहत जो चाइल्ड पोर्नोग्राफी के सामग्री है उसको जो अपलोड करता है उसकी डिटेल हमारे पास आती है. उस रिपोर्ट आने के बाद और वह इंफॉर्मेशन इतनी अच्छी रहती है उसमें काम करने पर ज्यादा परेशानी नहीं होती है. जो सर्विस प्रोवाइडर हैं उनकी डिटेल निकाल लेते हैं. जो भी व्यक्ति छत्तीसगढ़ से अपलोड करेगा या ट्रांसफर करेगा तो उसकी जानकारी आ जाएगी. साइबर टीम पोर्नोग्राफी को रोकने के लिए एक अच्छा काम कर रहा है. विज ने कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी एक ऐसा अपराध है, जो पूरे विश्व में बैन है. अरे ऐसी स्थिति में यदि कोई इस तरह का अपराध करता है तो उसे छत्तीसगढ़ पुलिस नहीं छोड़ेगी. (porn site big problem)

सवाल : यूट्यूब फेसबुक जैसी कुछ ऐसी साइट है जिसको लोग जानते हैं. उस पर कोई भी वीडियो पोर्न लोड होता है. तो तत्काल कार्रवाई होती है. लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसी साइट हैं जिसके बारे में शायद जानकारी सभी लोगों तक या फिर पुलिस तक नहीं पहुंच सकती. उस साइट को लेकर किस तरह से छत्तीसगढ़ पुलिस काम करती है.

जवाब: यदि किसी भी साइट पर इस तरह का वीडियो अपलोड किया गया है. यदि उसकी शिकायत आती है तो तत्काल ऐसे लोगो के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. विज ने बताया कि साइबर क्राइम से जुड़े 80% मामले ऐसे होते हैं जो अश्लील सामग्री के हैं. फिर चाहे वह व्हाट्सएप , इंस्टाग्राम या फेसबुक ही क्यों ना हो. इसमें जो भी अश्लील सामग्री का आदान-प्रदान होता है इसमें चाइल्ड के मामले तो कम है लेकिन एडल्ट के मामले ज्यादा हैं. उसमें एक दूसरे दोस्त को ब्लैकमेल करने के मामले भी सामने आ चुके हैं.

हाईनीज हैकर्स से रहें सावधान, लिंक के अंत में .cn या .pk है तो हो जाएं सतर्क

सवाल : वीडियो कॉलिंग कर अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने के मामले बढ़े हैं, इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाया जा रहा है ?

जवाब: इस तरह का एक मामला बस्तर में दर्ज हुआ है और भी मामले प्रकाश में आ रहे हैं. इस प्रकार के मामले हैं कि कहीं से कॉल आने पर व्यक्ति खुद उसके साथ अश्लील ढंग से सामने आता है. उधर से भी अश्लील वीडियो दिखाया जाता है. बाद में उसका वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल किया जाता है. इस तरह का एक केस जरूर दर्ज हुआ. लेकिन अन्य मामलों में लोग खुद ऐसी एफआईआर दर्ज कराने से बचते हैं. ऐसी परिस्थिति में बिना रिपोर्ट दर्ज कर आगे की कार्रवाई करना मुश्किल होता है. विज ने कहा कि ऐसे समय लोगों को तत्काल घटना घटित होने पर पुलिस को सूचना देनी चाहिए. ना कि पैसा देकर उसे बढ़ावा देना चाहिए. लेकिन लोग इस मामले में FIR करने से बचते हैं. जिस कारण से इसमें आगे की कार्रवाई प्रभावित होती है.

सवाल : साइबर क्राइम से बचने के लिए लोगों से आप की क्या अपील है?

जवाब: आजकल लोग लालच बहुत कर रहे हैं. कहीं से भी किसी तरह का भी ऑफर मिलता है तत्काल उस बताए गए प्रक्रिया को अपनाने लगते हैं. उस लिंक को तत्काल क्लिक कर देते हैं. ऐसे ऑफर और लिंक से बचना चाहिए. किसी भी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे गए किसी भी लिंक को क्लिक नहीं करना है. आरबीआई ने पहले ही क्लियर किया है कि कभी भी कोई भी बैंक ग्राहक से ओटीपी की मांग नहीं करता बावजूद इसके लोग ओटीपी मांगने पर दे देते हैं. इस कारण से भी वह कई बार ऑनलाइन ठगी का शिकार होते हैं.

जागते रहो : साइबर अपराधियों के लिए आपको पीड़ित करने का नया तरीका 'जूस जैकिंग'

कई बार लोगों को कस्टमर केयर नंबर की जानकारी नहीं होती है. वे गूगल पर इस नंबर को सर्च करते हैं. ऐसे में साइबर क्राइम करने वाले लोग गूगल पर फर्जी नंबर डालकर भी ऑनलाइन ठगी करते हैं. इसलिए कस्टमर केयर नंबर भी सही माध्यम से लेना चाहिए. विज ने कहा कि इसी तरह कुछ लोगों के द्वारा ऐसे ऐप डाउनलोड कर लिए जाते हैं. जिसका कंट्रोल दूसरे लोग या फिर साइबर क्राइम से जुड़े लोग दूर बैठकर करते हैं. ऐसे ऐप डाउनलोड करने से भी लोगों को बचना चाहिए.

रायपुर: प्रदेश में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है. समय के साथ-साथ साइबर क्राइम पर स्वरूप भी बदलता जा रहा है. साइबर क्राइम के जरिए साइबर अपराधी दूर बैठकर आपके खातों से पैसे निकाल रहे हैं. जैसे-जैसे हम डिजिटल युग की ओर आगे बढ़ रहे हैं, साइबर क्राइम का रूप भी बदलता जा रहा है. ऑनलाइन ठगी के कई मामले रोज दर्ज किए जा रहे हैं. एटीएम क्लोनिंग और अन्य कई माध्यमों से लोगों के जीवन भर की कमाई को पल में गायब कर दिया जा रहा है.

स्पेशल डीजी आरके विज से साइबर क्राइम से खास बातचीत

ETV भारत समय-समय पर आपको जागरूक करता है, जिससे किसी भी परिस्थिति में पाठक साइबर क्राइम के शिकार न बनें. साइबर क्राइम की रोकथाम (cyber crime prevention) के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस (Chhattisgarh Police) भी समय-समय पर अभियान चलाती है. पुलिस लगातार लोगों को जागरूक कर रही है. साइबर क्राइम से बचने के लिए लोगों को किस तरह से सचेत रहना चाहिए. इन तमाम विषयों पर स्पेशल डीजी आरके विज ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.

जागते रहो क्योंकि लॉकडाउन के दौरान एक्टिव हैं साइबर ठग

सवाल: वर्तमान में किस तरह के साइबर क्राइम हो रहे हैं ?

जवाब: पिछले एक डेढ़ सालों की बात की जाए तो लॉकडाउन के दौरान यह देखा गया कि लोग ज्यादातर इंटरनेट यूज कर रहे हैं. सोशल मीडिया का इस्तेमाल बढ़ा है. (use of social media) कुछ नए प्रकार के क्राइम देखने को मिले हैं. विज ने कहा कि लास्ट इयर ऑनलाइन शराब बेचने के दौरान ठगी की गई. गूगल पर कस्टमर केयर नंबर सर्च कर उसका इस्तेमाल किया गया. उससे भी उनके साथ ठगी की गई. डेबिट क्रेडिट कार्ड बंद होने के नाम पर ठगी की गई. कई बार अनजान लिंक क्लिक करने पर खातों से पैसे गायब हो गए. इंटरनेट के माध्यम से फाइनेंसियल फ्रॉड के मामले बढ़े हैं. इसके अलावा पर्सनल ट्रांजेक्शन अश्लील सामग्री खरीदी बिक्री को लेकर फ्रॉड किया गया.

सवाल : कई बार देखा गया है कि ऑनलाइन ठगी का शिकार होने के बाद लोग आसपास के थानों में शिकायत दर्ज करने पहुंचते हैं. लेकिन वहां उनकी शिकायत दर्ज नहीं की जाती है. उन्हें साइबर थाना या फिर अन्य जगह जाने की सलाह दी जाती है. जिस वजह से लोग परेशान भी होते हैं. इस पर क्या करेंगे ?

जवाब: सरकार के द्वारा एक पोर्टल लॉन्च किया गया है. cybercrime.gov.in और एक नंबर 155260 भी रिलीज किया गया है. (cyber crime help line number) इसमें किसी भी व्यक्ति को कहीं भी भटकने की जरूरत नहीं है. कोई भी व्यक्ति जिसके साथ फाइनेंशियल फ्रॉड हुआ है इस नंबर को डायल कर सकता है या इस पोर्टल पर जा सकता है. जैसे ही पोर्टल पर घटना की डिटेल डालेंगे उसके बाद तत्काल मनी ट्रांसफर करने से रोक देगा. जिससे आर्थिक नुकसान होने से बच जाएगा है. अगर आप पोर्टल को यूज नहीं कर पा रहे है तो नंबर 155260 पर फोन करेंगे. उस पर 24 घंटे हमारे लोग मौजूद रहते हैं. ऑनलाइन इंफॉर्मेशन फिड करने के तत्काल बाद ट्रांजेक्शन रुक सकता है. क्योंकि इसमें पुलिस के साथ कई बैंक भी जुड़े हुए हैं. जो तत्काल फ्रॉड होने की स्थिति में या गलत ट्रांजेक्शन की स्थिति में उस रकम को निकलने से रोक देते हैं. यही वजह है कि आपके साथ कभी भी ऑनलाइन फ्रॉड होता है, तो इस नंबर पर तत्काल कॉल करें.

जागते रहो: 'पिंक व्हाट्सएप' लिंक पर न करें क्लिक, चोरी हो सकता है पर्सनल डाटा

सवाल: नई वेबसाइट और नंबर जारी करने के बाद कई लोग ठगी का शिकार हुए. क्या उनके पैसे वापस मिल गए ?

जवाब: यह सुविधा कुछ दिन पहले ही शुरू की गई है. इसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं. अबतक ऑनलाइन ठगी के मामलों में चंद दिनों में ही लगभग चार लाख रुपये से ज्यादा लोगों के पैसे वापस दिलाए गए हैं. विज ने कहा कि ऑनलाइन ठगी और साइबर क्राइम होने के बाद लोग जितना ज्यादा एक्टिव रहेंगे उनके पैसे उतने जल्दी वापस मिलेंगे.

सवाल: ऑनलाइन फ्रॉड होने पर यदि थानों में शिकायत दर्ज की जाए या फिर थानों के माध्यम से इन नंबर और वेबसाइट में कंप्लेंट की जाए तो लोगों को और भी मदद मिल सकती है इस पर आपका क्या कहना है ?

जवाब: हमारे द्वारा सभी एसपी को निर्देश दिया गया है कि जो भी व्यक्ति साइबर क्राइम से संबंधित शिकायत करने थाने पहुंचता है तो वहां मौजूद पुलिस कर्मी उसकी मदद कर सकता है. ऐसी परिस्थिति में कोई भी पुलिस स्टेशन साइबर क्राइम से संबंधित मामले में मदद करेगा. हालांकि हो सकता है कि थाने जाते जाते हैं. काफी समय बीत जाए इस स्थिति में उसके पैसे भी खाते से निकल सकते हैं, लेकिन ऑनलाइन फ्रॉड होने के तत्काल बाद यदि कोई व्यक्ति दिए गए नंबर या वेबसाइट पर संपर्क कर संबंधित जानकारी अपलोड करता है तो उस राशि को तत्काल ब्लॉक कर निकलाने से रोका जा सकता है. इसलिए पुलिस लोगों से अपील करती है कि कभी ऐसी स्थिति आए तो थाने के चक्कर काटने से अच्छा है, तत्काल दिए गए नंबरों या वेबसाइट पर संपर्क करें.

जागते रहो : मुफ्त में क्रेडिट कार्ड व कैशबैक के ऑफर से बचें, हो सकता है जाल!

सवाल : प्रदेश में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है, इससे निपटने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर से क्या तैयारी की गई है? साथ ही अपराधियों को पकड़ने के लिए आपके द्वारा किस तरह की कार्रवाई की जाती है?

जवाब: राज्य सरकार के द्वारा पिछले साल साइबर पुलिस स्टेशन शुरू किया गया है. जिसकी मॉनिटर पुलिस मुख्यालय से की जाती है. साइबर सेल में किस प्रकार के केस होंगे इसको लेकर कुछ गाइडलाइन जारी की गई है. 10 लाख से ऊपर वाले मामलों को सीधा रजिस्टर्ड भी किया गया है. ऐसे 2 मामले प्रकाश में आ चुके हैं. एक केस में आरबीआई से शिकायत आने के बाद आरोपी को बिहार से गिरफ्तारी की गई. इसके लिए काफी बड़ी टीम लगाई गई थी. इस मामले में दूसरे स्टेट भी पूरा सहयोग दे रहे हैं.

सवाल : सिटीजन फाइनेंशियल रिर्पोटिंग सिस्टम किस तरह काम करता है.

जवाब: इस साइट पर सिटिजन सीधे संपर्क कर सकते हैं. कभी भी फ्रॉड होने की स्थिति में घर बैठे वह इस पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. उन्हें कहीं भी भटकने की कोई जरूरत नहीं है.

सवाल : ऑनलाइन ठगी के लिए अपराधी लगातार अपडेट हो रहे हैं. नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं. ऐसे फ्रॉड को रोकने के लिए क्या छत्तीसगढ़ साइबर सेल भी अपडेट हो रहा है. इसके अलावा साइबर क्राइम से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस के पास मैन पावर सहित क्या पर्याप्त मात्रा में संसाधन मौजूद हैं.

जवाब: यह जरूर है कि हमारे पास इससे संबंधित अधिकारी कुछ कम है. इसमें टेक्निकल क्वॉलिफाइड लोग होते हैं. जो कंप्यूटर और साइबर संबंधित प्रशिक्षित होते हैं. जो इस तरह के अपराध घटित होने में मदद करते हैं. इसमें भी दो तरह के पुलिस अधिकारी मौजूद हैं. एक तो वेल क्वॉलिफाइड हैं और दूसरे वे पुलिस कर्मी है जिन्हें कंप्यूटर का ज्ञान है या फिर उनका इंटरेस्ट इस ओर ज्यादा है. इसके अलावा आउटसोर्सिंग की भी अनुमति है, लेकिन अभी आउटसोर्सिंग नहीं की गई है.

जागते रहो : कोरोना वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के नाम पर साइबर ठगी, ऐसे करें बचाव

सवाल : साइबर क्राइम से जुड़े अधिकतर गैंग दूसरे स्टेट में संचालित होते हैं. ऐसी परिस्थिति में उन स्टेट में जाकर अपराधियों को पकड़ना कितना चुनौती भरा काम होता है.

जवाब: पहले जामताड़ा बिहार-झारखंड के बहुत सारे केस आए थे. साइबर क्राइम से संबंधित जो भी शिकायत मिलती है, उसके बाद उस से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस अन्य राज्यों में भी जाती है. जहां उस स्टेट की पुलिस के द्वारा मदद की जाती है. उनके सहयोग से हम अपराधियों को पकड़ने में कामयाब होते हैं.

सवाल : पोर्न साइट बड़ी समस्या बनकर उभरी है खासकर बच्चों के लिए, इससे निपटने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस की क्या तैयारी है. (Blackmail by making porn videos)

जवाब: इसमें एक बड़ा बदलाव आया है. अमेरिका की एक एजेंसी ने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से अनुबंध किया था. उस एग्रीमेंट के तहत जो चाइल्ड पोर्नोग्राफी के सामग्री है उसको जो अपलोड करता है उसकी डिटेल हमारे पास आती है. उस रिपोर्ट आने के बाद और वह इंफॉर्मेशन इतनी अच्छी रहती है उसमें काम करने पर ज्यादा परेशानी नहीं होती है. जो सर्विस प्रोवाइडर हैं उनकी डिटेल निकाल लेते हैं. जो भी व्यक्ति छत्तीसगढ़ से अपलोड करेगा या ट्रांसफर करेगा तो उसकी जानकारी आ जाएगी. साइबर टीम पोर्नोग्राफी को रोकने के लिए एक अच्छा काम कर रहा है. विज ने कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी एक ऐसा अपराध है, जो पूरे विश्व में बैन है. अरे ऐसी स्थिति में यदि कोई इस तरह का अपराध करता है तो उसे छत्तीसगढ़ पुलिस नहीं छोड़ेगी. (porn site big problem)

सवाल : यूट्यूब फेसबुक जैसी कुछ ऐसी साइट है जिसको लोग जानते हैं. उस पर कोई भी वीडियो पोर्न लोड होता है. तो तत्काल कार्रवाई होती है. लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसी साइट हैं जिसके बारे में शायद जानकारी सभी लोगों तक या फिर पुलिस तक नहीं पहुंच सकती. उस साइट को लेकर किस तरह से छत्तीसगढ़ पुलिस काम करती है.

जवाब: यदि किसी भी साइट पर इस तरह का वीडियो अपलोड किया गया है. यदि उसकी शिकायत आती है तो तत्काल ऐसे लोगो के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. विज ने बताया कि साइबर क्राइम से जुड़े 80% मामले ऐसे होते हैं जो अश्लील सामग्री के हैं. फिर चाहे वह व्हाट्सएप , इंस्टाग्राम या फेसबुक ही क्यों ना हो. इसमें जो भी अश्लील सामग्री का आदान-प्रदान होता है इसमें चाइल्ड के मामले तो कम है लेकिन एडल्ट के मामले ज्यादा हैं. उसमें एक दूसरे दोस्त को ब्लैकमेल करने के मामले भी सामने आ चुके हैं.

हाईनीज हैकर्स से रहें सावधान, लिंक के अंत में .cn या .pk है तो हो जाएं सतर्क

सवाल : वीडियो कॉलिंग कर अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने के मामले बढ़े हैं, इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाया जा रहा है ?

जवाब: इस तरह का एक मामला बस्तर में दर्ज हुआ है और भी मामले प्रकाश में आ रहे हैं. इस प्रकार के मामले हैं कि कहीं से कॉल आने पर व्यक्ति खुद उसके साथ अश्लील ढंग से सामने आता है. उधर से भी अश्लील वीडियो दिखाया जाता है. बाद में उसका वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल किया जाता है. इस तरह का एक केस जरूर दर्ज हुआ. लेकिन अन्य मामलों में लोग खुद ऐसी एफआईआर दर्ज कराने से बचते हैं. ऐसी परिस्थिति में बिना रिपोर्ट दर्ज कर आगे की कार्रवाई करना मुश्किल होता है. विज ने कहा कि ऐसे समय लोगों को तत्काल घटना घटित होने पर पुलिस को सूचना देनी चाहिए. ना कि पैसा देकर उसे बढ़ावा देना चाहिए. लेकिन लोग इस मामले में FIR करने से बचते हैं. जिस कारण से इसमें आगे की कार्रवाई प्रभावित होती है.

सवाल : साइबर क्राइम से बचने के लिए लोगों से आप की क्या अपील है?

जवाब: आजकल लोग लालच बहुत कर रहे हैं. कहीं से भी किसी तरह का भी ऑफर मिलता है तत्काल उस बताए गए प्रक्रिया को अपनाने लगते हैं. उस लिंक को तत्काल क्लिक कर देते हैं. ऐसे ऑफर और लिंक से बचना चाहिए. किसी भी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे गए किसी भी लिंक को क्लिक नहीं करना है. आरबीआई ने पहले ही क्लियर किया है कि कभी भी कोई भी बैंक ग्राहक से ओटीपी की मांग नहीं करता बावजूद इसके लोग ओटीपी मांगने पर दे देते हैं. इस कारण से भी वह कई बार ऑनलाइन ठगी का शिकार होते हैं.

जागते रहो : साइबर अपराधियों के लिए आपको पीड़ित करने का नया तरीका 'जूस जैकिंग'

कई बार लोगों को कस्टमर केयर नंबर की जानकारी नहीं होती है. वे गूगल पर इस नंबर को सर्च करते हैं. ऐसे में साइबर क्राइम करने वाले लोग गूगल पर फर्जी नंबर डालकर भी ऑनलाइन ठगी करते हैं. इसलिए कस्टमर केयर नंबर भी सही माध्यम से लेना चाहिए. विज ने कहा कि इसी तरह कुछ लोगों के द्वारा ऐसे ऐप डाउनलोड कर लिए जाते हैं. जिसका कंट्रोल दूसरे लोग या फिर साइबर क्राइम से जुड़े लोग दूर बैठकर करते हैं. ऐसे ऐप डाउनलोड करने से भी लोगों को बचना चाहिए.

Last Updated : Jun 4, 2021, 3:52 PM IST
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