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EXCLUSIVE: चावल खाकर ही जिंदा नहीं रह सकते मजदूर, मदद करे सरकार-अजीत जोगी

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने ETV BHARAT से खास बातचीत की है. अजीत जोगी ने बताया कि लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा मजदूरों पर पड़ा है. सरकार को किसानों और मजदूरों को आर्थिक मदद देनी होगी.

Ajit Jogi Former Chief Minister
अजीत जोगी, पूर्व मुख्यमंत्री
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Published : Apr 23, 2020, 9:32 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने ETV BHARAT से खास बातचीत की है. उन्होने किसानों और मजदूरों को लॉकडाउन की वजह से हो रही परेशानी के साथ ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था समेत तमाम मुद्दों पर चर्चा की.

अजीत जोगी से खास बातचीत

देश के साथ प्रदेश में भी पड़ा अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

अजीत जोगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधरित है. कोरोना संकट की वजह से हुए लॉकडाउन का प्रभाव प्रदेश के कई क्षेत्रों पर असर पड़ा है. प्रदेश के छोटे-बड़े उघोग पूरी तरह से बंद हो गए हैं. व्यापार बंद होने की वजह से लोगों का आना-जाना नहीं हो पा रहा है. लघु और मध्यम श्रेणी के उद्योग बंद होने की वजह से बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बारिश से प्रभावित

अजीत जोगी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन प्रदेश में बेमौसम बारिश होने से किसानों की फसल बर्बाद हुई है. प्रदेश के कई इलाकों में बारिश के साथ ओले भी गिरे हैं, जिसके कारण रबी की फसल को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है. गेहूं , चना के साथ ही सब्जियां और सोयाबीन भी बर्बाद हुई है. रबी सीजन की फसल खराब होने की वजह से अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचा है.

पढ़ें- Exclusive: कोरोना संकट पर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह से खास बातचीत

सरकार ने नहीं खरीदा किसानों का पूरा धान

अजीत जोगी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि, सरकार किसानो को अश्वासन दिया था कि टोकन कटे किसानों के धान खरीदें जाएंगे, लेकिन सरकार ने पूरा धान खरीदा है, कई किसानों के धान अभी भी रखें हुए है और पानी से भींगकर अंकुरित भी हो गए हैं. जिसके कारण किसान परेशान हैं. उन्होंने कहा सरकार को पूरा धान खरीदना चाहिए.

2500 रु प्रति क्विंटल की राशि कोरोना काल में मिले

कांग्रेस की सरकार ने कहा था किसानों को धान का मूल्य 2500 रूपये प्रति क्विटंल देंगे. लेकिन 1825 रूपये जो केंद्र सरकार ने दिया उतना ही पेंमेंट हुआ है. बची हुई अंतर की राशि सरकार को इस संकट काल में देना चाहिए जिससे किसानों बहुत ज्यादा लाभ होगा.

'कृषि मजदूरों की बुरी हालत'

सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि कहने के लिए चावल दाल तो दिया गया है. जिसमें मात्र चावल और दाल दिया गया है. चावल खाकर इंसान जिंदा नहीं रह सकते हैं और केवल चावल मिला है, दाल भी नही मिला, सब्जी-चटनी भी नही मिला जिसके कारण उनका बुरा दौर आ गया है. सरकारों को इस ओर ध्यान देना होगा, कई मजदूर लॉकडाउन की वजह से भूखा सो रहे हैं.

'मजदूरों को कैश में आर्थिक मदद दें'

वहीं अजीत जोगी ने सरकार से कहा कि गांवो काम चालू नहीं कर पा रहे हैं. मजदूरी नहीं दे पा रहे है तो, सरकार को कम से कम राहत पहुंचाने के लिए कम से कम आर्थिक करें और मजदूरों को कैश देकर सरकार को आर्थिक मदद करना चाहिए.

  • अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा
  • छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित
  • छत्तीसगढ़ में भी कोरोना संकट का असर
  • लघु, मध्यम श्रेणी के उद्योग पर असर
  • छोटे व्यापारियों को भी बड़ा नुकसान
  • ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना उतना नहीं फैला
  • बेमौसम बारिश से रबी की फसल खराब
  • गेहूं, चना, सोयाबीन की फसल खराब
  • ग्रामीणों को बड़ा आर्थिक नुकसान
  • टोकन कटे लेकिन धान नहीं खरीदा
  • 2500 रु/क्विं. मूल्य का आश्वासन था
  • 1850 रु/क्विं. का ही पेमेंट हुआ
  • अंतर की राशि मिल जाए तो लाभ मिलेगा
  • कृषि मजदूरों की हालत ज्यादा खराब
  • चावल खाकर ही जिंदा नहीं रह सकते
  • मजदूरी नहीं तो आर्थिक मदद जरूरी

रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने ETV BHARAT से खास बातचीत की है. उन्होने किसानों और मजदूरों को लॉकडाउन की वजह से हो रही परेशानी के साथ ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था समेत तमाम मुद्दों पर चर्चा की.

अजीत जोगी से खास बातचीत

देश के साथ प्रदेश में भी पड़ा अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

अजीत जोगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधरित है. कोरोना संकट की वजह से हुए लॉकडाउन का प्रभाव प्रदेश के कई क्षेत्रों पर असर पड़ा है. प्रदेश के छोटे-बड़े उघोग पूरी तरह से बंद हो गए हैं. व्यापार बंद होने की वजह से लोगों का आना-जाना नहीं हो पा रहा है. लघु और मध्यम श्रेणी के उद्योग बंद होने की वजह से बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बारिश से प्रभावित

अजीत जोगी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन प्रदेश में बेमौसम बारिश होने से किसानों की फसल बर्बाद हुई है. प्रदेश के कई इलाकों में बारिश के साथ ओले भी गिरे हैं, जिसके कारण रबी की फसल को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है. गेहूं , चना के साथ ही सब्जियां और सोयाबीन भी बर्बाद हुई है. रबी सीजन की फसल खराब होने की वजह से अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचा है.

पढ़ें- Exclusive: कोरोना संकट पर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह से खास बातचीत

सरकार ने नहीं खरीदा किसानों का पूरा धान

अजीत जोगी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि, सरकार किसानो को अश्वासन दिया था कि टोकन कटे किसानों के धान खरीदें जाएंगे, लेकिन सरकार ने पूरा धान खरीदा है, कई किसानों के धान अभी भी रखें हुए है और पानी से भींगकर अंकुरित भी हो गए हैं. जिसके कारण किसान परेशान हैं. उन्होंने कहा सरकार को पूरा धान खरीदना चाहिए.

2500 रु प्रति क्विंटल की राशि कोरोना काल में मिले

कांग्रेस की सरकार ने कहा था किसानों को धान का मूल्य 2500 रूपये प्रति क्विटंल देंगे. लेकिन 1825 रूपये जो केंद्र सरकार ने दिया उतना ही पेंमेंट हुआ है. बची हुई अंतर की राशि सरकार को इस संकट काल में देना चाहिए जिससे किसानों बहुत ज्यादा लाभ होगा.

'कृषि मजदूरों की बुरी हालत'

सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि कहने के लिए चावल दाल तो दिया गया है. जिसमें मात्र चावल और दाल दिया गया है. चावल खाकर इंसान जिंदा नहीं रह सकते हैं और केवल चावल मिला है, दाल भी नही मिला, सब्जी-चटनी भी नही मिला जिसके कारण उनका बुरा दौर आ गया है. सरकारों को इस ओर ध्यान देना होगा, कई मजदूर लॉकडाउन की वजह से भूखा सो रहे हैं.

'मजदूरों को कैश में आर्थिक मदद दें'

वहीं अजीत जोगी ने सरकार से कहा कि गांवो काम चालू नहीं कर पा रहे हैं. मजदूरी नहीं दे पा रहे है तो, सरकार को कम से कम राहत पहुंचाने के लिए कम से कम आर्थिक करें और मजदूरों को कैश देकर सरकार को आर्थिक मदद करना चाहिए.

  • अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा
  • छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित
  • छत्तीसगढ़ में भी कोरोना संकट का असर
  • लघु, मध्यम श्रेणी के उद्योग पर असर
  • छोटे व्यापारियों को भी बड़ा नुकसान
  • ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना उतना नहीं फैला
  • बेमौसम बारिश से रबी की फसल खराब
  • गेहूं, चना, सोयाबीन की फसल खराब
  • ग्रामीणों को बड़ा आर्थिक नुकसान
  • टोकन कटे लेकिन धान नहीं खरीदा
  • 2500 रु/क्विं. मूल्य का आश्वासन था
  • 1850 रु/क्विं. का ही पेमेंट हुआ
  • अंतर की राशि मिल जाए तो लाभ मिलेगा
  • कृषि मजदूरों की हालत ज्यादा खराब
  • चावल खाकर ही जिंदा नहीं रह सकते
  • मजदूरी नहीं तो आर्थिक मदद जरूरी
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