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वर्ल्ड माउंटेन डे: उपेक्षा से नाराज छत्तीसगढ़ के पर्वतारोही, कहा- ध्यान नहीं देती सरकार

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Published : Dec 11, 2020, 1:57 PM IST

Updated : Dec 11, 2020, 4:59 PM IST

वर्ल्ड माउंटेन डे पर ETV भारत ने छत्तीसगढ़ के पर्वतारोहियों से खास बातचीत की. उन्होंने अपने अनुभव शेयर करने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में टूरिज्म और एडवेंचर स्पोर्ट्स की संभावना को लेकर भी अपनी बात रखी. पर्वतारोही सरकार की उपेक्षा से नाराज भी नजर आए.

वर्ल्ड माउंटेन डे
वर्ल्ड माउंटेन डे

रायपुर : दुनियाभर में वर्ल्ड माउंटेन डे मनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में भी पर्वतारोहण की तरफ युवाओं का झुकाव लगातार बढ़ रहा है. प्रदेश के कई पर्वतारोहियों ने माउंड एवरेस्ट से लेकर दूसरे देशों की ऊंची चोटियों को फतह कर नाम रोशन किया है. ETV भारत से बातचीत में पर्वतारोहियों ने अपने एक्सपीरियंस शेयर किए. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में भी एडवेंटर स्पोर्ट्स की बहुत संभावनाएं हैं.

वर्ल्ड माउंटेन डे
छत्तीसगढ़ से माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले पहले पर्वतारोही राहुल गुप्ता ने बताया कि 2012 से लेकर 2020 तक का सफर काफी संघर्ष भरा रहा. उनका मानना है कि छत्तीसगढ़ में एडवेंचर स्पोर्ट्स की शुरुआत की गई तो यह बहुत मुश्किल था. धीरे-धीरे उन्होंने खुद को प्रोफेशनल बनाया और दूसरे लोगों को भी ट्रेनिंग दी.छत्तीसगढ़ में बहुत संभावनाएंडबल लेग एंप्यूटी पर्वतारोही चित्रसेन साहू ने बताया कि उन्होंने ट्रैकिंग से शुरुआत की थी, जो बाद में माउंटेनियरिंग में तब्दील हुई. उन्होंने किलिमंजारो (अफ्रीका की ऊंची चोटी) को फतेह किया है. चित्रसेन साहू का मानना है कि छत्तीसगढ़ में टूरिज्म के साथ-साथ माउंटेन क्लाइंबिंग क्षेत्र में भी बहुत सी संभावनाएं हैं. माउंटेन क्लाइंबिंग ओलंपिक में भी जुड़ चुका है. छत्तीसगढ़ के बहुत से लोग पर्वतारोहण कर रहे हैं. वे कहते हैं कि टूरिज्म के क्षेत्र में भी लोगों को ट्रेनिंग देकर रोजगार दिया जा सकता है. छत्तीसगढ़ से जो माउंटेनियर निकल रहे हैं, उन्हें सपोर्ट करने की जरूरत है.

पढ़ें : अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस : क्यों मनाते हैं यह दिन, जानें इतिहास और थीम

छत्तीसगढ़ को मिलेगी एक नई पहचान

जांजगीर चांपा की पर्वतारोही अमिता श्रीवास ने बताया कि स्कूल के समय में उन्होंने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली. उन्हें शुरू से ही कुछ अलग करने की चाहत थी. कुछ करने की चाहत ने उन्हें स्वतंत्र पर्वतारोही बनाया. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में एडवेंचर स्पोर्ट्स को लेकर बहुत से संभावनाएं हैं. आज के समय युवाओं की पहली पसंद एडवेंचर स्पोर्ट्स है. अगर इस तरफ ध्यान दिया जाए तो एडवेंचर स्पोर्ट्स में छत्तीसगढ़ नई पहचान बनाएगा.

सरकार की उपेक्षा से नाराजगी
कोरबा की रहने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोही हेमंत गढेश्वर ने बताया कि छत्तीसगढ़ से बहुत से पर्वतारोही निकल रहे हैं. प्रदेश का और देश का नाम रोशन कर रहे हैं. लेकिन शासन-प्रशासन और सरकार की ओर से उन्हें मदद नहीं मिल रही. उनका कहना है कि वे अपने परिवार से दूर रहकर अपनी जान जोखिम में डालकर माउंटेन फतेह कर रहे हैं. सभी पर्वतारोही एक ही सपना लेकर आगे बढ़ते हैं कि वे ऊंची चोटी पर भारत का तिरंगा लहराएंगे. ऐसा करने पर उन्हें सम्मान तो मिलता है लेकिन किसी तरह की मदद नहीं मिल पाती. उन्होंने शिकायत करते हुए कहा कि अन्य राज्यों में पर्वतारोहियों को आगे बढ़ाते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में ये संभव नहीं हो पाता है. हेमंत ने प्रदेश सरकार से पर्वतारोहियों के जीवन स्तर पर ध्यान देने को कहा, ताकि उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके.

रायपुर : दुनियाभर में वर्ल्ड माउंटेन डे मनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में भी पर्वतारोहण की तरफ युवाओं का झुकाव लगातार बढ़ रहा है. प्रदेश के कई पर्वतारोहियों ने माउंड एवरेस्ट से लेकर दूसरे देशों की ऊंची चोटियों को फतह कर नाम रोशन किया है. ETV भारत से बातचीत में पर्वतारोहियों ने अपने एक्सपीरियंस शेयर किए. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में भी एडवेंटर स्पोर्ट्स की बहुत संभावनाएं हैं.

वर्ल्ड माउंटेन डे
छत्तीसगढ़ से माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले पहले पर्वतारोही राहुल गुप्ता ने बताया कि 2012 से लेकर 2020 तक का सफर काफी संघर्ष भरा रहा. उनका मानना है कि छत्तीसगढ़ में एडवेंचर स्पोर्ट्स की शुरुआत की गई तो यह बहुत मुश्किल था. धीरे-धीरे उन्होंने खुद को प्रोफेशनल बनाया और दूसरे लोगों को भी ट्रेनिंग दी.छत्तीसगढ़ में बहुत संभावनाएंडबल लेग एंप्यूटी पर्वतारोही चित्रसेन साहू ने बताया कि उन्होंने ट्रैकिंग से शुरुआत की थी, जो बाद में माउंटेनियरिंग में तब्दील हुई. उन्होंने किलिमंजारो (अफ्रीका की ऊंची चोटी) को फतेह किया है. चित्रसेन साहू का मानना है कि छत्तीसगढ़ में टूरिज्म के साथ-साथ माउंटेन क्लाइंबिंग क्षेत्र में भी बहुत सी संभावनाएं हैं. माउंटेन क्लाइंबिंग ओलंपिक में भी जुड़ चुका है. छत्तीसगढ़ के बहुत से लोग पर्वतारोहण कर रहे हैं. वे कहते हैं कि टूरिज्म के क्षेत्र में भी लोगों को ट्रेनिंग देकर रोजगार दिया जा सकता है. छत्तीसगढ़ से जो माउंटेनियर निकल रहे हैं, उन्हें सपोर्ट करने की जरूरत है.

पढ़ें : अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस : क्यों मनाते हैं यह दिन, जानें इतिहास और थीम

छत्तीसगढ़ को मिलेगी एक नई पहचान

जांजगीर चांपा की पर्वतारोही अमिता श्रीवास ने बताया कि स्कूल के समय में उन्होंने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली. उन्हें शुरू से ही कुछ अलग करने की चाहत थी. कुछ करने की चाहत ने उन्हें स्वतंत्र पर्वतारोही बनाया. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में एडवेंचर स्पोर्ट्स को लेकर बहुत से संभावनाएं हैं. आज के समय युवाओं की पहली पसंद एडवेंचर स्पोर्ट्स है. अगर इस तरफ ध्यान दिया जाए तो एडवेंचर स्पोर्ट्स में छत्तीसगढ़ नई पहचान बनाएगा.

सरकार की उपेक्षा से नाराजगी
कोरबा की रहने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोही हेमंत गढेश्वर ने बताया कि छत्तीसगढ़ से बहुत से पर्वतारोही निकल रहे हैं. प्रदेश का और देश का नाम रोशन कर रहे हैं. लेकिन शासन-प्रशासन और सरकार की ओर से उन्हें मदद नहीं मिल रही. उनका कहना है कि वे अपने परिवार से दूर रहकर अपनी जान जोखिम में डालकर माउंटेन फतेह कर रहे हैं. सभी पर्वतारोही एक ही सपना लेकर आगे बढ़ते हैं कि वे ऊंची चोटी पर भारत का तिरंगा लहराएंगे. ऐसा करने पर उन्हें सम्मान तो मिलता है लेकिन किसी तरह की मदद नहीं मिल पाती. उन्होंने शिकायत करते हुए कहा कि अन्य राज्यों में पर्वतारोहियों को आगे बढ़ाते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में ये संभव नहीं हो पाता है. हेमंत ने प्रदेश सरकार से पर्वतारोहियों के जीवन स्तर पर ध्यान देने को कहा, ताकि उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके.

Last Updated : Dec 11, 2020, 4:59 PM IST
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