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World Blood Donor Day 2021: जिंदगी बचाने वाले ये हैं रायपुर के सुपर डोनर, रक्तदान का लगा चुके शतक

कभी हॉकी के मैदान में अपने पारी से लोगों को आकर्षित करने वाले छत्तीसगढ़ के पूर्व हॉकी खिलाड़ी नोमान अकरम जिंदगी बचाने वाले सुपर डोनर बन चुके हैं. नोमान अकरम अब तक 135 से ज्यादा बार ब्लड डोनेट कर लोगों की जान बचा चुके हैं. विश्व रक्तदान दिवस (World Blood Donor Day 2021) के अवसर पर ETV भारत से ब्लड डोनर नोमान अकरम (Noman Akram) ने खास बातचीत की.

Noman Akram
ब्लड डोनर नोमान अकरम
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Published : Jun 14, 2021, 9:15 PM IST

रायपुर: दुनियाभर में आज विश्व रक्तदान दिवस (World Blood Donor Day 2021) मनाया जा रहा है. पहली बार इसे साल 2005 में मनाया गया था. इसका उद्देश्य 'खून की कमी से लोगों की जान न जाए', इसलिए लोगों के बीच जागरुकता फैलाना है. रक्तदान से आप ना सिर्फ किसी की जिंदगी बचा सकते हैं, बल्कि खुद को स्वस्थ भी रखने में मदद मिलेगी. छत्तीसगढ़ में ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने 135 से ज्यादा बार ब्लड डोनेट कर लोगों की जान बचाई है. छत्तीसगढ़ मुस्लिम समाज के अध्यक्ष और पूर्व हॉकी खिलाड़ी नोमान अकरम उन चंद ब्लड डोनर्स (blood doners Noman Akram) में शामिल हैं. जो हमेशा रक्तदान करने के लिए तैयार रहते हैं. विश्व रक्तदान दिवस के मौके पर नोमान अकरम (Noman Akram) ने ETV भारत से खास बातचीत की.

पूर्व हॉकी खिलाड़ी नोमान अकरम 135 से ज्यादा बार कर चुके हैं ब्लड डोनेट

सवाल: छत्तीसगढ़ में ब्लड डोनेशन की बात आती है तो आपका नाम प्रमुखता से लिया जाता है. 135 बार से ज्यादा ब्लड डोनेट करने की शुरुआत किस तरह से हुई ?

नोमान अकरम: साल 1986 की बात है, जब से मैं ब्लड डोनेट कर रहा हूं. मेरी दीदी को प्रथम पुत्र की प्राप्ति होने वाली थी. उस दरमियान उनकी तबीयत काफी ज्यादा खराब थी. उस वक्त मैंने उनको ब्लड दिया था. 1986 से जो सिलसिला शुरू हुआ है. वह आज तक खत्म नहीं हुआ है. मेरी सगी बहन जी बेशक अपनी जगह है, लेकिन मुझे इतनी अच्छी अनुभूति हुई थी. ब्लड डोनेशन के बाद किसी की जान बचाने में जो सुखद अनुभव होती है, उसको मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता. इसके बाद लगातार ऐसे कई मौके आए जब मैंने ब्लड डोनेट किया है. जिसके लिए मुझे ज्यादा आत्म संतुष्टि है.

करें रक्तदान, बचाएं जान: टीका लगवाने से पहले निभाएं मानवता का धर्म

सवाल: इतने लंबे समय से ब्लड डोनेशन करने के दौरान किस तरह से कुछ किस्से रहे हैं, जब लोगों को बेहद ज्यादा जरूरत थी, तब आप पहुंचकर उनका हौसला बढ़ाया है ?

नोमान अकरम: मैंने तकरीबन 135 बार ब्लड डोनेट कर चुका हूं. मेरा टारगेट वैसे तो जब तक ईश्वर ने जब तक ताकत दी है, जब तक मैं ब्लड डोनेट करता रहूंगा. ब्लड डोनेशन की जो गाइडलाइन है. प्रोटोकॉल है कि 3 महीने के अंतराल में आप ब्लड डोनेट कर सकते हैं. मैंने उस प्रोटोकॉल को भी दो चार बार तोड़ ही दिया है. इसलिए तोड़ा हूं कि क्योंकि सामने वाले को सख्त जरूरत थी. क्योंकि मुझे अपने ऊपर कॉन्फिडेंस है. मैंने उस दरमियान भी ब्लड डोनेट किया है एक वक्त की बात है जब मुश्किल से 10 रोज पहले ही ब्लड डोनेट किया था. उसके बाद फिर ब्लड की जरूरत होने पर ब्लड देने पहुंचा. हम लोग बात कर रहे थे कि बताना मत कि मैंने 10 दिन बजे पहले ही ब्लड डोनेट किया है. नहीं तो यह लोग नहीं लेंगे. इस बात को पैथोलॉजी वाले डॉक्टर ने सुन लिया और उन्होंने मुझे रोक दिया. मैंने इमरजेंसी का हवाला दिया. इसके बाद डॉक्टरों ने कहा कि यदि आपका हीमोग्लोबिन लेवल अच्छा रहा तो हम ब्लड लेंगे. उन्होंने मेरा ब्लड सैंपल लेकर एचबी टेस्ट किया. आप यकीन नहीं करेंगे एक हफ्ते पहले ही ब्लड देने के बाद भी मेरा एचबी लेवल 15 प्लस है इस लिहाज से फिर से मुझे ब्लड डोनेट करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.

सवाल: ब्लड डोनेशन को लेकर आज भी कई तरह की भ्रांतियां हैं. ब्लड डोनेशन कैंप के माध्यम से लगातार लोगों को अवेयर भी किया जा रहा है, लेकिन फिर भी लोगों में ब्लड डोनेशन करने को लेकर एक झिझक होती है लोग आज भी कतराते हैं ?

नोमान अकरम: ब्लड डोनेशन को लेकर जागरूकता की सख्त जरूरत है. ब्लड डोनेशन को लेकर भ्रांति जो लोगों के दिल और दिमाग में बैठी हुई है उसको दूर करना जरूरी है. सबसे ज्यादा लोगों को लगता है कि हमारा क्या होगा. मैंने ब्लड दूसरों को दिया है मेरे को अगर जरूरत पड़ी तो मेरा क्या होगा. यह एक सवाल जो मन में रहता है,लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए. देखिए पूरी दुनिया को चलाने वाला एक ही ईश्वर है. वह किसी हाल में आपको तन्हा नहीं छोड़ेगा. आपको इस चीज को यकीन होना चाहिए. आज अगर आप किसी के लिए अच्छा करेंगे तो कल आपका भी अच्छा होगा. नौजवान पीढ़ी को तो मानव सेवा के लिए आगे आना जरूरी है. मानव सेवा में रक्तदान सबसे उच्च कोटि का दान माना जाता है. रक्तदान देने से किसी के जिंदगी बचती है तो यह सबसे बड़ा दान है. मैं यह बताना चाहूंगा कि रायपुर का एकमात्र मुस्लिम ब्लड बैंक मेरे तरफ स्थापित किया गया है. हर साल वहां ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया जाता है. हर साल सौ लड़के ब्लड डोनेट करते हैं. साल में दो मर्तबा इस तरह के कैंप लगते हैं. इसमें न केवल मुस्लिम समाज को बल्कि सभी समाज को ब्लड दिया जाता है. ऐसा कुछ नहीं है कि हम केवल मुसलमानों के लिए ही ब्लड डोनेट कर रहे हैं. दूसरे समाज के लिए उन्हें दिल से ब्लड डोनेट करते हैं. मुझे अफसोस है कि आज की नौजवान पीढ़ी थोड़ी सी भटकती हुई नजर आ रही है. वह नशे की गिरफ्त में जा रही है. वह उनसे दूर रहें, क्योंकि आप अगर नशे के आदी होते हैं तो आपका ब्लड आपके लिए तो उचित नहीं रहेगा. ऐसे में आप दूसरे को कैसे मदद कर सकते हैं.

गरियाबंद: मुक्के के वार से तोड़ चुके हैं एक लाख नारियल, 56 बार कर चुके हैं रक्तदान

सवाल: लंबे समय से ब्लड डोनेट करने के दरमियान आपको कई संस्थाओं और सरकार की ओर से भी सम्मानित किया गया है. आप स्पोर्ट्स से भी जुड़े हुए रहे हैं. महिला हॉकी को छत्तीसगढ़ ही नहीं देशभर में पहचान दिलाने वाले शख्सियत के रूप में जाने जाते हैं, ब्लड डोनेशन कितना इंपॉर्टेंट रखता है ?

खिलाड़ियों के लिए तो ब्लड डोनेशन बेहद जरूरी है. खिलाड़ी का तो धर्म है कि वह दूसरों की सेवा करे. खिलाड़ी पहचाना ही जाता है स्पोर्ट्समैन इज द बेस्ट एम्बेसडर. स्पोर्ट्समैन को चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा ब्लड डोनेट करे और करते भी हैं. मैं जब प्लेयर रहा हूं तो लगातार ब्लड डोनेट किया है. इसके बाद भी मैच खेला है. मुझे इसका बड़ा घमंड है और इसके लिए मैं ऊपर वाले का शुक्रगुजार भी हूं. जहां तक कि अवार्ड की बात है. वैसे मैं अवार्ड के लिए कभी कोशिश नहीं करता हूं. क्योंकि इतना हो गया कि कई मर्तबा मुझे सम्मान भी मिला है. कॉमनवेल्थ गेम्स में जब दिल्ली में हो रहा था, मैं वहां एंपायर था. बीच में एक दिन के लिए मैं रायपुर आया था. उस वक्त राज्यपाल शेखर दत्त जी थे, उन्होंने मुझे सम्मानित किया था. एक बार स्वास्थ्य मंत्री रहे अजय चंद्राकर ने भी मुझे सम्मान दिया था. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से मुझे ब्लड डोनेशन करने के लिए सम्मानित किया जा चुका है. रमजान में रोजा रखने के बाद भी मैंने ब्लड डोनेट किया है. मुझे रेडक्रॉस की ओर से भी सम्मानित किया चुका है. कई ब्लड बैंकों ने मुझे सम्मानित किया है. सबसे बड़ी चीज है यह है उन मरीजों की दुआएं, जिन्होंने मैंने कभी कभी ब्लड डोनेट किया है. वह पूंजी मेरी ऐसी पूंजी है जिसका कोई मोल नहीं है.

रायपुर: दुनियाभर में आज विश्व रक्तदान दिवस (World Blood Donor Day 2021) मनाया जा रहा है. पहली बार इसे साल 2005 में मनाया गया था. इसका उद्देश्य 'खून की कमी से लोगों की जान न जाए', इसलिए लोगों के बीच जागरुकता फैलाना है. रक्तदान से आप ना सिर्फ किसी की जिंदगी बचा सकते हैं, बल्कि खुद को स्वस्थ भी रखने में मदद मिलेगी. छत्तीसगढ़ में ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने 135 से ज्यादा बार ब्लड डोनेट कर लोगों की जान बचाई है. छत्तीसगढ़ मुस्लिम समाज के अध्यक्ष और पूर्व हॉकी खिलाड़ी नोमान अकरम उन चंद ब्लड डोनर्स (blood doners Noman Akram) में शामिल हैं. जो हमेशा रक्तदान करने के लिए तैयार रहते हैं. विश्व रक्तदान दिवस के मौके पर नोमान अकरम (Noman Akram) ने ETV भारत से खास बातचीत की.

पूर्व हॉकी खिलाड़ी नोमान अकरम 135 से ज्यादा बार कर चुके हैं ब्लड डोनेट

सवाल: छत्तीसगढ़ में ब्लड डोनेशन की बात आती है तो आपका नाम प्रमुखता से लिया जाता है. 135 बार से ज्यादा ब्लड डोनेट करने की शुरुआत किस तरह से हुई ?

नोमान अकरम: साल 1986 की बात है, जब से मैं ब्लड डोनेट कर रहा हूं. मेरी दीदी को प्रथम पुत्र की प्राप्ति होने वाली थी. उस दरमियान उनकी तबीयत काफी ज्यादा खराब थी. उस वक्त मैंने उनको ब्लड दिया था. 1986 से जो सिलसिला शुरू हुआ है. वह आज तक खत्म नहीं हुआ है. मेरी सगी बहन जी बेशक अपनी जगह है, लेकिन मुझे इतनी अच्छी अनुभूति हुई थी. ब्लड डोनेशन के बाद किसी की जान बचाने में जो सुखद अनुभव होती है, उसको मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता. इसके बाद लगातार ऐसे कई मौके आए जब मैंने ब्लड डोनेट किया है. जिसके लिए मुझे ज्यादा आत्म संतुष्टि है.

करें रक्तदान, बचाएं जान: टीका लगवाने से पहले निभाएं मानवता का धर्म

सवाल: इतने लंबे समय से ब्लड डोनेशन करने के दौरान किस तरह से कुछ किस्से रहे हैं, जब लोगों को बेहद ज्यादा जरूरत थी, तब आप पहुंचकर उनका हौसला बढ़ाया है ?

नोमान अकरम: मैंने तकरीबन 135 बार ब्लड डोनेट कर चुका हूं. मेरा टारगेट वैसे तो जब तक ईश्वर ने जब तक ताकत दी है, जब तक मैं ब्लड डोनेट करता रहूंगा. ब्लड डोनेशन की जो गाइडलाइन है. प्रोटोकॉल है कि 3 महीने के अंतराल में आप ब्लड डोनेट कर सकते हैं. मैंने उस प्रोटोकॉल को भी दो चार बार तोड़ ही दिया है. इसलिए तोड़ा हूं कि क्योंकि सामने वाले को सख्त जरूरत थी. क्योंकि मुझे अपने ऊपर कॉन्फिडेंस है. मैंने उस दरमियान भी ब्लड डोनेट किया है एक वक्त की बात है जब मुश्किल से 10 रोज पहले ही ब्लड डोनेट किया था. उसके बाद फिर ब्लड की जरूरत होने पर ब्लड देने पहुंचा. हम लोग बात कर रहे थे कि बताना मत कि मैंने 10 दिन बजे पहले ही ब्लड डोनेट किया है. नहीं तो यह लोग नहीं लेंगे. इस बात को पैथोलॉजी वाले डॉक्टर ने सुन लिया और उन्होंने मुझे रोक दिया. मैंने इमरजेंसी का हवाला दिया. इसके बाद डॉक्टरों ने कहा कि यदि आपका हीमोग्लोबिन लेवल अच्छा रहा तो हम ब्लड लेंगे. उन्होंने मेरा ब्लड सैंपल लेकर एचबी टेस्ट किया. आप यकीन नहीं करेंगे एक हफ्ते पहले ही ब्लड देने के बाद भी मेरा एचबी लेवल 15 प्लस है इस लिहाज से फिर से मुझे ब्लड डोनेट करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.

सवाल: ब्लड डोनेशन को लेकर आज भी कई तरह की भ्रांतियां हैं. ब्लड डोनेशन कैंप के माध्यम से लगातार लोगों को अवेयर भी किया जा रहा है, लेकिन फिर भी लोगों में ब्लड डोनेशन करने को लेकर एक झिझक होती है लोग आज भी कतराते हैं ?

नोमान अकरम: ब्लड डोनेशन को लेकर जागरूकता की सख्त जरूरत है. ब्लड डोनेशन को लेकर भ्रांति जो लोगों के दिल और दिमाग में बैठी हुई है उसको दूर करना जरूरी है. सबसे ज्यादा लोगों को लगता है कि हमारा क्या होगा. मैंने ब्लड दूसरों को दिया है मेरे को अगर जरूरत पड़ी तो मेरा क्या होगा. यह एक सवाल जो मन में रहता है,लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए. देखिए पूरी दुनिया को चलाने वाला एक ही ईश्वर है. वह किसी हाल में आपको तन्हा नहीं छोड़ेगा. आपको इस चीज को यकीन होना चाहिए. आज अगर आप किसी के लिए अच्छा करेंगे तो कल आपका भी अच्छा होगा. नौजवान पीढ़ी को तो मानव सेवा के लिए आगे आना जरूरी है. मानव सेवा में रक्तदान सबसे उच्च कोटि का दान माना जाता है. रक्तदान देने से किसी के जिंदगी बचती है तो यह सबसे बड़ा दान है. मैं यह बताना चाहूंगा कि रायपुर का एकमात्र मुस्लिम ब्लड बैंक मेरे तरफ स्थापित किया गया है. हर साल वहां ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया जाता है. हर साल सौ लड़के ब्लड डोनेट करते हैं. साल में दो मर्तबा इस तरह के कैंप लगते हैं. इसमें न केवल मुस्लिम समाज को बल्कि सभी समाज को ब्लड दिया जाता है. ऐसा कुछ नहीं है कि हम केवल मुसलमानों के लिए ही ब्लड डोनेट कर रहे हैं. दूसरे समाज के लिए उन्हें दिल से ब्लड डोनेट करते हैं. मुझे अफसोस है कि आज की नौजवान पीढ़ी थोड़ी सी भटकती हुई नजर आ रही है. वह नशे की गिरफ्त में जा रही है. वह उनसे दूर रहें, क्योंकि आप अगर नशे के आदी होते हैं तो आपका ब्लड आपके लिए तो उचित नहीं रहेगा. ऐसे में आप दूसरे को कैसे मदद कर सकते हैं.

गरियाबंद: मुक्के के वार से तोड़ चुके हैं एक लाख नारियल, 56 बार कर चुके हैं रक्तदान

सवाल: लंबे समय से ब्लड डोनेट करने के दरमियान आपको कई संस्थाओं और सरकार की ओर से भी सम्मानित किया गया है. आप स्पोर्ट्स से भी जुड़े हुए रहे हैं. महिला हॉकी को छत्तीसगढ़ ही नहीं देशभर में पहचान दिलाने वाले शख्सियत के रूप में जाने जाते हैं, ब्लड डोनेशन कितना इंपॉर्टेंट रखता है ?

खिलाड़ियों के लिए तो ब्लड डोनेशन बेहद जरूरी है. खिलाड़ी का तो धर्म है कि वह दूसरों की सेवा करे. खिलाड़ी पहचाना ही जाता है स्पोर्ट्समैन इज द बेस्ट एम्बेसडर. स्पोर्ट्समैन को चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा ब्लड डोनेट करे और करते भी हैं. मैं जब प्लेयर रहा हूं तो लगातार ब्लड डोनेट किया है. इसके बाद भी मैच खेला है. मुझे इसका बड़ा घमंड है और इसके लिए मैं ऊपर वाले का शुक्रगुजार भी हूं. जहां तक कि अवार्ड की बात है. वैसे मैं अवार्ड के लिए कभी कोशिश नहीं करता हूं. क्योंकि इतना हो गया कि कई मर्तबा मुझे सम्मान भी मिला है. कॉमनवेल्थ गेम्स में जब दिल्ली में हो रहा था, मैं वहां एंपायर था. बीच में एक दिन के लिए मैं रायपुर आया था. उस वक्त राज्यपाल शेखर दत्त जी थे, उन्होंने मुझे सम्मानित किया था. एक बार स्वास्थ्य मंत्री रहे अजय चंद्राकर ने भी मुझे सम्मान दिया था. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से मुझे ब्लड डोनेशन करने के लिए सम्मानित किया जा चुका है. रमजान में रोजा रखने के बाद भी मैंने ब्लड डोनेट किया है. मुझे रेडक्रॉस की ओर से भी सम्मानित किया चुका है. कई ब्लड बैंकों ने मुझे सम्मानित किया है. सबसे बड़ी चीज है यह है उन मरीजों की दुआएं, जिन्होंने मैंने कभी कभी ब्लड डोनेट किया है. वह पूंजी मेरी ऐसी पूंजी है जिसका कोई मोल नहीं है.

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