रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग अध्यक्ष किरणमयी नायक से ईटीवी भारत ने खास बातचीत (ETV bharat exclusive conversation with KiranMayee Nayak) की. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि "समय के साथ आयोग के काम में भी नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है. कोरोनाकाल के दौरान आयोग ने वाट्सएप के माध्यम से आवेदन लेने की शुरुआत की थी. यह प्रयोग काफी सफल रहा. आयोग में जल्द ही वेबसाइट के माध्यम से भी आवेदन लिया जाएगा. वेबसाइट से ही मामले की जानकारी दोनों पक्ष को दी जाएगी." राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है. किरणमयी नायक पहले रायपुर नगर निगम की मेयर थीं. (chairperson of Chhattisgarh Womens Commission )
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर बेवाकी से जवाब दिया. आइए सवाल-जवाब के माध्यम से जानते हैं कि उन्होंने कैसे कोरोनाकाल में लोगों की समस्या का निपटान किया?
सवाल: कोरोनकाल चुनौती से भरा था. इस दौरान छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने अत्यधिक शिकायतों का निदान किया. ये कैसे संभव हो पाया?
जवाब : कोरोनाकाल के दौरान दो-तीन माह तो पूरा लाकडाउन था. उसके बाद जब ऑफिस वर्क शुरू हुआ, उस बीच मेरी नियुक्ति आयोग के अध्यक्ष के तौर पर हुई. पेंडिंग मामलों की सुनवाई करने की शुरुआत हमने रायपुर से की थी. यदि हम पूरे प्रदेश भर के लोगों को रायपुर बुलाते तो पक्षकारों को असुविधा होती. इसलिए हमने तय किया कि जिस जिले की शिकायतें हैं, उसी जिले में जाकर कैंप लगाकर हम सुनवाई करेंगे. हमने ऐसा ही किया. रायपुर से महिला आयोग की टीम जाती थी और प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में कैंप लगाया. इससे जिलों के पेंडिंग आवेदनों का निपटारा तेजी से हुआ. हमें इस काम के लिए एप्रिसिएशन भी मिला. हमारा हौसला भी बढ़ा. पहले हम 15 से 20 केस की सुनवाई करते थे, संख्या बढ़कर 30 से 40 केस तक पहुंच गई.
जिलों में सुनवाई का फायदा यह हुआ कि दोनों पक्षों के लिए जिला मुख्यालय पहुंचना आसान था. दोनों पक्षों में समझौते की हमने तेजी से पहल की. उसका परिणाम भी काफी सकारात्मक रहा. जब मैंने राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया, तब आयोग में 582 पेंडिंग मामले थे. मुझे लगा था कि तेजी से काम करने पर पेंडिंग मामले जल्द समाप्त हो जाएंगे. लेकिन हमने जितनी तेजी से काम किया, उसी तेजी से हमारे पास नए मामले भी आने लगे. कोरोनाकाल में कोर्ट में मामले पेंडिंग थे. लोगों की सुनवाई नहीं हो रही थी. नए आवेदकों को लगा कि वे हमारे आयोग में आवेदन लगा सकते हैं. इससे आयोग में आवेदनों की संख्या काफी बढ़ी. आयोग में मेंटेनेंस, डाउरी, संपत्ति, भरण-पोषण के मामले आने लगे. आयोग में पक्षकारों को एक रुपए का भी खर्च नहीं लगता. दो से तीन बार की सुनवाई के बाद हमारे यहां कोशिश होती है कि मामला सुलझ जाए.
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सवाल : क्या आपको लगता है कि पीड़ित महिलाओं का भरोसा भी आयोग ने जीता है? क्या यही वजह है कि शिकायतों की संख्या बढ़ी है?
जवाब : यह बात बिल्कुल सही है. छत्तीसगढ़ के सभी जिलों का कम से कम हम दो बार दौरा हम कर चुके हैं. कुछ जिलों में तो 4 से 5 बार तक सुनवाई हो चुकी है. इससे महिलाओं के खर्च बच रहे हैं. उन्हें न वकील लगाना है और ना ही कोई फीस जमा करनी है. सबसे बड़ी बात हमारे आयोग के फैसले को पक्षकार मानते भी हैं. शुरुआत में ऐसी भ्रांति थी कि महिला आयोग को आदेश देने की पात्रता नहीं है. आयोग के आदेश का क्रियान्वयन नहीं होता. यह धारणा भी लोगों की टूटी. जिलों के कलेक्टर और एसपी सुनवाई के दौरान आयोग के साथ बैठते हैं. इससे कई मामलों का निराकरण तत्काल हो जाता है.
सवाल : फिलहाल पेंडिंग मामलों की क्या स्थिति है? क्या आयोग नई तकनीकों का भी इस्तेमाल कर रहा है?
जवाब : मामले खत्म नहीं हो सकते. अभी भी हमारे यहां लगभग 15 सौ से ज्यादा मामले पेंडिंग है. हालांकि हमने 2 हजार से अधिक मामलों का निपटारा भी किया गया है. दूसरी बात सोशल मीडिया का जमाना है. कोरोनाकाल के दौरान महिलाएं शिकायत करने आयोग तक नहीं पहुंच सकती थीं. चिट्ठी के माध्यम से भी शिकायत करना संभव नहीं था. तब हमने वाट्सएप कॉल सेंटर की शुरुआत की. 8 मार्च महिला दिवस के अवसर पर इस सेंटर को शुरू किया गया. तभी से हम वाट्सएप के माध्यम से भी आवेदन लेते हैं. इसके बहुत अच्छे परिणाम भी सामने आ रहे हैं. अब हम अपने वेबसाइट को अपडेट कर रहे हैं. इसी माह हम इस काम को भी पूरा कर लेंगे. वेबसाइट में ऑनलाइन आवेदन लेने की प्रक्रिया के साथ केस के स्टेटस की सूचना भी आवेदक महिलाओं और पक्षकारों को दी जाएगी.
सवाल : महतारी न्याय रथ किस तरह संचालित होगी?
जवाब : महिला आयोग के पास बजट की कमी रहती है. यही कारण है कि हमने जिलों के डीएमएफ फंड से कुछ राशि महिला आयोग को देने का अनुरोध किया था. इसमें सरकार की स्वीकृति मिल गई है. अभी 4 से 5 जिलों का बजट हमारे पास आ चुका है. इस बजट को हम उन्हीं जिलों में महतारी न्याय रथ के माध्यम से खर्च करेंगे. महिलाओं को जागरूक करने के लिए महतारी न्याय रथ एक नया कांसेप्ट है. रथ में एलईडी स्टैंड के साथ दो वकील रहेंगे. जो महिलाओं से बात करेंगे. एलईडी स्क्रीन पर महिलाओं की समस्याओं से जुड़ी शॉर्ट मूवीस भी दिखाई जाएंगी. इस रथ के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने की हमारी योजना है.