रायपुर : छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर परवानी ने हाल ही में अपना एक वर्ष का कार्यकाल पूरा किया (Amar Parwani President of Chhattisgarh Chamber of Commerce) है. इस दौरान उनकी क्या उपलब्धियां रहीं ? परवानी कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी हैं. वे जीएसटी का विरोध क्यों करते हैं ? और ऑन लाइन शॉपिंग को लेकर उनकी क्या राय है ? ईटीवी भारत ने, उनसे खास बातचीत की. आइये जानते हैं क्या कहा अमर परवानी ( Southeast Asia largest wholesale corridor) ने
सवाल : छत्तीसगढ़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में आपने एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. इस दौरान आपकी उपलब्धियां और चुनौतियां क्या रहीं ?
जवाब : हम लगातार व्यापारी हित में पिछले 1 साल से काम कर रहे हैं. चैंबर का काम व्यापारियों और सरकार के बीच सेतु की तरह होता है. कोविड काल में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में सरकार के साथ मिलकर हमने भी सहभागिता निभाई. इसी वजह से छत्तीसगढ़ के बाजार, सबसे पहले खुले. चैम्बर के सदस्यों ने पूरे प्रदेश में संकल्प लिया कि मैं, मेरा परिवार और मेरे कर्मचारी सभी को वैक्सीन लगवाना है. स्टाफ के परिवार का भी हमने वैक्सीनेशन करवाया. हमारे काम की मुख्यमंत्री ने भी तारीफ की. इससे उनका भरोसा भी चेम्बर के प्रति बढ़ा.
सवाल : क्या है होलसेल कॉरिडोर ? कहाँ बनाया जाएगा ?
जवाब : रायपुर में होलसेल मंडी बनाने के लिए, हमने सीएम साहब को प्रपोजल दिया था. जब प्रदेश के सभी होलसेलरों का सपोर्ट मिला, तब शासन के सहयोग से हमने मंडी के लिए जमीन की तलाश शुरू की. व्यापारियों से मिले एप्लिकेशन के हिसाब से, होलसेल बाजार को व्यवस्थित बनाने के लिए करीब 750 से 800 एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी. यह मार्केट दुबई और चाइना के होलसेल मार्केट से भी बड़ा बनेगा. यह साउथ ईस्ट एशिया का सबसे बड़ा मार्केट रहेगा. हम प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. उम्मीद है अगले 10 से 15 दिनों में इसका, अनाउंसमेंट हो जाएगा कि होलसेल कॉरिडोर, रायपुर के किस इलाके में बनना है.
सवाल : जीएसटी की विसंगतियों को लेकर आप मुखर रहते हैं. जीएसटी में क्या विसंगतियां हैं ?
जवाब : जीएसटी को लेकर, हम लोगों के अंदर बहुत नाराजगी है. 2017 में भी मैंने अरुण जेटली जी से मुलाकात की थी. उस समय उनकी जो सोच, जीएसटी लाने की पीछे थी, और आज उसका जो स्वरूप है. वह बिल्कुल अलग हो गया है. इसमें तब से आज तक 1 हजार से अधिक बदलाव किए जा चुके हैं. बावजूद इसके किसी भी उद्योग या व्यापारी वर्ग को इसमें राहत नहीं मिली. व्यापारी के ऊपर ब्याज भी है, पेनाल्टी भी है. नियमों में 1 हजार चेंज होने के बाद भी, मोदी जी की सोच के विरुद्ध जीएसटी काम कर रहा है. ऑटोमोबाइल क्षेत्र में 28 प्रतिशत जीएसटी और सेस के साथ 50 प्रतिशत टैक्स लगता है. इसके पीछे की सोच यह थी कि सरकार गरीबों के लिए कई योजनाएं चलाती है, इसलिए अमीरों से ज्यादा टैक्स लेना पड़ता है. इस बात से हम कन्विंस थे. अभी यह हो रहा है कि आपको गरीबों से भी टैक्स चाहिए और व्यापारियों से भी ज्यादा टैक्स लेना है. यह उचित नहीं है. विदेशों में जीएसटी का सिर्फ एक स्लैब होता है. ऐसा ही हमारे देश में भी कर दिया जाए. दोहरी नीतियों का हम विरोध कर रहे हैं. पहले इन्कम टैक्स, डायरेक्ट टैक्स में आता था. बाकी टैक्स इनडायरेक्ट टैक्स होते थे. इनकम टैक्स को भी अब इनडायरेक्ट टैक्स बना दिया गया है. जीएसटी आने के बाद अगर मैंने किसी से सामान की खरीदी की, किसी कारणवश, उसने टैक्स नहीं भरा. ऐसी स्थिति में उसका टैक्स भी मुझे यानी खरीददार को भरना पड़ता है. इसका मतलब जीएसटी को, डायरेक्ट टैक्स बना दिया गया है. अभी यही क्लियर नहीं है, कि जीएसटी डायरेक्ट टैक्स है, या इनडायरेक्ट टैक्स. इससे भ्रम की स्थिति बनी हुई है.
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Body:सवाल : ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर आपकी क्या राय है ?
जवाब : हम ऑनलाइन शॉपिंग के विरोध में नहीं हैं. ऑनलाइन शॉपिंग, बिल्कुल होनी चाहिए. हम अपने व्यापारी भाइयों को भी, इसके लिए प्रेरित करते हैं. वर्ल्ड में जो चीजें हो रही है, वह छत्तीसगढ़ में हो ये हम भी चाहते हैं. हमारा विरोध उन मल्टीनेशनल कंपनियों से है, जो नियमों को ताक में रखकर, ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर, अपना प्रोडक्ट बेच रहे हैं. नियम के अनुसार ये कंपनियां, सिर्फ सर्विस प्रोवाइडर का काम कर सकती हैं. ये खुद का प्रोडक्ट नहीं बेच सकते. कड़ी फटकार और पेनाल्टी करने के बावजूद ऐसी कंपनियां, कम कीमतों में समान बेचकर कस्टमर को साधते हैं. इससे छोटे व्यापारियों को भारी नुकसान होता है.