रायपुर: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में वॉरियर्स बनकर उभरे जिले के आपातकालीन कोविड-19 कर्मचारियों ने सोमवार को पीपीई किट पहनकर कलेक्ट्रेट का घेराव किया. इन कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें नियमित काम पर रखा जाए और बकाया वेतन समय से दिया जाए. अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हुए कर्मचारियों ने कलेक्ट्रेट परिसर में जमकर नारेबाजी की और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम ज्ञापन सौंपा.
अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि पिछले 2 महीनों से उन्हें वेतन नहीं मिला है और इससे पहले ही उन्हें कार्यमुक्ति का नोटिस थमा दिया गया है. उन्होंने कहा, 'हमें वेतन तो समय से दिया जाना चाहिए. हम खुद अपने पैसे लगाकर काम कर रहे हैं. हमने कोरोना मरीजों का पूरा इलाज किया है. कोरोना के वक्त हम प्राइवेट नौकरियां छोड़कर सरकार की मदद के लिए आगे आए थे और आज वह हमें काम से निकाल रही है.'
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कोरोना महामारी के वक्त अस्थायी तौर पर कोविड-19 कर्मचारियों को 3 महीने के लिए सीएमएचओ कार्यालय द्वारा नियुक्त किया गया था. इसमें नर्स, डॉक्टर्स, माइक्रोबायोलॉजिस्ट, लैब, कंप्यूटर ऑपरेटर, वार्ड बाय समेत अन्य पद शामिल थे. कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने महामारी में अपनी जान को जोखिम में डालकर पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्य को निभाया है, लेकिन अब उनके सामने बेरोजगारी की स्थिति पैदा हो गई है.
प्रदर्शन में शामिल स्वास्थ्य कर्मचारी राकेश साहू ने कहा, 'जिस समय घर से कोई निकलना नहीं चाहता था, उस वक्त हमने शासन-प्रशासन का साथ दिया. ऐसी स्थिति में काम करने के बाद भी अब हमें घर का रास्ता दिखाया जा रहा है. हम जिन प्राइवेट अस्पतालों को छोड़कर आए थे, अब वहां भी हमारे लिए जगह नहीं हैं. इसलिए सरकार को हमारे लिए कुछ न कुछ करना चाहिए.'
अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो वह इसके लिए उग्र आंदोलन करेंगे.