रायपुर: अष्टम भाव को कुंडली का सर्वाधिक दोषपूर्ण भाव माना जाता है. क्योंकि अष्टम भाव त्रिक भाव में आता है. तीनों त्रिक भाव में भी अष्टम भाव सर्वाधिक दोषपूर्ण भाव है. यह आयु का भाव है. जीवन में मृत्यु का विचार भी इसी भाव से किया जाता है. अतः इस भाव में अगर कोई क्रूर ग्रह स्थित हो तो व्यक्ति का जीवन अत्यंत संघर्षमय हो जाता है. अष्टम भाव में शनि राहु केतु जैसे ग्रह भयानक बीमारियों से कष्ट देते हैं. कभी कभी ये घर मौत का कारण भी बनता जाता है. वहीं, शुभ ग्रह भी मृत्यु के कारक होते हैं.
इसलिए खराब माना जाता है आठवां भाग: ज्योतिषाचार्य महेंद्र कुमार ठाकुर के अनुसार आठवें भाव के ग्रहों को केवल खराब नहीं माना जाना चाहिए. क्योंकि इस भाव का कारक शनि है. वह न्याय के देवता है. इसलिए वे जातक को न्याय प्रदान करते हैं. पिछले जन्मों के उनके कर्मों के फल उन्हें प्रदान कर करते हैं. अतः जीवन में जितना संघर्ष होगा, जितना कष्ट होगा, जितनी यात्रा होगी, उतना ही हमारे पूर्व जन्मों के कर्म फल कटेंगे और अत्यधिक पीड़ा होने के कारण जातक फिर ईश्वर की शरण में चला जाता है. जो उसके महान राजयोग का कारक होता है.
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मिलता है गुप्त धन का लाभ: राजयोग भौतिक राजयोग नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक राजयोग है. वह सीधे ईश्वर से जुड़ जाता है. मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है. उसके कर्म अच्छे होने लग जाते हैं. जिसका लाभ उसे आगामी जीवन में मिलता है. दूसरी बात यह है राहु केतु शनि यहां पर गुप्त धन का भी लाभ कराते हैं. बीमा से, माइनिंग से जो आय होती है, उसका संबंध अष्टम भाव से ही होता है. ज्योतिष तंत्र मंत्र से जो आय होती है, उसका भी आंशिक श्रेय अष्टम भाव को जाता है. गुरु शुक्र बुध की दृष्टि यदि अष्टम भाव पर हो या फिर यह ग्रह अष्टम भाव में हो तो जातक की मृत्यु सुखद होती है, उसको मृत्यु का कष्ट नहीं होता. यह भी बहुत बड़ा राजयोग है. यह अष्टम भाव का विशेष फल है. अष्टम भाव का मंगल भी अचानक मृत्यु देता है. सूर्य को अष्टम भाव का दोष नहीं लगता.
अष्टम भाव के ग्रहों को देखकर न हो चिंतित: अष्टमी से कृष्ण पक्ष की सप्तमी तक का चंद्रमा जातक को उज्जवल भविष्य प्रदान करता है. इस प्रकार अष्टम भाव बुरा नहीं है, बल्कि इससे अनेक लाभ हैं. अष्टम भाव में ग्रहों को देखकर चिंतित नहीं होना चाहिए. अपना मनोबल नहीं गिराना चाहिए. अच्छे ज्योतिषी से इसका समाधान पूछ लेना चाहिए. भगवान कृष्ण के भगवान विष्णु के और भगवान शिव के मंत्रों का जाप इस दिशा में बहुत लाभकारी होता है. भगवान राम और हनुमान की उपासना भी इन कष्टों को कम करती है. व्यक्ति को कष्ट सहने की क्षमता प्रदान करती है.