रायपुर: कोरोना और लॉकडाउन ने पिछले 8 महीने से सभी त्योहारों को फीका करके रख दिया है. राजधानी रायपुर सहित पूरे प्रदेश में इस बार पटाखा बाजार में नरमी देखने को मिली है. कोरोना संकट काल में लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है. जिसकी वजह से राजधानी का पटाखा बाजार भी सुना नजर आया. धनतेरस और दीपावली के दिन पटाखों की बिक्री जरूर हुई, लेकिन पटाखा बाजार में अन्य सालों की तुलना में ग्राहक कम थे. पटाखा व्यापारियों का बिजनेस भी उम्मीद से कम हुआ. राजधानी सहित पूरे प्रदेश में दीपावली के समय पटाखा की बिक्री लगभग 90 करोड़ रुपये की हुआ करती थी, लेकिन इस बार यह कारोबार 8 से 10 करोड़ रुपये में सिमट गया.
कोरोना और लॉकडाउन का असर हर क्षेत्र में देखने को मिला है. इस बार दीपावली पर्व में पटाखा बाजार पर भी इसका असर साफ दिखाई पड़ा. ग्राहकों का साफ कहना था कि कोरोना की वजह से लोगों के पास पैसे की कमी है. बाजार में चाइना के पटाखे भी पूरी तरह से प्रतिबंधित थे. कुछ लोगों ने तो सिर्फ बच्चों की जिद की वजह से दीपावली पर्व में पटाखों की खरीदी की.
70 लोगों ने पटाखा दुकान के लाइसेंस के लिए किया था आवेदन
राजधानी रायपुर में पटाखा दुकानों की बात करें तो कई फटाका दुकाने स्थाई तौर पर साल भर रहती है. लेकिन दिवाली के समय कुछ जगहों पर अस्थाई तौर पर पटाखा की दुकान सजाई जाती है. इस साल लाखे नगर चौक पर पटाखा की मात्र 25 से 30 दुकानें सजाई गई थी. लेकिन यहां पर ग्राहकों की संख्या नहीं के बराबर देखने को मिली. इसके पहले यहां पर पटाखा की लगभग 180 दुकानें लगती थी जो इस साल दिखाई नहीं पड़ी.
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पिछले साल की तुलना में आधी से भी कम दुकाने ही लग पाई
पिछले साल राजधानी के मोतीबाग चौक पर पटाखा की लगभग 200 दुकानें लगी थी और लाखे नगर चौक पर 180 पटाखा की दुकान लगी हुई थी. लेकिन इस साल 70 पटाखा व्यापारियों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. जिसमें से महज 25 से 30 पटाखा व्यापारियों ने ही अपनी दुकानें लगाई. इन पटाखा दुकानों में स्वदेशी पटाखा ही उपलब्ध थे.
सुबह से शाम तक ग्राहकों के इंतजार में पटाखा व्यापारी
राजधानी के लाखे नगर चौक पर लगे फटाका दुकान के पटाखा व्यापारियों का कहना है कि इन दुकानों से रौनक गायब है. कुछ व्यापारी मानते हैं कि कोरोना की वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई. कुछ का कहना है कि मानो ऐसा लग रहा है कि किसी पिकनिक स्पॉट पर आकर पिकनिक मना रहे हैं. पटाखा व्यापारी ग्राहकों के इंतजार में थे की कब ग्राहक आए और उनके पटाखों की बिक्री हो. लेकिन सुबह से शाम तक गिनती के ग्राहक ही इन पटाखा दुकानों तक पहुंचे.
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पटाखा व्यापारियों ने 3 से 5 लाख रुपयों का ही लाया सामान
सामान्य दिनों में राजधानी में पटाखा बाजार लगभग 10 दिनों पहले सज जाया करता था. इस साल 5 दिन पहले ही पटाखा बाजार को सजाया गया था. लेकिन पटाखों की बिक्री नहीं होने से पटाखा व्यापारी भी मायूस नजर आए. सामान्य दिनों में एक पटाखा व्यापारी लगभग 12 से 15 लाख रुपयों की फटाका की खरीदी करते थे. लेकिन इस साल 3 से 5 लाख रुपये तक की फटाका की खरीदी की.