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संविलियन के लिए शिक्षाकर्मियों ने बनाई इस तरह की रंगोली, आप भी देखें - Sanvilian song release educationist

दिवाली पर प्रदेश सरकार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मियों ने कहीं संविलियन दीप जलाया, तो कहीं संविलियन की गुहार लगाती रंगोली बनाई. खबर में पढ़ें कब सरकार को भी झुकना पड़ा था शिक्षाकर्मीयों की इस मांग के आगे.

शिक्षाकर्मी इस तरह रंगोली बनाकर अपनी ओर खीच रहे सरकार का ध्यान
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Published : Oct 26, 2019, 8:17 AM IST

रायपुर : शिक्षाकर्मियों की सालों पुरानी मांग इस दिवाली पर अलग अंदाज में देखने को मिल रही है. शिक्षाकर्मियों ने हमेशा से अपने आंदोलनों को नए तरीके से कर सरकार को झुकाने का प्रयास किया है.

संविलियन रंगोली
संविलियन रंगोली

दिवाली पर प्रदेश सरकार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कराने के लिए शिक्षाकर्मियों ने कहीं संविलियन दीप जलाया, तो कहीं संविलियन की गुहार लगाती रंगोली बनाई. शिक्षण व्यवस्था को प्रभावित किए बिना ही नए-नए तरीके से सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं. प्रदेश भर के सोशल मीडिया में रंगोली और पेंटिग शेयर किए जा रहे हैं.

संविलियन रंगोली
संविलियन रंगोली

गाना रिलीज हुआ और रिंगटोन भी बनाया

महासमुंद के उत्तर कुमार कलेट ने संविलियन गीत बनाया है. गाने में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से संविलियन के लिए गुहार लगाई गई है. इसका ऑडियो सॉन्ग रिलीज करके शिक्षाकर्मियों ने अपना रिंगटोन भी बना बनाया है.

संविलियन रंगोली
संविलियन रंगोली

25 हजार शिक्षाकर्मियों की मांग
प्रदेश में 25 हजार शिक्षाकर्मी ऐसे हैं, जो वर्तमान में संविलियन से वंचित हैं. इस वक्त सभी पंचायत विभाग में सेवा दे रहे हैं और शिक्षा विभाग में संविलियन की राह देख रहे हैं. आने वाले बजट सत्र से पहले शिक्षाकर्मी माहौल को संविलियन के पक्ष में बनाने में लगे हैं.

संविलियन रंगोली
संविलियन रंगोली

पढे़ं : CM ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, धान का समर्थन मूल्य 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग की

रमन सिंह ने किया था ऐलान
साल 2018 के आंदोलन में शिक्षाकर्मी प्रदेश सरकार से अपनी बात मनवाने में कामयाब हुए थे पर मांग ऐलान के बाद भी पूरी नहीं हो सकी और अब प्रदेश में सरकार भी बदल चुकी है. दरअसल, 2018 में शिक्षाकर्मियों ने स्कूल से निकल कर जमीन की लड़ाई लडी थी. आंदोलन के खत्म होने बाद सोशल मीडिया में जंग जारी रही, जिसके बाद तात्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को मंच से शिक्षाकर्मियों के संविलियन का ऐलान करना पड़ा था, लेकिन अब सरकार बदल चुकी है, उनकी मांग अब तक पूरी नहीं हुई है.

रायपुर : शिक्षाकर्मियों की सालों पुरानी मांग इस दिवाली पर अलग अंदाज में देखने को मिल रही है. शिक्षाकर्मियों ने हमेशा से अपने आंदोलनों को नए तरीके से कर सरकार को झुकाने का प्रयास किया है.

संविलियन रंगोली
संविलियन रंगोली

दिवाली पर प्रदेश सरकार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कराने के लिए शिक्षाकर्मियों ने कहीं संविलियन दीप जलाया, तो कहीं संविलियन की गुहार लगाती रंगोली बनाई. शिक्षण व्यवस्था को प्रभावित किए बिना ही नए-नए तरीके से सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं. प्रदेश भर के सोशल मीडिया में रंगोली और पेंटिग शेयर किए जा रहे हैं.

संविलियन रंगोली
संविलियन रंगोली

गाना रिलीज हुआ और रिंगटोन भी बनाया

महासमुंद के उत्तर कुमार कलेट ने संविलियन गीत बनाया है. गाने में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से संविलियन के लिए गुहार लगाई गई है. इसका ऑडियो सॉन्ग रिलीज करके शिक्षाकर्मियों ने अपना रिंगटोन भी बना बनाया है.

संविलियन रंगोली
संविलियन रंगोली

25 हजार शिक्षाकर्मियों की मांग
प्रदेश में 25 हजार शिक्षाकर्मी ऐसे हैं, जो वर्तमान में संविलियन से वंचित हैं. इस वक्त सभी पंचायत विभाग में सेवा दे रहे हैं और शिक्षा विभाग में संविलियन की राह देख रहे हैं. आने वाले बजट सत्र से पहले शिक्षाकर्मी माहौल को संविलियन के पक्ष में बनाने में लगे हैं.

संविलियन रंगोली
संविलियन रंगोली

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रमन सिंह ने किया था ऐलान
साल 2018 के आंदोलन में शिक्षाकर्मी प्रदेश सरकार से अपनी बात मनवाने में कामयाब हुए थे पर मांग ऐलान के बाद भी पूरी नहीं हो सकी और अब प्रदेश में सरकार भी बदल चुकी है. दरअसल, 2018 में शिक्षाकर्मियों ने स्कूल से निकल कर जमीन की लड़ाई लडी थी. आंदोलन के खत्म होने बाद सोशल मीडिया में जंग जारी रही, जिसके बाद तात्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को मंच से शिक्षाकर्मियों के संविलियन का ऐलान करना पड़ा था, लेकिन अब सरकार बदल चुकी है, उनकी मांग अब तक पूरी नहीं हुई है.

Intro:कहीं जला संविलियन के नाम पर दीप तो कहीं बनी संविलियन रंगोली..... बघेल सरकार से संविलियन की गुहार वाला गाना भी छाया यूट्यूब पर .... अलग अलग तरीके से शिक्षाकर्मी कर रहे सरकार का ध्यानाकर्षण
Body:शिक्षाकर्मी हमेशा से अपने आंदोलनों के नए नए तौर-तरीकों के लिए जाने जाते हैं खासतौर से 2018 के आंदोलन में उन्होंने जो जो रास्ते अख्तियार किए थे वह सरकार के साथ-साथ अन्य कर्मचारी संगठनों और मीडिया द्वारा भी सराहे गए क्योंकि जमीन पर स्कूल बंद करके हुई लड़ाई और आंदोलन की शून्य में वापसी के बाद शिक्षाकर्मियों ने अपने आंदोलन को सोशल मीडिया के जरिए ऐसी धार दी की हड़ताल के दौरान संविलियन न कभी हुआ है न होगा कहने वाले मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को स्वयं अपने ही मुंह से मंच से शिक्षाकर्मियों के संविलियन का ऐलान करना पड़ गया । अब एक बार फिर शिक्षाकर्मी अपने नए-नए आंदोलनों के तौर तरीके से छाए हुए हैं और सरकार तक लगातार अपनी आवाज पहुंचा रहे हैं लोकवाणी में इसका जिक्र मुख्यमंत्री के समक्ष पहले ही हो चुका है तब शिक्षाकर्मियों ने संविलियन को लेकर सवालों के ढेर लगा दिए थे अब दीपावली के दौरान शिक्षाकर्मी नए-नए प्रयोग कर रहे हैं किसी ने संविलियन रंगोली सजाई है तो किसी ने संविलियन पेंटिंग बनाई है और तो और महासमुंद के उत्तर कुमार कलेट ने तो अपने स्वरों से सजा कर एक गीत ही तैयार कर दिया है जिसमें प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल से संविलियन करने के लिए गुहार लगाई गई है और बकायदा इसका ऑडियो सांग रिलीज करके संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मियों ने अपना रिंगटोन बना लिया है । कुल मिलाकर एक बार फिर आने वाले बजट सत्र से पहले शिक्षाकर्मी माहौल को संविलियन के पक्ष में बना रहे हैं और इस बार उन्हें उम्मीद है कि प्रदेश के मुखिया उन्हें निराश नहीं करेंगे ।
Conclusion: क्या कहना है संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मियों का
प्रदेश में 25000 शिक्षाकर्मी ऐसे हैं जो वर्तमान में संविलियन से वंचित हैं और पंचायत विभाग में सेवा दे रहे हैं और शिक्षा विभाग में संविलियन की राह ताक रहे है ऐसे में प्रदेश के मुखिया और सरकार का ध्यान आकर्षण करने के लिए हमारे साथी शिक्षण व्यवस्था को प्रभावित किए बिना नए-नए तरीकों से सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं । इसी कड़ी में महिला शिक्षाकर्मी साथियों ने संविलियन रंगोली सजाई है तो कई साथियों ने संविलियन के लिए पेंटिंग बनाई हैं महासमुंद के हमारे एक साथी ने संविलियन के नाम पर गाना बनाया है और हम सब की आवाज प्रदेश के मुखिया तक पहुंचाने की कोशिश की है । इन सब प्रयासों को हम ट्विटर फेसबुक के माध्यम से प्रदेश की जनता और सरकार तक भी पहुंचा रहे हैं और हमें पूरी उम्मीद है कि हमारी आवाज सरकार तक पहुंचेगी और सरकार इस पर जल्द ही निर्णय लेगी ।
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