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chhattisgarh liquor scam : झारखंड के उत्पाद सचिव और कमिश्नर को ईडी का नोटिस

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Published : Apr 17, 2023, 2:10 PM IST

छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड में सरकार ने शराब बेचना शुरू किया. इस दौरान एक बड़ा खेल ये हुआ कि झारखंड की शराब दुकानों से ब्रांडेड कंपनियों का माल गायब हो गया. ठीक वैसे ही जैसे छत्तीसगढ़ में हुआ. जिसके बाद घटिया क्वॉलिटी की शराब दुकानों में पहुंचने लगी.खास बात ये है कि झारखंड में शराब सप्लाई करने और बेचने का काम छत्तीसगढ़ की दो कंपनियों के पास था.ऐसे में जब ईडी ने पड़ताल की तो पाया कि शराब के सरकारीकरण और बिक्री में जमकर खेल हुआ है.लिहाजा अब ईडी ने झारखंड के उत्पाद कमिश्नर और सचिव को नोटिस भेजा है.

chhattisgarh liquor scam
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की आंच झारखंड तक पहुंची

रायपुर : ईडी का शिकंजा अब छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में और भी ज्यादा कसते जा रहा है. प्रदेश में शराब घोटाले को लेकर झारखंड के उत्पाद सचिव और आयुक्त को नोटिस भेजा है. जिसमें सीएसएमसीएल यानी स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ हुए करार को लेकर पक्ष रखने को कहा गया है. आपको बता दें कि वर्तमान में झारखंड राज्य के उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे और उत्पाद आयुक्त करन सत्यार्थी हैं. छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले की किंगपिन कहे जाने वाले अरुण त्रिपाठी और सिद्धार्थ सिंघानिया की भूमिका के बारे में ईडी ने पूछा है. ईडी झारखंड में शराब की खुदरा दुकानों के माध्यम से अवैध शराब की आपूर्ति करने के बिंदु पर छानबीन और जांच कर रही है.


क्या है पूरा मामला : छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का किंगपिन अरुण पति त्रिपाठी सीएसएमसीएल का एमडी था. जो अपने पार्टनर सिद्धार्थ सिंघानिया के साथ मिलकर झारखंड का भी काम देखता था. झारखंड में शराब के खुदरा व्यापार के लिए नियुक्त की गई मैनपावर एजेंसियों के लिए सिद्धार्थ सिंघानिया लाइजनर की भूमिका निभा रहा था. दोनों लोग अनवर ढेबर नाम के शख्स साथ मिलकर काम करते थे. अनवर ढेबर रायपुर के मेयर एजाज ढेबर का भाई है. झारखंड में शराब व्यापार के सरकारीकरण में अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी और सिद्धार्थ सिंघानिया की भूमिका मानी जा रही है.


झारखंड मे शराब का खेल :झारखंड में छत्तीसगढ़ घोटाले की तर्ज पर काम हुआ था. छत्तीसगढ़ की कंपनी के साथ मिलकर शराब के व्यापार का सरकारीकरण किया गया, उसके बाद छत्तीसगढ़ की तरह झारखंड की शराब दुकानों से ब्रांडेड कंपनी की शराब का वर्चस्व समाप्त किया गया. मैन पावर कंपनियों ने ब्रांडेड कंपनियों को माल बेचने के एवज में मोटा कमीशन मांगना शुरू कर दिया. इससे शराब दुकानों में निम्न क्वॉलिटी वाली शराब उपलब्ध कराई जाने लगी. इन सब बिंदुओं पर ईडी ने झारखंड उत्पाद विभाग के अधिकारियों से जवाब तलब करने के लिए नोटिस भेजा है.


कोरोना काल में भी उत्पादन : छत्तीसगढ़ में कोरोना काल के दौरान शराब की दुकान बंद थी.लेकिन बॉटलिंग प्लांट में उत्पाद होने और शराब की बिक्री चालू रहने के सबूत ईडी के हाथ लगे हैं. झारखंड में मई 2022 से शराब का थोक कारोबार छत्तीसगढ़ की दो कंपनियों को सौंपा गया था. ऐसा माना जा रहा है कि इन दोनों कंपनियों का संचालक अप्रत्यक्ष रूप से मेयर के भाई अनवर ढेबर है. दोनों कंपनियों की बैंक गारंटी के रूप में लगभग 36 करोड़ रुपए जब्त करने के बावजूद उन से काम लिया जा रहा था. राज्य की शराब दुकानों से छत्तीसगढ़ के अवैध शराब का कारोबार होने और इसमें झारखंड सरकार के पदाधिकारियों की संलिप्तता की आशंका को देखते हुए भी जांच हो रही है.

रायपुर : ईडी का शिकंजा अब छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में और भी ज्यादा कसते जा रहा है. प्रदेश में शराब घोटाले को लेकर झारखंड के उत्पाद सचिव और आयुक्त को नोटिस भेजा है. जिसमें सीएसएमसीएल यानी स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ हुए करार को लेकर पक्ष रखने को कहा गया है. आपको बता दें कि वर्तमान में झारखंड राज्य के उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे और उत्पाद आयुक्त करन सत्यार्थी हैं. छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले की किंगपिन कहे जाने वाले अरुण त्रिपाठी और सिद्धार्थ सिंघानिया की भूमिका के बारे में ईडी ने पूछा है. ईडी झारखंड में शराब की खुदरा दुकानों के माध्यम से अवैध शराब की आपूर्ति करने के बिंदु पर छानबीन और जांच कर रही है.


क्या है पूरा मामला : छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का किंगपिन अरुण पति त्रिपाठी सीएसएमसीएल का एमडी था. जो अपने पार्टनर सिद्धार्थ सिंघानिया के साथ मिलकर झारखंड का भी काम देखता था. झारखंड में शराब के खुदरा व्यापार के लिए नियुक्त की गई मैनपावर एजेंसियों के लिए सिद्धार्थ सिंघानिया लाइजनर की भूमिका निभा रहा था. दोनों लोग अनवर ढेबर नाम के शख्स साथ मिलकर काम करते थे. अनवर ढेबर रायपुर के मेयर एजाज ढेबर का भाई है. झारखंड में शराब व्यापार के सरकारीकरण में अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी और सिद्धार्थ सिंघानिया की भूमिका मानी जा रही है.


झारखंड मे शराब का खेल :झारखंड में छत्तीसगढ़ घोटाले की तर्ज पर काम हुआ था. छत्तीसगढ़ की कंपनी के साथ मिलकर शराब के व्यापार का सरकारीकरण किया गया, उसके बाद छत्तीसगढ़ की तरह झारखंड की शराब दुकानों से ब्रांडेड कंपनी की शराब का वर्चस्व समाप्त किया गया. मैन पावर कंपनियों ने ब्रांडेड कंपनियों को माल बेचने के एवज में मोटा कमीशन मांगना शुरू कर दिया. इससे शराब दुकानों में निम्न क्वॉलिटी वाली शराब उपलब्ध कराई जाने लगी. इन सब बिंदुओं पर ईडी ने झारखंड उत्पाद विभाग के अधिकारियों से जवाब तलब करने के लिए नोटिस भेजा है.


कोरोना काल में भी उत्पादन : छत्तीसगढ़ में कोरोना काल के दौरान शराब की दुकान बंद थी.लेकिन बॉटलिंग प्लांट में उत्पाद होने और शराब की बिक्री चालू रहने के सबूत ईडी के हाथ लगे हैं. झारखंड में मई 2022 से शराब का थोक कारोबार छत्तीसगढ़ की दो कंपनियों को सौंपा गया था. ऐसा माना जा रहा है कि इन दोनों कंपनियों का संचालक अप्रत्यक्ष रूप से मेयर के भाई अनवर ढेबर है. दोनों कंपनियों की बैंक गारंटी के रूप में लगभग 36 करोड़ रुपए जब्त करने के बावजूद उन से काम लिया जा रहा था. राज्य की शराब दुकानों से छत्तीसगढ़ के अवैध शराब का कारोबार होने और इसमें झारखंड सरकार के पदाधिकारियों की संलिप्तता की आशंका को देखते हुए भी जांच हो रही है.

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