रायपुर: छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लागू है. जिससे कई जिलों में आवागमन प्रभावित है. राजधानी रायपुर में भी पूर्ण लॉकडाउन लागू किया गया था. कोरोना महामारी का असर ट्रांसपोर्ट कारोबार पर दिखने लगा है. शुरुआती दिनों में ढाई महीने के लॉकडाउन से पूरा देश बंद था. जिसके बाद अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई. जिसके बाद यातायात खोला गया. लेकिन बार-बार हो रहे लॉकडाउन से ट्रांसपोर्टरों और कारोबारियों को काफी नुकसान सहना पड़ रहा है. ऐसे में ट्रक ड्राइवरों को भी काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.
पिछले 7 महीने से ट्रक ड्राइवरों की हालत इतनी खस्ता हो चली है कि उन्हें दाने-दाने के लिए मोहताज होना पड़ रहा है. हालांकि जब से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई है, तब से हालात में सुधार देखने को मिला है. जिससे दिन में एक वक्त का खाना ही ट्रक ड्राइवरों को नसीब हो पा रहा है. लेकिन ट्रक ड्राइवरों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति है. उन्हें घर चलाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ETV भारत ने राजधानी में जब ट्रक ड्राइवर से बात की तो कई तरह की परेशानियां सामने आई.
ट्रक ड्राइवरों की हालत खराब
ETV भारत को ट्रक ड्राइवरों ने बताया कि कोरोना काल के इस दौर में फिलहाल उनके घर की हालत ठीक नहीं है. घर चलाना इतना मुश्किल हो गया है कि कई दिनों से वह ट्रांसपोर्ट नगर में ही ट्रांसपोर्ट यूनियन क्लब में रह रहे हैं. घर में खाने तक के लिए पैसे नहीं है. आस पास के लोगों से चावल-दाल मांग कर घर चलाना पड़ रहा है. कई महीनों से काम प्रभावित है. ऐसे में पैसों की कमी से जूझ रहे हैं. ट्रांसपोर्ट का कारोबार अब भी प्रभावित हो रहा है. ड्राइवरों के साथ ही ट्रांसपोर्ट से जुड़े अन्य कर्मियों के हालात भी खराब हैं.
ट्रक ड्राइवर ने बताया कि 7 महीने पहले वह 6 से 7 ट्रिप दूसरे राज्यों में लगा लेते थे. जिससे उन्हें अच्छे पैसे मिल जाते थे. लेकिन अब मुश्किल से ही महीने में एक ट्रिप हो पा रहा है. जिससे घर चलाना काफी मुश्किल होता जा रहा है. साथ ही जब रास्ते में ट्रक में कुछ खराबी आ जाती है तो ट्रक ड्राइवरों को अपने पैसे से ही ट्रक को ठीक कराना पड़ता है. ट्रक ड्राइवरों की सरकार से मांग है कि सरकार ट्रक ड्राइवरों के बारे में भी कुछ सोचे और उन्हें राहत देने की कोशिश करे.