रायपुर: तकनीक की तरक्की ने हर क्षेत्र को अपग्रेड कर दिया है. ऑटोमोबाइल्स के क्षेत्र में आज की तारीख में अगर कम खर्च में ज्यादा पैसा किसी से कमाया जा रहा है, तो वह है ई-रिक्शा. राजधानी रायपुर में ऑटो रिक्शा के मुकाबले ई-रिक्शा का चलन पहले ज्यादा बढ़ गया है. पेट्रोल और डीजल के झंझट से मुक्त बैट्री से चलने वाले ई-रिक्शा के मालिक कोरोना महामारी के इस दौर में भी खुश हैं. कोरोना काल में ई-रिक्शा बेरोजगारों के लिए वरदान साबित हुई है.
ई-रिक्शा प्रदूषण से छुटकारा दिलाने का बेहतर विकल्प भी साबित हुई है. बिना आवाज किए और बिना धुआं उड़ाए यह सड़कों पर दौड़ती नजर आती है. सामान्य ऑटो रिक्शा के मुकाबले ई-रिक्शा का मेंटेनेंस और सर्विसिंग चार्ज में कम खर्च आता है. बेरोजगारी की मार झेल रहे युवा आज ई-रिक्शा चलाकर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. ई-रिक्शा की सबसे खास बात यह भी है कि इसे चलाने के लिए परिवहन विभाग से किसी परमिट या फिर फिटनेस सर्टिफिकेट की भी जरूरत नहीं पड़ती है.
ई-रिक्शा चालकों को होती है अच्छी आमदनी
राजधानी के ई-रिक्शा चालकों ने बताया कि 2-3 सालों से वे इस इलेक्ट्रिक ऑटो को चला रहे हैं, जिससे वे खुश हैं. इसे खरीदना भी आसान है, क्योंकि सरकार भी इसके लिए पैसे का योगदान देती है. इसे चलाकर उन्हें महीने में 10 से 15 हजार रुपए की आमदनी हो जाती है, जिससे वे परिवार का भरण-पोषण करते हैं. चालक बताते हैं कि उन्हें इसे मेंटेन करने में भी ज्यादा परेशानी नहीं होती. ग्राहक भी पेट्रोल-डीजल से चलने वाले ऑटो के मुकाबले ई-रिक्शा से यात्रा करना पसंद करते हैं.
राजधानी रायपुर में हैं ई-रिक्शा के शोरूम
इलेक्ट्रिक वाहन यानी ई-रिक्शा की मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी की बात की जाए तो देशभर में करीब 400 कंपनियां मौजूद हैं. राजधानी रायपुर में ई-रिक्शा के लगभग 40 कंपनियों के शोरूम हैं. राजधानी की सड़कों पर वर्तमान में करीब 3 हजार ई-रिक्शा दौड़ रही है. पेट्रोल और डीजल से चलने वाले ऑटो रिक्शा की तुलना में काफी सस्ते दामों पर ई-रिक्शा मिल रहे हैं. इसमें मेंटेनेंस और सर्विसिंग चार्ज भी कम लगता है. जिसकी वजह से रोजी-रोटी चलाने वाले अब ई-रिक्शा खरीद रहे हैं. ई-रिक्शा में 4 बैटरी लगी हुई है. चार्जर के माध्यम से इन बैटरियों को घरों में आसानी से चार्ज किया जा सकता है.
6 घंटे चार्ज करने की जरूरत
ई-रिक्शा चालक बताते हैं कि ई-रिक्शा को 6 घंटे चार्ज किया जाता है, जिसके बाद गाड़ी करीब 100 किलोमीटर तक दौड़ती है. लेकिन कई बार बैटरी खत्म हो जाने से उन्हें वापस अपने घरों तक पहुंचने में दिक्कत होती है. ई-रिक्शा में लगी 4 बैटरियों को चार्ज करने में लगभग 4 से 5 यूनिट बिजली की खपत होती है. जिसकी कीमत लगभग 30 रुपए से लेकर 35 रुपए तक होती है.
शहर में नहीं है ई-रिक्शा चार्जिंग प्वॉइंट
चालकों का कहना है कि राजधानी रायपुर में कहीं पर भी ई-रिक्शा चार्जिंग प्वॉइंट नहीं है, जिससे कई बार उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस पर ई-रिक्शा शोरूम के संचालक ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार के मुताबिक अकेले सिर्फ ई-रिक्शा के लिए चार्जिंग स्टेशन नहीं बनाए जाएंगे. इसका कारण यह है कि जितनी बड़ी जगह पेट्रोल पंप के लिए लगती है, उतनी ही जगह ई-रिक्शा चार्जिंग प्वॉइंट के लिए भी लगेगी. शासन का कहना है कि आने वाले दिनों में स्मार्ट सिटी के तर्ज पर जब इलेक्ट्रिक बसें और कारें आएंगी, उसी समय फिर चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे.
ई-रिक्शा का मेंटनेंस और सर्विसिंग चार्ज है किफायती
प्रति किलोमीटर माइलेज की बात की जाए, तो ई-रिक्शा में 1 किलोमीटर का लगभग 50 पैसा खर्च आता है, जबकि पेट्रोल और डीजल से चलने वाले ऑटो रिक्शा में प्रति किलोमीटर 3 रुपए से साढ़े तीन रुपए प्रति किलोमीटर खर्च आता है. 1 महीने में ई-रिक्शा में सर्विसिंग चार्ज या मेंटेनेंस का खर्च लगभग 250 से लेकर 300 रुपए तक का आता है, जबकि पेट्रोल और डीजल से चलने वाले ऑटो रिक्शा का 1 महीने का सर्विसिंग चार्ज 3 हजार रुपए से 3500 रुपए तक आता है. ये भी एक वजह है कि ज्यादातर चालकों का झुकाव ई-रिक्शा की तरफ हुआ है.
मुख्यमंत्री ई-रिक्शा सहायता योजना के तहत राज्य सरकार देती है राशि
फाइनेंस पर ई-रिक्शा खरीदने वालों को छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री ई-रिक्शा सहायता योजना अंतर्गत 50,000 रुपए की अनुदान राशि भी मिलती है. अलग-अलग कंपनियों के ई-रिक्शा 1 लाख 50 हजार रुपए से लेकर 1 लाख 80 हजार रुपए तक शोरूम में उपलब्ध हैं. ई-रिक्शा में कई एडवांस फीचर्स भी मौजूद हैं. जैसे रिवर्स कैमरा, म्यूजिक सिस्टम और मोबाइल रिचार्ज प्वॉइंट भी दिए गए हैं.
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बहरहाल कोरोना काल में ई-रिक्शा बेरोजगारों लिए वरदान साबित हुई है. ऐसे वक्त में जब सभी क्षेत्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, तब कम मेंटेनेंस और पर्यावरण को साफ रखने में मदद करने वाली ई-रिक्शा लोगों की रोजी-रोटी का साधन बनकर उभरी है.