रायपुरः जब भी हम रावण (Rawan) का नाम सुनते हैं तो एक राक्षस (Demon) की छवि उभर आती है. हालांकि बहुत कम लोग ऐसे हैं, जिन्हें ये पता है कि रावण राक्षस जरूर था. लेकिन वो एक महान पंडित (Pandit)भी था. रावण ने ही शिवतांडव स्त्रोत (Shivtandav Stotra) का निर्माण किया था.
रावण को भगवान श्री राम (Raam)का परम भक्त माना जाता है. कहते हैं कि अपनी भक्ति की परीक्षा के दौरान दशानन (Dashanan)ने अपने दसो सिर को भगवान शिव को अर्पित कर दिया था. जिससे भगवान शिव (Shiv)प्रसन्न हो गये और तब से रावण भगवान शिव का परम भक्त बन गया.
रावण एक महान कवि
इतना ही नहीं रावण एक महान कवि भी था. उसके लिखे कई ग्रंथ आज भी मौजूद हैं. लाल किताब में रावण द्वारा लिखे गये उपायों को आज के दौर में भी लोग अपनाते हैं. इतना ही नहीं रावण संहिता में रावण ने कई ऐसी औषधियों का वर्णन किया है, जिसके बारे में आज के चिकित्सक सोच भी नहीं सकते.
आत्मबल थी प्रबल
रावण भले ही राम से युद्ध के दौरान पूरी तरह से क्षीण हो गया था, लेकिन उसकी आत्मबल काफी प्रबल थी. उसे खुद पर यकीन था, कि वो युद्ध में टिका रहेगा. जब राम और रावण में युद्ध हुआ और उसमें रावण का भाई कुंभकरण और बेटा मेघनाथ मारा गया, तो भी उसने अपनी शक्तियों पर यकीन किया और युद्ध में टिका रहा.
लक्ष्मण को सिखाया राजनीति के गुण
बहुत ही कम लोग ये जानते हैं कि राम ने लक्ष्मण को रावण से राजनीति के गुण सीखने जाने के लिए कहा था. उस वक्त रावण ने लक्ष्मण से कहा कि हमेशा याद रखना शुभस्य शीघ्रम यानी कि शुभ काम को जितनी जल्दी हो कर लेना और जितना हो सके बुरा काम करने से बचना. इतना ही नहीं रावण ने लक्षम्ण को समझाया कि कभी अपने राज दूसरों से शेयर नहीं करने चाहिए. उसने ऐसा करके गलती की थी. रावण की मृत्यु का राज विभीषण को पता था और वही उसके अंत का कारण बना. रावण इसे अपने जीवन की बड़ी गलतियों में से एक मानता था.