रायपुरः भारत में कई जगहों पर राम ही नहीं बल्कि रावण की भी मूर्ति (Statue of ravana) है. इतना ही नहीं, इन जगहों पर रावण की पूजा (Worship of Ravana) भी की जाती है. मध्यप्रदेश के उज्जैन (Ujjain) जिले के एक गांव में रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि उसकी पूजा की जाती है. उज्जैन जिले का चिखली गांव के बारे में कहा जाता है कि रावण की पूजा नहीं करने पर गांव जलकर राख हो जाएगा. यही कारण है कि डर के मारे ग्रामीण यहां रावण दहन (Ravana dahan) नहीं करते बल्कि उसकी पूजा करते हैं.
खास तरीके से होती है रावण की पूजा
बात अगर उत्तर प्रदेश की करें तो यहां भगवान राम का जन्मस्थान है. हालांकि यहां भी बिसरख गांव में रावण का मंदिर बना हुआ है. यहां रावण की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि बिसरख रावण का ननिहाल था. बिसरख का नाम पहले विश्वेशरा था, जो रावण के पिता के नाम पर पड़ा था. साथ ही उत्तर प्रदेश के जसवंतनगर में दशहरे पर रावण की आरती उतार कर पूजा की जाती है. फिर उसे मार-मारकर टुकड़े कर उसके टुकड़े किए जाते हैं. इसके बाद लोग रावण के टुकड़ों को घर ले जाते हैं और तेरहवे दिन रावण की तेरहवीं भी की जाती है.
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मंदसौर के दामाद हैं रावण
वहीं, मध्यप्रदेश के मंदसौर जहां रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी का मायका था, वहां रावण की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि यहां की बेटी रावण से ब्याही गई थी, इसलिए यहां दामाद के सम्मान की परंपरा के कारण रावण के पुतले का दहन करने की बजाय उसे पूजा जाता है. इतना ही नहीं यहां रावण की मूर्ति बनी हुई है.
रावण को देवता के रूप में पूजा जाता है
इधर, महाराष्ट्र के अमरावती में रावण को भगवान की तरह पूजा जाता है. यहां गढ़चिरौली में आदिवासी समुदाय द्वारा रावण का पूजन होता है. दरअसल आदिवासियों का पर्व फाल्गुन, रावण की खास तौर से पूजा कर मनाया जाता है. कहा जाता है कि यह समुदाय रावण और उसके पुत्र को अपना देवता मानते हैं.
यहां रावण को मानते हैं महान पंडित
वहीं, राजस्थान के जोधपुर में भी रावण का मंदिर और उसकी प्रतिमा स्थापित है. कुछ विशेष समाज के लोग यहां पर रावण को पूजते हैं. इतना ही नहीं खुद को रावण का वंशज मानते हैं। इस स्थान को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. कुछ लोग इसे रावण का ससुराल बताते हैं. इधर दक्षिण भारत में रावण को विशेष रूप से पूजा जाता है. यहां ऐसा माना जाता है कि रावण परम ज्ञानी, पंडित होने के साथ शिवभक्त था. दक्षिण भारत के कुछ स्थानों पर रावण के इन्हीं गुणों के कारण वह पूजा जाता है.