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प्राइवेट स्कूल बंद होने के कारण RTE के तहत पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य खतरे में

आर्थिक मंदी के कारण छत्तीसगढ़ के कई प्राइवेट स्कूल बंद हो गए हैं. इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है. खासकर RTE के तहत पढ़ने वाले बच्चे की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. पैरेंट्स का कहना है कि इंग्लिश मीडियम में पढ़ने वाले बच्चों को हिंदी सरकारी मीडियम स्कूल में एडमिशन दिया जा रहा है. जो कि बच्चों के साथ न्याय नहीं है. हालांकि अधिकारी सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल में एडमिशन कराने का आश्वासन दे रहे हैं.

Due to the closure of private schools children studying in schools under rte are not able to study
प्राइवेट स्कूल बंद से बढ़ी परेशानी
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Published : Jun 30, 2021, 2:17 PM IST

Updated : Jun 30, 2021, 3:53 PM IST

रायपुर: कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन से कई क्षेत्र प्रभावित हुए हैं. एजुकेशन सेक्टर डेढ़ साल बाद भी पटरी पर लौट नहीं पाया है. आर्थिक तंगी के चलते राजधानी के लगभग 34 प्राइवेट स्कूल (private school of raipur) बंद हो गए हैं. इन स्कूलों में फीस देने वाले छात्रों के परिजनों ने स्कूल बंद होने के बाद ट्रांसफर सर्टिफिकेट ले लिया और दूसरों स्कूलों में अपने बच्चों का एडमिशन करा लिया. लेकिन जो छात्र RTE यानी राइट टू एजुकेशन के तहत इन स्कूलों में पढ़ाई कर रहे थे. उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है.

प्राइवेट स्कूल बंद से बढ़ी परेशानी

RTE के तहत अपने बच्चों को इंगलिश मीडियम (english medium) में पढ़ाने का सपना देखने वाले पैरेंट्स इन दिनों परेशान हैं. जिन स्कूलों में उन्होंने अपने बच्चों का एडमिशन कराया था, उनमें अब ताला लटका हुआ है. फोन करने के बाद भी स्कूल प्रबंधन जवाब नहीं दे रहा है. स्टूडेंट्स की ऑनलाइन क्लासेस भी नहीं चल रही हैं. अपने बच्चों का भविष्य इस तरह खराब होते देख पैरेंट्स शिक्षा विभाग के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं लेकिन वहां से उन्हें मुकम्मल जवाब नहीं मिल रहा है.

स्कूलों में नहीं हो रही ऑनलाइन पढ़ाई

कचना के रहने वाले शत्रुघ्न साहू ने बताया कि उनका बेटा यश साहू पिछले सत्र 2020-21 में SGM स्कूल कचना में क्लास 4TH में पढ़ता था. लेकिन पूरे साल स्कूल ने किसी तरह की ऑनलाइन क्लास नहीं ली. हालांकि फोन करने पर स्कूल प्रबंधन ऑनलाइन क्लास शुरू करने की ही बात कर रहा है. साथ ही ये भी कह रहे हैं कि पसंद ना आने पर वे बच्चे की TC ले सकते हैं. ऐसे में शत्रुघ्न अब अपने बेटे का RTE के तहत एडमिशन करवाने भटक रहे हैं.

कचना के ही रहने वाले कौशल साहू बताते हैं कि उनका बेटा मयंक साहू तीसरी और उनकी बेटी चेतना साहू पांचवीं में SGM स्कूल में पढ़ती है. बेटे का RTE के तहत एडमिशन हुआ था. जबकि बेटी की पढ़ाई की वे फीस दे रहे हैं. लेकिन साल भर से स्कूल नहीं लगने और ऑनलाइन क्लास नहीं होने के कारण उनके बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है.

इंग्लिश मीडियम में पढ़ने वाले बच्चों का हिंदी मीडियम में हो रहा एडमिशन

स्कूल शिक्षा विभाग के ऑफिस पहुंचे कई पैरेंट्स ने ETV भारत से बात की. उन्होंने बताया कि वे पिछले कई दिनों से अधिकारियों से अपनी परेशानी बता रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि जो प्राइवेट स्कूल बंद हुए हैं, वहां पढ़ने वाले RTE के स्टूडेंट्स का एडमिशन सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल में होगा. जिसे लेकर पैरेंट्स नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. उनका कहना है कि जो बच्चे इतने सालों तक इंग्लिश मीडियम में पढ़े हैं वे अब हिंदी मीडियम में कैसे पढ़ेंगे. पैरेंट्स से अपने बच्चों का एडमिशन इंग्लिश मीडियम में ही कराने की मांग की है.

स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रवेश देने की अपील

इस पूरे मामले पर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन (Private School Management Association) के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि कोरोना में आर्थिक तंगी के चलते बहुत से निजी स्कूल बंद हो गए हैं. लेकिन अब समस्या ये आ रही है कि जो बच्चे RTE के तहत प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं, उन्हें कहां प्रवेश दिया जाएगा. राजीव गुप्ता ने छत्तीसगढ़ सरकार से ऐसे इंग्लिश मीडियम स्कूल के बच्चों को स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रवेश देने की अपील की है.

DEO में हर रोज स्कूल बंद होने के पहुंच रहे आवेदन

राजीव गुप्ता ने बताया कि रायपुर में बंद हुए निजी स्कूलों का सरकारी आंकड़ा कम है. गैर आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यह संख्या 100 से भी ज्यादा है. लगातार प्राइवेट स्कूल बंद होने के कगार पर हैं. हर रोज जिला शिक्षा अधिकारी के ऑफिस में स्कूल बंद करने को लेकर आवेदन पहुंच रहे हैं.

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन, 1 जुलाई से स्कूल खोलने की मांग

निजी स्कूलों को मिले आर्थिक सहायता

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि ऐसे स्कूल जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, उन्हें आर्थिक सहयोग करें. जिससे उन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य प्रभावित ना हो.

इस पूरे मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा से ETV भारत ने भी सवाल किया. जिस पर उन्होंने कहा कि RTE के तहत पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई स्कूल बंद होने पर भी बाधित नहीं होगी. ऐसे बच्चों को सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रवेश दिलाया जाएगा.

कोरोना और लॉकडाउन: बंद होने की कगार पर छत्तीसगढ़ के सैकड़ों स्कूल, कैसे दें सैलरी ?

ये हैं स्कूल बंद होने के कारण

  • लॉकडाउन के चलते प्राइवेट स्कूलों को आर्थिक नुकसान.
  • सरकार ने स्कूलों से सिर्फ ट्यूशन फीस लेने को कहा. जिससे व्यवस्थाएं बिगड़ी और उन्हें स्कूल बंद करने पर मजबूर होना पड़ा.
  • लॉकडाउन के कारण कई लोगों की नौकरी गई, जिससे उन्हें स्कूल की फीस देने में असमर्थता जताई.
  • सिर्फ 30 से 40 प्रतिशत पालकों ने ही स्कूल की फीस जमा की.

प्राइमरी में एडमिशन नहीं

स्कूल बंद होने का कारण यह भी है कि कोरोना संक्रमण के चलते नए प्राइमरी क्लास में एडमिशन नहीं हो रहे हैं. जिससे स्कूल को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. एक तरफ बच्चे स्कूल पूरा करके स्कूल छोड़कर जा रहे हैं लेकिन दूसरी ओर एडमिशन में कमी है. संक्रमण के डर से परिजन अपने बच्चों को स्कूल में भर्ती नहीं करवा रहे हैं.

लोन और EMI का बोझ

बंद होने वाले प्राइवेट स्कूलों में ज्यादातर स्कूल किराए के बिल्डिंग पर चल रहे थे. जिससे उन्हें हर महीने किराया देना पड़ रहा था. वहीं कई स्कूल बिल्डिंग लोन पर है. जिससे हर महीने बैंक को EMI देनी पड़ रही है. लोन की EMI और बसों की किस्त जमा करने में भी कोई रियायत नहीं दी गई. जिससे स्कूल प्रबंधन पर टीचर्स और दूसरे स्टाफ की सैलरी देने के साथ ही EMI का बोझ ज्यादा पड़ा. जिससे भी कई स्कूल बंद हो गए.

रायपुर: कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन से कई क्षेत्र प्रभावित हुए हैं. एजुकेशन सेक्टर डेढ़ साल बाद भी पटरी पर लौट नहीं पाया है. आर्थिक तंगी के चलते राजधानी के लगभग 34 प्राइवेट स्कूल (private school of raipur) बंद हो गए हैं. इन स्कूलों में फीस देने वाले छात्रों के परिजनों ने स्कूल बंद होने के बाद ट्रांसफर सर्टिफिकेट ले लिया और दूसरों स्कूलों में अपने बच्चों का एडमिशन करा लिया. लेकिन जो छात्र RTE यानी राइट टू एजुकेशन के तहत इन स्कूलों में पढ़ाई कर रहे थे. उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है.

प्राइवेट स्कूल बंद से बढ़ी परेशानी

RTE के तहत अपने बच्चों को इंगलिश मीडियम (english medium) में पढ़ाने का सपना देखने वाले पैरेंट्स इन दिनों परेशान हैं. जिन स्कूलों में उन्होंने अपने बच्चों का एडमिशन कराया था, उनमें अब ताला लटका हुआ है. फोन करने के बाद भी स्कूल प्रबंधन जवाब नहीं दे रहा है. स्टूडेंट्स की ऑनलाइन क्लासेस भी नहीं चल रही हैं. अपने बच्चों का भविष्य इस तरह खराब होते देख पैरेंट्स शिक्षा विभाग के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं लेकिन वहां से उन्हें मुकम्मल जवाब नहीं मिल रहा है.

स्कूलों में नहीं हो रही ऑनलाइन पढ़ाई

कचना के रहने वाले शत्रुघ्न साहू ने बताया कि उनका बेटा यश साहू पिछले सत्र 2020-21 में SGM स्कूल कचना में क्लास 4TH में पढ़ता था. लेकिन पूरे साल स्कूल ने किसी तरह की ऑनलाइन क्लास नहीं ली. हालांकि फोन करने पर स्कूल प्रबंधन ऑनलाइन क्लास शुरू करने की ही बात कर रहा है. साथ ही ये भी कह रहे हैं कि पसंद ना आने पर वे बच्चे की TC ले सकते हैं. ऐसे में शत्रुघ्न अब अपने बेटे का RTE के तहत एडमिशन करवाने भटक रहे हैं.

कचना के ही रहने वाले कौशल साहू बताते हैं कि उनका बेटा मयंक साहू तीसरी और उनकी बेटी चेतना साहू पांचवीं में SGM स्कूल में पढ़ती है. बेटे का RTE के तहत एडमिशन हुआ था. जबकि बेटी की पढ़ाई की वे फीस दे रहे हैं. लेकिन साल भर से स्कूल नहीं लगने और ऑनलाइन क्लास नहीं होने के कारण उनके बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है.

इंग्लिश मीडियम में पढ़ने वाले बच्चों का हिंदी मीडियम में हो रहा एडमिशन

स्कूल शिक्षा विभाग के ऑफिस पहुंचे कई पैरेंट्स ने ETV भारत से बात की. उन्होंने बताया कि वे पिछले कई दिनों से अधिकारियों से अपनी परेशानी बता रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि जो प्राइवेट स्कूल बंद हुए हैं, वहां पढ़ने वाले RTE के स्टूडेंट्स का एडमिशन सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल में होगा. जिसे लेकर पैरेंट्स नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. उनका कहना है कि जो बच्चे इतने सालों तक इंग्लिश मीडियम में पढ़े हैं वे अब हिंदी मीडियम में कैसे पढ़ेंगे. पैरेंट्स से अपने बच्चों का एडमिशन इंग्लिश मीडियम में ही कराने की मांग की है.

स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रवेश देने की अपील

इस पूरे मामले पर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन (Private School Management Association) के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि कोरोना में आर्थिक तंगी के चलते बहुत से निजी स्कूल बंद हो गए हैं. लेकिन अब समस्या ये आ रही है कि जो बच्चे RTE के तहत प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं, उन्हें कहां प्रवेश दिया जाएगा. राजीव गुप्ता ने छत्तीसगढ़ सरकार से ऐसे इंग्लिश मीडियम स्कूल के बच्चों को स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रवेश देने की अपील की है.

DEO में हर रोज स्कूल बंद होने के पहुंच रहे आवेदन

राजीव गुप्ता ने बताया कि रायपुर में बंद हुए निजी स्कूलों का सरकारी आंकड़ा कम है. गैर आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यह संख्या 100 से भी ज्यादा है. लगातार प्राइवेट स्कूल बंद होने के कगार पर हैं. हर रोज जिला शिक्षा अधिकारी के ऑफिस में स्कूल बंद करने को लेकर आवेदन पहुंच रहे हैं.

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन, 1 जुलाई से स्कूल खोलने की मांग

निजी स्कूलों को मिले आर्थिक सहायता

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि ऐसे स्कूल जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, उन्हें आर्थिक सहयोग करें. जिससे उन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य प्रभावित ना हो.

इस पूरे मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा से ETV भारत ने भी सवाल किया. जिस पर उन्होंने कहा कि RTE के तहत पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई स्कूल बंद होने पर भी बाधित नहीं होगी. ऐसे बच्चों को सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रवेश दिलाया जाएगा.

कोरोना और लॉकडाउन: बंद होने की कगार पर छत्तीसगढ़ के सैकड़ों स्कूल, कैसे दें सैलरी ?

ये हैं स्कूल बंद होने के कारण

  • लॉकडाउन के चलते प्राइवेट स्कूलों को आर्थिक नुकसान.
  • सरकार ने स्कूलों से सिर्फ ट्यूशन फीस लेने को कहा. जिससे व्यवस्थाएं बिगड़ी और उन्हें स्कूल बंद करने पर मजबूर होना पड़ा.
  • लॉकडाउन के कारण कई लोगों की नौकरी गई, जिससे उन्हें स्कूल की फीस देने में असमर्थता जताई.
  • सिर्फ 30 से 40 प्रतिशत पालकों ने ही स्कूल की फीस जमा की.

प्राइमरी में एडमिशन नहीं

स्कूल बंद होने का कारण यह भी है कि कोरोना संक्रमण के चलते नए प्राइमरी क्लास में एडमिशन नहीं हो रहे हैं. जिससे स्कूल को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. एक तरफ बच्चे स्कूल पूरा करके स्कूल छोड़कर जा रहे हैं लेकिन दूसरी ओर एडमिशन में कमी है. संक्रमण के डर से परिजन अपने बच्चों को स्कूल में भर्ती नहीं करवा रहे हैं.

लोन और EMI का बोझ

बंद होने वाले प्राइवेट स्कूलों में ज्यादातर स्कूल किराए के बिल्डिंग पर चल रहे थे. जिससे उन्हें हर महीने किराया देना पड़ रहा था. वहीं कई स्कूल बिल्डिंग लोन पर है. जिससे हर महीने बैंक को EMI देनी पड़ रही है. लोन की EMI और बसों की किस्त जमा करने में भी कोई रियायत नहीं दी गई. जिससे स्कूल प्रबंधन पर टीचर्स और दूसरे स्टाफ की सैलरी देने के साथ ही EMI का बोझ ज्यादा पड़ा. जिससे भी कई स्कूल बंद हो गए.

Last Updated : Jun 30, 2021, 3:53 PM IST
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