रायपुर: शायद हमारे देश के किसानों के नसीब में अधिकतर चिंताएं और परेशानियां ही लिखी हैं. कभी प्राकृतिक आपदा की मार तो कभी मानवजनित संकट के कारण किसानों की पेशानी में बल पड़ जाते हैं. अब नई मुसीबत बनकर उभरा है कोरोना वायरस, जिसके कारण हुए लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है.
पहले तो किसान बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण खराब हुई फसल के कारण परेशान थे, ऊपर से अब कोरोना वायरस की मार. दरअसल देश में चल रहे लॉकडाउन से गरीब किसानों को कोई खास मतलब नहीं है, उसे बस चिंता है तो उसकी फसल की, क्योंकि इस लॉकडाउन के कारण उसकी खेतों में खड़ी फसल की कटाई नहीं हो पा रही है.
पहले बेमौसम बारिश
प्रदेश के कई इलाकों में रबी की फसल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण पूरी तरह खराब हो गई है. चना, गेहूं, मसूर, तिवड़ा की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. दलहन की फसल भी ओलावृष्टि के कारण पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. हालत ये है कि चने में दाने तक नहीं निकले हैं और यदि किसी में दाने आ भी गए हैं, तो वो भी काले पड़ गए हैं.
किसान विमल के मुताबिक दिसंबर से लगातार बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के चलते उनकी गेहूं और चने की फसल को बहुत नुकसान हुआ है, जिसे झेल पाना काफी मुश्किल हो रहा है. किसानों ने ETV भारत को बताया कि उनकी रबी की फसल नगदी फसल होती है, क्योंकि इसी से किसानों के हाथों में पैसा आता है, जिससे वे खरीफ की फसल की खेती में जुटते हैं, लेकिन अब उनके हाथ पूरी तरह खाली हो चुके हैं. किसानों ने शासन-प्रशासन से नुकसान का मुआवजा और मदद देने की मांग की है.
अब कोरोना और लॉकडाउन का असर
देशभर के साथ ही प्रदेश में हुआ लॉकडाउन किसानों पर काफी भारी पड़ रहा है. राजधानी रायपुर के कई क्षेत्रों में किसानों की रबी की फसल खेतों में तैयार खड़ी है, लेकिन लॉकडाउन के कारण इसकी कटाई नहीं हो पा रही है. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के चलते मजदूर घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं, जिससे किसानों की फसल की कटाई नहीं हो पा रही है.
कृषि वैज्ञानिकों ने भी माना है कि इसके परिणाम दूरगामी और भयावह हो सकते हैं. ETV भारत से चर्चा करते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ. संकेत ठाकुर ने बताया कि प्रदेश में कोरोना के चलते सब्जी किसान बुरी तरह प्रभावित हैं. संकेत ठाकुर के मुताबिक प्रदेश में करीब 4 लाख हेक्टेयर में सब्जी उगाई जाती है, जो खेतों में तैयार खड़ी है, मजदूर नहीं मिलने से किसान औने-पौने दामों में अपनी सब्जियां बेचने को मजबूर है. वहीं 12 लाख हेक्टेयर में बोई गई चना और गेहूं की फसल पर भी बेमौसम बारिश के बाद अब कोरोना की मार पड़ी है.
कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो इसका असर आगामी खरीफ फसल पर भी दिखने लगा है, क्योंकि खरीफ फसल के लिए भी बीज के उत्पादन का सही समय मार्च-अप्रैल ही होता है, लेकिन लॉकडाउन के कारण प्रोसेसिंग पूरी तरह से रुक गई है, जिससे खरीफ फसल के लिए भी किसानों को सही समय पर बीज मिलना मुश्किल हो गया है. किसान संगठनों के पदाधिकारी भी सरकार से इस भीषण आपदा में किसानों के लिए राहत की मांग कर रहे हैं. पदाधिकारियों के मुताबिक एक फसल के नुकसान की भरपाई में किसानों को 2 साल लग जाते हैं, लेकिन इस समय किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है, जिसके लिए सरकार को आगे आना होगा.