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मेडिसिनल प्लांट बोर्ड की नई समिति का गठन, डॉ राजाराम त्रिपाठी बने सदस्य

25 सदस्यीय समिति में छत्तीसगढ़ के औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसान डॉ राजाराम त्रिपाठी को बतौर सदस्य नियुक्त किया गया है. राजाराम त्रिपाठी छतीसगढ़ के पहले किसान हैं, जिन्हें मेडिसिनल प्लांट बोर्ड में सदस्य के तौर पर नियुक्त किया गया है.

Dr Rajaram Tripathi
राजाराम त्रिपाठी
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Published : Nov 16, 2020, 2:25 PM IST

रायपुर : भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत औषधीय पौधों की खेती, संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए मेडिसिनल प्लांट बोर्ड की नई समिति का गठन किया है. 25 सदस्यीय समिति में छत्तीसगढ़ के औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसान डॉ राजाराम त्रिपाठी को बतौर सदस्य नियुक्त किया गया है. यह समिति औषधीय खेती को संरक्षित और प्रोत्साहित करती है. समिति का कार्यकाल अगले दो साल तक होगा.

Rajaram Tripathi became a member of Medicinal Plant Board
मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के सदस्य बने राजाराम त्रिपाठी
राजाराम त्रिपाठी छतीसगढ़ के पहले किसान हैं, जिन्हें मेडिसिनल प्लांट बोर्ड में सदस्य के तौर पर नियुक्त किया गया है. वे लंबे समय से जैविक और औषधीय खेती के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं और इनसे प्रेरित होकर हजारों की संख्या में किसानों ने इनकी खेती के मॉडल को अपनाया है. उन्होंने अब तक 7 लाख से ज्यादा औषधीय पौधे रोपे हैं. इसके साथ ही उन्होंने वनवासियों की परंपरागत वन औषधियों की दुर्लभ जातियों को एकत्र कर इथनो मेडिको हर्बल पार्क बनाया है.

पढ़ें: 'किसानों को नहीं कॉरपोरेट कंपनियों को मिलेगा कृषि सुधार अधिनियम का फायदा'


विलुप्त होने की कगार पर जड़ी-बूटियों की प्रजातियां

डॉ राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि भारत में जड़ी-बूटियों की आपूर्ति वनों से सर्वाधिक होती है, लेकिन जंगलों की कटाई के कारण कई सारी जड़ी-बूटियों की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए जरूरी है कि ऐसी नीति हो, जिससे जंगलों का वास्तविक रूप से विनाश विहीन दोहन किया जा सके. जिससे वनों की मौलिकता और उनका आस्तित्व बना रहे, साथ ही वहां से जड़ी-बूटियों का उत्पादन भी होता रहे.

जड़ी-बूटियों की खेती के लिए किया जाए प्रोत्साहित

इसके साथ ही बड़े पैमाने पर किसानों को जैविक पद्धति से हर्बल फार्मिंग का प्रशिक्षण देकर उन्हें जड़ी-बूटियों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए और देय सब्सिडी की सहज उपलब्धता की जाए. इससे किसानों की आय सचमुच में दोगुनी करने में जहां मदद मिलेगी, वहीं उत्पादित जड़ी-बूटियों के प्रसंस्करण ईकाई स्थापित कर भारी पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित किये जा सकेंगे. इस तरह आने वाले कुछ सालों में भारत दुनिया का 'हर्बल हब' बन कर उभरेगा.

रायपुर : भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत औषधीय पौधों की खेती, संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए मेडिसिनल प्लांट बोर्ड की नई समिति का गठन किया है. 25 सदस्यीय समिति में छत्तीसगढ़ के औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसान डॉ राजाराम त्रिपाठी को बतौर सदस्य नियुक्त किया गया है. यह समिति औषधीय खेती को संरक्षित और प्रोत्साहित करती है. समिति का कार्यकाल अगले दो साल तक होगा.

Rajaram Tripathi became a member of Medicinal Plant Board
मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के सदस्य बने राजाराम त्रिपाठी
राजाराम त्रिपाठी छतीसगढ़ के पहले किसान हैं, जिन्हें मेडिसिनल प्लांट बोर्ड में सदस्य के तौर पर नियुक्त किया गया है. वे लंबे समय से जैविक और औषधीय खेती के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं और इनसे प्रेरित होकर हजारों की संख्या में किसानों ने इनकी खेती के मॉडल को अपनाया है. उन्होंने अब तक 7 लाख से ज्यादा औषधीय पौधे रोपे हैं. इसके साथ ही उन्होंने वनवासियों की परंपरागत वन औषधियों की दुर्लभ जातियों को एकत्र कर इथनो मेडिको हर्बल पार्क बनाया है.

पढ़ें: 'किसानों को नहीं कॉरपोरेट कंपनियों को मिलेगा कृषि सुधार अधिनियम का फायदा'


विलुप्त होने की कगार पर जड़ी-बूटियों की प्रजातियां

डॉ राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि भारत में जड़ी-बूटियों की आपूर्ति वनों से सर्वाधिक होती है, लेकिन जंगलों की कटाई के कारण कई सारी जड़ी-बूटियों की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए जरूरी है कि ऐसी नीति हो, जिससे जंगलों का वास्तविक रूप से विनाश विहीन दोहन किया जा सके. जिससे वनों की मौलिकता और उनका आस्तित्व बना रहे, साथ ही वहां से जड़ी-बूटियों का उत्पादन भी होता रहे.

जड़ी-बूटियों की खेती के लिए किया जाए प्रोत्साहित

इसके साथ ही बड़े पैमाने पर किसानों को जैविक पद्धति से हर्बल फार्मिंग का प्रशिक्षण देकर उन्हें जड़ी-बूटियों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए और देय सब्सिडी की सहज उपलब्धता की जाए. इससे किसानों की आय सचमुच में दोगुनी करने में जहां मदद मिलेगी, वहीं उत्पादित जड़ी-बूटियों के प्रसंस्करण ईकाई स्थापित कर भारी पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित किये जा सकेंगे. इस तरह आने वाले कुछ सालों में भारत दुनिया का 'हर्बल हब' बन कर उभरेगा.

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