रायपुर: तेज रफ्तार जिंदगी और महंगी गाड़ियों के बीच हो सकता है कि साइकिल आज वह अहमियत नहीं रखती हो जो महंगी गाड़ियों की है. लेकिन आज भी एक ऐसा तबका है जिनके लिए एक अदद साइकल भी सपना है. आज भी ऐसे लोग है जो 2 जून की रोटी के लिए दिन भर मेहनत करते हैं और जैसे-तैसे अपना जीवन यापन करते हैं. इसी वर्ग के लोगों की भावनाओं और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इन्हें साइकिल देने का फैसला किया था.
कबाड़ हुई साइकिल
रायपुर में श्रम विभाग ने इसी योजना के तहत करीब 5 साल पहले दर्जनों साइकिल की खरीदी की और उसे बांटने के लिए निगम के सुपुर्द कर दिया. लेकिन निगम के जिम्मेदार अधिकारी 5 साल में इन साइकिलों को बांटना तो दूर इनकी गिनती भी नहीं कर पाए. यह साइकिल जोन क्रमांक 5 कार्यालय के छत पर सड़ रही है. 5 साल से खुले आसमान के नीचे पड़े होने के चलते ज्यादातर साइकिल कबाड़ हो चुकी है.
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अधिकारियों ने नहीं दिया जवाब
वहीं जब इस मामले में नगर निगम के अधिकारियों से सवाल किया गया तो वे जवाब देने से बचते नजर आए.