रायगढ़: छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. इससे बचाव के लिए लॉकडाउन लगाया गया था, लेकिन अनलॉक होते ही सभी जरूरी सामान की दुकानें खुल रही है,शासकीय कार्यालय खुल रहे हैं. ऐसे में लोग अपने घर से बाहर भी निकल रहे हैं. लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि आखिर कोरोना से बचें कैसे. सैनिटाइजर, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग कोरोना से बचाव के प्रभावी तरीके हैं.
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग लगातार लोगों को मास्क, सैनिटाइजर, सोशल डिस्टेंसिंग के लिए प्रेरित कर रहा है. लेकिन लोगों की लापरवाही रुकने का नाम नहीं ले रही है. कोरोना के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कोरोना संकट की वजह से दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों का रोजगार छिन गया है. इसमें ऑटो, रिक्शा, बस चलाने वाले लोग शामिल हैं. बस संचालकों ने बताया कि यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग के साथ सभी नियमों के पालन कराते हुए बसों में बिठाया जा रहा है.
रायगढ़ में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिले में लगभग 5 हजार कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं. जिसमें से अब तक 39 लोगों की जान जा चुकी है और 2277 मरीज डिस्चार्ज होकर अपने घर जा चुके हैं. रोजाना 200 से 250 नए मरीज सामने आ रहे हैं. ऐसे में प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही स्पष्ट नजर आ रही है. कोरोना से बचने के लिए लोगों को खुद जागरूक होना पड़ेगा.
पढ़ें- छत्तीसगढ़ में कोरोना बढ़ता रहा, भूपेश सरकार उत्सव मनाती रही : धरमलाल कौशिक
डॉक्टर प्रकाश मिश्रा का कहना है कि मास्क, सैनिटाइजर, सोशल डिस्टेंसिंग के सही से उपयोग करने वाले लोगों को कोरोना का खतरा कम हो जाता है. क्योंकि कोरोना एक दूसरे से फैलने वाली महामारी है. लिहाजा समय-समय पर हाथ धोते रहना एक दूसरे के संपर्क में ना आना और और नाक मुंह को ढक कर रखना जरुरी है. डॉक्टर का कहना है कि कोई भी व्यक्ति खुद से डॉक्टर बनने का प्रयास ना करें. हल्की सर्दी, बुखार या किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से परामर्श ले. अपनी मर्जी से दवाई लेना स्वास्थ्य के लिए और हानिकारक हो सकता है. लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द कोरोना की जांच करवाए. जिससे जल्दी इलाज मिल सके.
'पेट पालने के लिए घर से बाहर निकलना भी जरूरी'
कोरोना के बढ़ते संक्रमण से सबसे ज्यादा गरीब तबका प्रभावित हुआ है. दिहाड़ी मजदूरी करने वाले ऑटो और रिक्शा चालक बताते हैं कि पेट पालना मुश्किल हो गया है. कभी 400 से 500 तक का रोजाना कमा लेते थे. लेकिन अब 50-100 रुपए मिलना भी मुश्किल हो रहा है. उनके सामने घर चलाने के साथ ही खुद को संक्रमण से बचाने का भी चुनौती है. ऐसे में उनका कहना है कि वे मास्क, सैनिटाइजर और समय-समय पर हाथ धो रहे हैं. इसी से अब तक बचे हुए हैं. शासन की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिल पाई है. बस संचालकों ने कहा कि साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. यात्रियों के बैठने से पहले थर्मल स्क्रीनिंग की जाती है. उनके यात्रा का ब्यौरा लिया जाता है साथ ही आधार कार्ड और मोबाइल नंबर की फोटो कॉपी ली जाती है. ताकि किसी के संक्रमित होने के बाद सभी की पहचान की जा सके.