कोरबा: जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के प्राथमिक शाला तानाखार में पदस्थ सहायक शिक्षक सधवा बंजारे की कोरोना सर्वे ड्यूटी के दौरान मौत हो गई है. इस मामले में जो बात सबसे हैरान करने वाली है, वो ये कि मृतक शिक्षक 60 फीसदी दिव्यांग थे. वह अपने उच्च अधिकारियों से गुहार लगाते रहे कि उनकी ड्यूटी निरस्त की जाए, लेकिन निर्दई सिस्टम को उनकी दिव्यांगता भी नजर नहीं आई. आखिरकार सर्वे के दौरान 17 मई को बंजारे कोरोना संक्रमित हुए और इलाज के दौरान गुरुवार को उनकी मौत हो गई. मृतक शिक्षक सधवा बंजारे के 3 छोटे-छोटे बच्चे हैं. जिनके सिर से पिता का साया उठ चुका है. हालांकि अब उनकी मौत के बाद अधिकारी नींद से जागे और नया आदेश पारित कर दिव्यांगों, गर्भवतियों की ड्यूटी नहीं लगाने को कहा.
DEO के वर्चुअल आदेश से बनी ये परिस्थितियां
शिक्षक नेताओं ने इस घटना के बाद अपने ही विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. शिक्षक नेता प्रमोद राजपूत का कहना है कि हाल ही में जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडे ने वर्चुअल मीटिंग के दौरान प्राचार्यों को निर्देश दिया कि यदि शिक्षक के परिवार का कोई सदस्य कोरोना संक्रमित है. तब भी उसे सर्वे की ड्यूटी करनी होगी, फिर चाहे वह किसी भी स्थिति में हो. गर्भवती, शिशुवती महिलाओं से लेकर गंभीर बीमारी से ग्रसित शिक्षकों के लिए भी छूट का कोई प्रावधान नहीं था. प्रमोद कहते हैं कि सधवा बंजारे की तरह ही कई शिक्षक अकाल मौत के गाल में समा गए, लेकिन आदेश में संशोधन नहीं किया गया. दोषियों पर ठोस कार्रवाई होनी चाहिए. बंजारे ने व्हाट्सएप ग्रुप में अधिकारियों से निवेदन भी किया था कि उनकी ड्यूटी कैंसिल की जाए लेकिन समय रहते किसी ने ध्यान नहीं दिया अंततः उनकी मौत हो गई है.
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मौत के बाद नींद से जागे अफसर
शिक्षक की मौत के बाद अफसरों की नींद टूटी है. आनन-फानन में SDM पोड़ी उपरोड़ा संजय मरकाम ने शिक्षक सधवा बंजारे की मौत की खबर के बाद तत्काल एक आदेश जारी किया. जिसमे उन्होंने ब्लॉक स्तर के अधिकारियों को निर्देशित किया कि कोरोना सर्वे या फील्ड कार्य में ऐसे शिक्षकों की ड्यूटी ना लगाई जाए जो कि दिव्यांग हैं, शारीरिक तौर पर सक्षम नहीं है, गर्भवती, शिशुवति के साथ ही ऐसे शिक्षक जो गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं और जिन्हें चिकित्सा की आवश्यकता है उन्हें भी ड्यूटी से पृथक रखा जाए. यह आदेश समय रहते जारी किया होता तो शिक्षक सधवा बंजारे की जान बच सकती थी. सर्वे के दौरान वह कोरोना संक्रमित ना होते और उनका परिवार बिखरने से बच सकता था.
अब एक दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी
कोराना सर्वे के दौरान शिक्षकों की ड्यूटी के लिए संकुल समन्वयक व प्राचार्यों से होते हुए विकासखंड शिक्षा अधिकारी स्तर पर सूची तैयार की जाती है. यह सूची अनुविभागीय अधिकारी को भेजी जाती है. इसके बाद SDM कार्यालय से आदेश जारी होता है. अब जबकि शिक्षक की मौत हो गई है. तब BEO पोड़ी एलपी जोगी का कहना है कि सधवा बंजारे की ड्यूटी BEO कार्यालय से नहीं लगी थी. प्राचार्य ने अपनी मदद के लिए भले ही उनके ड्यूटी लगाई होगी, लेकिन फाइनल आदेश SDM कार्यालय से जारी होता है. जबकि SDM मरकाम का कहना है कि उनके पास सूची शिक्षा विभाग के विकासखंड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से आती है. वह तो सिर्फ आदेश जारी करते हैं.
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नहीं होती किसी पर भी कार्रवाई
सर्वे कार्य के दौरान शिक्षक की मौत का यह पहला मामला नहीं है. शिक्षा विभाग में उल जुलूल आदेश जारी होते रहते हैं और मैदानी स्तर के शिक्षक प्रताड़ना का शिकार होते हैं. लेकिन मनमानी करने वाले अफसरों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं होती. जिसके कारण वह फिर से मनमाने आदेश जारी करते हैं. कुछ दिन मामला सुर्खियों में जरूर रहता है, लेकिन किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती. लापरवाह अफसरों की मनमानी जारी रहती है.
शिक्षकों ने लगाई DP, चला रहे अभियान
दिव्यांग शिक्षक सधवा बंजारे की मौत के बाद शिक्षकों में जमकर आक्रोश है. शिक्षक अपने व्हाट्सएप की DP में मृत शिक्षक सधवा बंजारे और उसके परिवार के साथ एक फोटो लगाए हुए हैं. जिसमें बंजारे और उनके परिवार की तस्वीर के साथ यह भी लिखा हुआ है कि कोरोना काल में ड्यूटी कर रहे 60 फीसदी दिव्यांग शिक्षक की मौत. शिक्षक की DP लगाकर अफसरों पर कार्रवाई की मांग के लिए विभाग के शिक्षक नेता अभियान चला रहे हैं.