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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने लोगों का जीता भरोसा, महिलाएं उठा रही अन्याय के खिलाफ आवाज

साल 1987 से रायपुर में कार्यरत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण महिलाओं की समस्या को दूर करने के लिए तेजी से काम कर रहा है. (District Legal Services Authority working fast for women) प्राधिकरण का मुख्य काम लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता और न्याय दिलाना है. वहीं केंद्र द्वारा लोगों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से कई तरह की योजनाएं भी निकालकर हर वर्ग के लोगों की मदद की जाती है. प्राधिकरण में महिलाओं को विशेष सुरक्षा और सहायता दी जाती है. Raipur latest news

District Legal Services Authority working fast for women
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण
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Published : Dec 25, 2022, 10:35 PM IST

Updated : Dec 27, 2022, 12:03 AM IST

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की खासियत जानिए

रायपुर: निःशुल्क कानूनी सहायता प्रत्येक निर्धन व्यक्ति का अधिकार होता है. आपराधिक मामलों में यदि एक अभियुक्त को कानूनी मदद नहीं मिले और वे अपना बचाव नहीं कर पाए, इस समस्या से निपटने के लिए ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (District Legal Services Authority) सरकार द्वारा अपने खर्च से अधिवक्ता उपलब्ध कराता है, जो अभियुक्त की ओर से उसका बचाव करता है. प्राधिकरण की टीम की तरफ से पारिवारिक और सवेंदनशील मामलों को सीधे तौर पर कोर्ट नहीं भेजा जाता. पहले उन्हें काउन्सिलिंग कर समझाया भी जाता है, ताकि पारिवारिक मूल्यों का भी ध्यान रखा जाए. महिलाओं को न्यायिक सहायता देने के लिए उनके सालाना आय सीमा निर्धारित नहीं कि गई है. वहीं बाकियों की आर्थिक मदद उनकी सालाना आय 1 लाख होने पर की जाती है. इस संबंध में आज ईटीवी भारत ने पैरालीगल वॉलेंटियर आशुतोष तिवारी से बात की है. Raipur latest news


सवाल: साल 2022 में आपने कितने लोगों की समस्या को हल किया है?

जवाब: जनवरी 2022 से वैसे तो हमने लाखों में लोगों को सलाह दी है. वहीं कानूनी सलाह, मुफ्त अधिवक्ता और न्यायालय तक केस पहुंचाने वाले पीड़ितों की संख्या 482 है.

सवाल: किसी महिला के केस के बारे में बताइए, जिसे न्याय दिलाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा होगा?

जवाब: कुछ समय पूर्व दिव्यांग दंपत्ति के बीच पारिवारिक मनमुटाव हो गया, जिसमें पत्नी अलग रहने की मांग कर रही थी. लेकिन काफी समझाइश के बाद बिना केस कोर्ट में ले जाये ही उनका समाधान विधिक सेवा द्वारा कर दिया गया. इस प्रकरण को हमर योजना के तहत निराकरण किया गया.


सवाल: कानूनी सलाह को निःशुल्क कौन और किस वर्ग के लोग ले सकते हैं?

जवाब: वैसे तो सभी वर्ग को न्याय दिलाना ही हमारा कर्तव्य है. लेकिन वार्षिक आय अनुसार, यदि किसी की सालाना आय 1 लाख है, तो उसे हर संभव सहायता दी जाती है. (Legal Services Authority working fast for women) वहीं महिलाओं के लिए कोई आय सीमा निर्धारित नहीं है.

सवाल: महिलाएं सामाजिक दबाव की वजह से अपने लिये न्याय की गुहार नहीं लगा पाती, ऐसे समय में आप उनका मनोबल कैसे बढ़ाते हैं ?

जवाब: हम सबसे पहले उन्हें भरोसा दिलाते हैं कि हम उन्हें न्याय जरूर दिलाएंगे और उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास करते हैं. उनके अधिकारों से भी उन्हें जागरूक करते हैं. अपने अधिकारों के बारे में जानने के बाद वे स्वयं ही अपनी लड़ाई लड़ती हैं.

सवाल: आप ऑनलाइन भी लोगों को न्याय कैसे दिलाते हैं?

जवाब: हम एक टोल फ्री नंबर और एप के जरिये लोगों तक वर्चुअली जुड़ रहे हैं. साथ ही हमारे पैरालीगल वॉलेंटियर स्वयं पीड़ित के पास जाकर उन्हें सही सलाह और रास्ता दिखाते हैं. विडियो कॉलिंग के जरिये हम उनसे जुड़ते हैं और नालसा एप्लिकेशन के माध्यम से घर बैठे न्यायालय तक उनकी आवाज पहुंचा सकते हैं.

सवाल: इस वर्ष किस तरह के केस ज्यादा आपके पास आये हैं?

जवाब: घरेलू हिंसा की समस्या ज्यादा आई है.

सवाल: क्या न्याय दिलाने के बाद पीड़ित के हालत का आप जायजा लेते हैं?

जवाब: न्याय दिलाने के बाद भी हमारी जिम्मेदारी खत्म नहीं होती है. हम बीच-बीच में उनसे रूबरू होकर उनकी हालत की जानकारी लेते रहते हैं.

सवाल: कोर्ट में न्याय मिलने में काफी समय लग जाता है, तो क्या प्राधिकरण न्याय दिलाने में कोई तेजी ला पाया है?

जवाब: मामले अलग-अलग होने की वजह से समय का निर्धारण नहीं किया जा सकता, लेकिन प्राधिकरण की काउंसलिंग के बाद से काफी हद तक केसेस दर्ज नहीं हो पाते. लोग आपसी समझ से अपने परेशानी से बाहर आ जाते हैं.

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की खासियत जानिए

रायपुर: निःशुल्क कानूनी सहायता प्रत्येक निर्धन व्यक्ति का अधिकार होता है. आपराधिक मामलों में यदि एक अभियुक्त को कानूनी मदद नहीं मिले और वे अपना बचाव नहीं कर पाए, इस समस्या से निपटने के लिए ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (District Legal Services Authority) सरकार द्वारा अपने खर्च से अधिवक्ता उपलब्ध कराता है, जो अभियुक्त की ओर से उसका बचाव करता है. प्राधिकरण की टीम की तरफ से पारिवारिक और सवेंदनशील मामलों को सीधे तौर पर कोर्ट नहीं भेजा जाता. पहले उन्हें काउन्सिलिंग कर समझाया भी जाता है, ताकि पारिवारिक मूल्यों का भी ध्यान रखा जाए. महिलाओं को न्यायिक सहायता देने के लिए उनके सालाना आय सीमा निर्धारित नहीं कि गई है. वहीं बाकियों की आर्थिक मदद उनकी सालाना आय 1 लाख होने पर की जाती है. इस संबंध में आज ईटीवी भारत ने पैरालीगल वॉलेंटियर आशुतोष तिवारी से बात की है. Raipur latest news


सवाल: साल 2022 में आपने कितने लोगों की समस्या को हल किया है?

जवाब: जनवरी 2022 से वैसे तो हमने लाखों में लोगों को सलाह दी है. वहीं कानूनी सलाह, मुफ्त अधिवक्ता और न्यायालय तक केस पहुंचाने वाले पीड़ितों की संख्या 482 है.

सवाल: किसी महिला के केस के बारे में बताइए, जिसे न्याय दिलाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा होगा?

जवाब: कुछ समय पूर्व दिव्यांग दंपत्ति के बीच पारिवारिक मनमुटाव हो गया, जिसमें पत्नी अलग रहने की मांग कर रही थी. लेकिन काफी समझाइश के बाद बिना केस कोर्ट में ले जाये ही उनका समाधान विधिक सेवा द्वारा कर दिया गया. इस प्रकरण को हमर योजना के तहत निराकरण किया गया.


सवाल: कानूनी सलाह को निःशुल्क कौन और किस वर्ग के लोग ले सकते हैं?

जवाब: वैसे तो सभी वर्ग को न्याय दिलाना ही हमारा कर्तव्य है. लेकिन वार्षिक आय अनुसार, यदि किसी की सालाना आय 1 लाख है, तो उसे हर संभव सहायता दी जाती है. (Legal Services Authority working fast for women) वहीं महिलाओं के लिए कोई आय सीमा निर्धारित नहीं है.

सवाल: महिलाएं सामाजिक दबाव की वजह से अपने लिये न्याय की गुहार नहीं लगा पाती, ऐसे समय में आप उनका मनोबल कैसे बढ़ाते हैं ?

जवाब: हम सबसे पहले उन्हें भरोसा दिलाते हैं कि हम उन्हें न्याय जरूर दिलाएंगे और उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास करते हैं. उनके अधिकारों से भी उन्हें जागरूक करते हैं. अपने अधिकारों के बारे में जानने के बाद वे स्वयं ही अपनी लड़ाई लड़ती हैं.

सवाल: आप ऑनलाइन भी लोगों को न्याय कैसे दिलाते हैं?

जवाब: हम एक टोल फ्री नंबर और एप के जरिये लोगों तक वर्चुअली जुड़ रहे हैं. साथ ही हमारे पैरालीगल वॉलेंटियर स्वयं पीड़ित के पास जाकर उन्हें सही सलाह और रास्ता दिखाते हैं. विडियो कॉलिंग के जरिये हम उनसे जुड़ते हैं और नालसा एप्लिकेशन के माध्यम से घर बैठे न्यायालय तक उनकी आवाज पहुंचा सकते हैं.

सवाल: इस वर्ष किस तरह के केस ज्यादा आपके पास आये हैं?

जवाब: घरेलू हिंसा की समस्या ज्यादा आई है.

सवाल: क्या न्याय दिलाने के बाद पीड़ित के हालत का आप जायजा लेते हैं?

जवाब: न्याय दिलाने के बाद भी हमारी जिम्मेदारी खत्म नहीं होती है. हम बीच-बीच में उनसे रूबरू होकर उनकी हालत की जानकारी लेते रहते हैं.

सवाल: कोर्ट में न्याय मिलने में काफी समय लग जाता है, तो क्या प्राधिकरण न्याय दिलाने में कोई तेजी ला पाया है?

जवाब: मामले अलग-अलग होने की वजह से समय का निर्धारण नहीं किया जा सकता, लेकिन प्राधिकरण की काउंसलिंग के बाद से काफी हद तक केसेस दर्ज नहीं हो पाते. लोग आपसी समझ से अपने परेशानी से बाहर आ जाते हैं.

Last Updated : Dec 27, 2022, 12:03 AM IST
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