रायपुर: कोरोना महामारी (corona pandemic) के कारण मरने वाले लोगों (people who died of corona) के मृत्यु प्रमाण पत्र (death certificates) जारी होने में देशभर में हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने नाराजगी व्यक्त की है. हमने इस संदर्भ में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पड़ताल की, यहां मृतकों के परिजनों को किस तरह का प्रमाण पत्र जारी किया गया है. क्या इसके लिए सरकार ने कोई नई व्यवस्था बनाई है, या बनाने की कोई योजना है. अपनी पड़ताल के सबसे पहले चरण में हम नगर निगम रायपुर (Municipal Corporation Raipur) पहुंचते हैं.
वहां जन्म और मृत्यु रिकॉर्ड शाखा (Birth and Death Records Branch) में हमें यह जानकारी दी जाती है कि यहां मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, लेकिन उसमें किसी तरह का भी मृत्यु के कारणों का जिक्र नहीं होता. यानी कि नगर निगम से जारी होने वाले मृत्यु प्रमाण पत्र में कोविड-19 का कोई जिक्र नहीं होता.
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इसके बाद हम स्वास्थ्य विभाग की ओर रुख करते हैं और समझने की कोशिश करते हैं कि, क्या वहां इस तरह का कोई अलग से प्रमाण पत्र दिया जा रहा है. इस मामले में बातचीत के लिए जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी (District Chief Medical Officer) से जानकारी मांगी तो उन्होंने कहा कि, अस्पताल में जिनकी भी मौतें हुई है. उनका मृत्यु प्रमाण पत्र (death certificate) अस्पताल में ही दिया जा रहा है. जिस पर कोविड का भी जिक्र रहता है.
जहां जिला स्वास्थ्य अधिकारी का दावा है कि इस तरह का प्रमाण पत्र अस्पतालों से दिया जा रहा है. वहीं एम्स रायपुर का कहना है कि वहां से जारी सर्टिफिकेट में मृत्यु की वजह यानी कोविड-19 का कोई जिक्र नहीं होता. इस विरोधाभास को दूर करने के लिए हम उन लोगों से मुलाकात करते हैं जिन्होंने इस महामारी में अपनों को खो दिया है.
काजल पांडे के ससुर की कोरोना से मौत, लेकिन प्रमाण पत्र में उल्लेख नहीं
पेंशनवाड़ा की रहने वाली काजल पांडे ने बताया कि, उनके ससुर भास्कर पांडे को कोरोना हो गया था. जिसके बाद उन्होंने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल में पुणे भर्ती कराया था लेकिन उपचार के दौरान ही अस्पताल में उनकी मौत हो गई. काजल ने ईटीवी भारत को बताया कि कुछ दिनों बाद जब हम लोग मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए गए तो, अस्पताल से जो प्रमाण पत्र मिला है उसमें कोविड-19 का जिक्र नहीं है. उन्होंने बताया कि इसके लिए वह निगम के भी लगातार चक्कर काटती रही, लेकिन निगम से भी कोई भी जवाब नहीं मिला.
निर्मला शर्मा के केस में भी यही निकला
पेंशनबाड़ा के बाद हमारी टीम गुढ़ियारी स्थित शुक्रवारी बाजार पहुंची. यहां 4 माह पहले निर्मला शर्मा की मौत कोरोना से हुई थी. निर्मला की बहन सुधा शर्मा ने बताया कि जब उसकी बहन को कोरोना हुआ. उस समय राजधानी में भयावह स्थिति थी. कोविड टेस्ट कराने के बाद जब उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई, तब उन्हें अस्पताल में बेड तक नसीब नहीं हुआ.
मजबूरन उन्हें होम आइसोलेशन पर रहकर उपचार कराना पड़ा. होम आइसोलेशन के तीसरे दिन है निर्मला शर्मा की अपने घर पर ही मौत हो गई. जिसके बाद निगम के कर्मचारियों ने पीपीई किट पहनकर निर्मला के शरीर को मुखाग्नि दी. उन्होंने बताया कि निर्मला की मौत कोरोना से हुई है, लेकिन निगम से मिले मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना का जिक्र नहीं है.
प्रमाण पत्र को लेकर बड़ी लापरवाही
आपको बता दें कि कोरोना से जिन लोगों की मौत हुई है. उनके मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना का किसी तरह का जिक्र नहीं है. ऐसे में यदि परिजनों को भविष्य में प्रमाण की जरूरत हुई तो उनके पास कोई भी शासकीय दस्तावेज नहीं रहेगा. जिससे यह पता चल सके कि मरने वाला कोविड से मरा है. उन्हें भविष्य में मिलने वाली शासकीय योजना या मुआवजा भी नहीं मिल पायेगा.
इसके साथ ही यह भी देखने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद कब तक सरकार यहां पर इस व्यवस्था को लागू करवा पाती है. रायपुर में 1,57,881 लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 1,54,708 लोग कोरोना से जंग जीत चुके हैं. वहीं 3,139 लोगों की मौत कोरोना से हो चुकी है.