रायपुर: छत्तीसगढ़ में आत्महत्या के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. हर दिन किसी न किसी की आत्महत्या या आत्महत्या की कोशिश किये जाने का मामले सामने आ रहे हैं. आत्महत्या रोकथाम दिवस पर आज हम आपको छ्त्तीसगढ़ पुलिस की डायल 112 के बारे में बताने जा रहे ( Dial 112 helps prevent suicide in chhattisgarh) हैं. 4 साल पहले राज्य में डायल 112 की स्थापना की गई. इसका मकसद किसी भी घटना पर तुरंत मदद पहुंचाने का था. यह योजना इतनी कारगर रही कि 4 साल में आत्मघाती कदम उठाने वाले 27 हजार 271 लोगों की जाने बचाई गई है. एक ही नंबर पर कॉल करने से लोगों को तत्काल मदद मिल रही है.
ज्यादातर युवा कर रहे आत्महत्या : रायपुर समेत प्रदेश भर में खुदकुशी का प्रयास करने वालों में ज्यादातर युवा वर्ग हैं. डायल 112 से मिली जानकारी के मुताबिक ऐसे युवा जो प्यार में धोखा खाए, परीक्षा में फेल, नौकरी न मिल पाना, आर्थिक तंगी या घरेलू विवाद में आत्महत्या का प्रयास किए हैं. जिन्हें मौके पर पहुंच कर डायल 112 ने बचाया है. हालांकि कुछ जगहों सफलता तो नहीं मिली, लेकिन फोन आने पर डायल 112 की टीम मौके पर जरूर पहुंची है. एक लिहाज से देखा जाए तो डायल 112 सेवा लोगों के लिए कारगर साबित हो रही है.
प्यार में धोखा मिलने पर सुसाइ़ड : राजधानी रायपुर में खुदकुशी के मामलों ने अचानक छलांग लगा दी है. इनमें सर्वाधिक संख्या लड़कों की है. पुलिस विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक रायपुर में 2019 से मई 2022 तक 2600 लोगों ने खुदकुशी की है. इनमें 1900 लड़के शामिल हैं. इसमें 1300 से अधिक युवकों ने फांसी लगाकर मौत को गले लगाया है. ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया कि फांसी लगाने वालों में से ज्यादातर युवक अविवाहित हैं और प्यार में धोखा खाएं हैं. वहीं लड़कियों की बात की जाए तो करीब 700 लड़कियों ने खुदकुशी करके अपनी जान दी है.
क्या हैं जिलेवार आंकड़ें :रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में डायल 112 की सेवाएं उपलब्ध है. फोन आने पर तत्काल लोगों की मदद के लिए 112 की टीम मौके पर पहुंचती है. इसकी शुरुआत 4 साल पहले हुई है. तब से लेकर अब तक 27271 लोगों को आत्महत्या करने से रोका गया है. जिलेवार इनके आंकड़ों पर गौर करें तो
बस्तर में 846
बिलासपुर में 4161
दुर्ग में 3796
जांजगीर चांपा में 2696
कबीरधाम में 821
कोरबा में 2136
महासमुंद में 1969
रायगढ़ में 2380
रायपुर 4657
राजनांदगांव में 2220
सरगुजा में 1589 लोगों की जान बचाई गई है.
क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक : मनोवैज्ञानिक डॉक्टर अजित वरवंडकर (Psychologist Dr Ajit Varwandkar) ने बताया कि '' आज के युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति देखी जा रही है. जो बेहद दुखद है. मैंने महसूस किया है कि तीन वजह से युवा आत्महत्या कर रहे हैं. इसमें प्रेम प्रसंग, परीक्षा में फेल हो जाना और पैसों की वजह से युवा वर्ग आत्मघाती कदम उठा रहे हैं. आज के युवाओं में हिम्मत कम हो गई है. हौसला बहुत जल्दी छोड़ देते हैं. इसकी वजह से आत्मघाती निर्णय की ओर अग्रसर हो रहे हैं. इसे सुधार करने के लिए बच्चे के युवा होते उन्हें उत्साह पूर्ण माहौल मिलना चाहिए. पेरेंट्स को अपने बच्चों से बात करनी चाहिए. उन्हें अपने मन की बात कहने का अवसर देना चाहिए. उनकी मन की बातों को सुनना चाहिए. ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने असफलता को हराकर विजय घोषित करने में सफलता पाई है. उनके बारे में बताना चाहिए.''