रायपुर: बेरोजगारी से परेशान होकर सीएम हाउस के बाहर आत्मदाह करने वाले हरदेव सिन्हा की मंगलावर देर रात इलाज के दौरान मौत हो गई है. हरदेव की मौत को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मांग की है कि घटना की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक किया जाए. साथ ही नेता प्रतिपक्ष ने मृतक के परिवार को क्षतिपूर्ति राशि और रोजगार की व्यवस्था करने की मांग की भी है.
कौशिक ने कहा कि इस घटना को लेकर जांच कमेटी बनाई गई है, लेकिन प्रतिवेदन अब तक नहीं आया और आखिरकर उस युवक की मौत हो गई. सीएम हाउस पहुंचकर भी युवक को निराशा हाथ लगी. छत्तीसगढ़ में रोजगार को लेकर युवाओं में भारी निराशा है. नेता प्रतिपक्ष ने मृतक के परिवार को क्षतिपूर्ति राशि और रोजगार की व्यवस्था करने की मांग की है. बता दें कि धमतरी जिले के ग्राम तेलीनसत्ती निवासी हरदेव सिन्हा 29 जून की दोपहर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने के लिए सिविल लाइन स्थित उनके आवास पर पहुंचा था.
युवक ने बाहर खड़े सुरक्षा बल और अधिकारियों से मुख्यमंत्री से मुलाकात कराने की बात कही, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने युवक को सीएम से नहीं मिलने दिया, जिसके बाद युवक ने सीएम आवास के मुख्य गेट के सामने ही खुद को आग के हवाले कर दिया. मौत की खबर से युवक के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. युवक के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां है जो महज 6 और 4 साल की है.
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29 जून को हरदेव ने सीएम हाउस के सामने खुदकुशी करने की कोशिश की थी. इस बीच हरदेव के मानसिक रूप से बीमार होने की बात सामने आई थी, लेकिन परिवार का कहना है कि उसका मानसिक संतुलन बिल्कुल ठीक है, वह बेरोजगारी से बेहद परेशान था. कई दिनों से घर में खाने को भी कुछ नहीं था.
घर में थे भूखमरी के हालात
हरदेव की पत्नी बसंती ने ETV भारत से बात करते हुए बताया था कि लॉकडाउन से पहले उनका परिवार सुखी से जीवनयापन कर रहा था, लेकिन लॉकडाउन के कारण काम छूट गया और हरदेव की आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली गई. बसंती ने बताया कि महीनेभर पहले रोजगार गारंटी योजना के तहत उसे 4 सप्ताह और हरदेव को 12 दिनों तक काम मिला था, लेकिन उस दौरान कमाए पैसे खत्म हो गए, जिसके बाद कुछ दिनों तक काम मिलने की आस में परिवारवालों से उधार लेकर काम चलता रहा. जब काम मिलने की सभी उम्मीदें लगभग खत्म हो गईं, तो उसने ऐसा कदम उठा लिया.