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नवरात्रि का पहला दिन: इस विधान से करेंगे पूजा, तो कल्याण करेंगी मां शैलपुत्री

नवरात्रि के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा की जाती है. पहले दिन मां के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है. माना जाता है कि मां का यह दिव्य रूप कल्याण करने वाला है.

नवरात्रि का पहला दिन
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Published : Sep 29, 2019, 12:04 AM IST

रायपुर: देवी की आराधना के नौ दिन यानी नवरात्रि का आज पहला दिन है. इस नवरात्रि कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं. 9 दिनों में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां शैलपुत्री भक्तों का कल्याण करती हैं.

नवरात्रि का पहला दिन: इस विधान से करेंगे पूजा, तो कल्याण करेंगी मां शैलपुत्री

9 दिनों की नवरात्रि में हर दिन अपनी शक्तियों के लिए खास है. 9 दिन देवियों के 9 रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन देवी के पहले रूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां शैलपुत्री का विग्रह एक हाथ में त्रिशूल, एक हाथ में कमल धारण किए है. मां का रूप धवल वस्त्र धारण, साथ ही धर्म के प्रतीक नंदी पर विराजमान अद्भुत नजर आता है.

इस विधान से करें देवी की स्थापना-
⦁ यह दिन मां की साधना आराधना से व्रत संकल्प लेने का दिन है. इस दिन श्रद्धालु अपनी पूजा का संकल्प ले सकते हैं.
⦁ इसके लिए पहले उन्हें घट स्थापना करने के बाद ही मां की आराधना करनी है. उसके बाद ही व्रत को आगे बढ़ाएं.
⦁ घट स्थापना सुबह 8:30 बजे तक करें. उसके बाद 11:36 से 1:30 बजे के समय घट स्थापना कर सकते हैं.

9 दिन अलग-अलग रूपों की होती है पूजा
नवरात्रि में 9 दिनों तक देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है. हर दिन उनके अलग रूपों की पूजा की जाती है, जिसकी विधियां भी अलग-अलग होती हैं. पूजा पूरे विधि-विधान से करने से मां का पूरा आर्शीवाद मिलेगा.

पढ़ें- VIDEO : छत्तीसगढ़ के देवियों के दर्शन करिए, लाइव आरती देखिए ETV भारत के साथ

29 सितंबर से 7 अक्टूबर तक नवरात्रि
दुर्लभ संयोगों की वजह से इस बार की शारदीय नवरात्रि का महत्व और भी बढ़ गया. शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 29 सितंबर यानि रविवार से हो रही है. 7 अक्टूबर को नवमी यानि नवरात्रि का आखिरी दिन होगा. इस बार नवरात्रि के नौवों दिन मां की अराधना करने के विशेष फल मिलेंगे, सुख शांति की प्राप्ति होगी.

रायपुर: देवी की आराधना के नौ दिन यानी नवरात्रि का आज पहला दिन है. इस नवरात्रि कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं. 9 दिनों में पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां शैलपुत्री भक्तों का कल्याण करती हैं.

नवरात्रि का पहला दिन: इस विधान से करेंगे पूजा, तो कल्याण करेंगी मां शैलपुत्री

9 दिनों की नवरात्रि में हर दिन अपनी शक्तियों के लिए खास है. 9 दिन देवियों के 9 रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन देवी के पहले रूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां शैलपुत्री का विग्रह एक हाथ में त्रिशूल, एक हाथ में कमल धारण किए है. मां का रूप धवल वस्त्र धारण, साथ ही धर्म के प्रतीक नंदी पर विराजमान अद्भुत नजर आता है.

इस विधान से करें देवी की स्थापना-
⦁ यह दिन मां की साधना आराधना से व्रत संकल्प लेने का दिन है. इस दिन श्रद्धालु अपनी पूजा का संकल्प ले सकते हैं.
⦁ इसके लिए पहले उन्हें घट स्थापना करने के बाद ही मां की आराधना करनी है. उसके बाद ही व्रत को आगे बढ़ाएं.
⦁ घट स्थापना सुबह 8:30 बजे तक करें. उसके बाद 11:36 से 1:30 बजे के समय घट स्थापना कर सकते हैं.

9 दिन अलग-अलग रूपों की होती है पूजा
नवरात्रि में 9 दिनों तक देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है. हर दिन उनके अलग रूपों की पूजा की जाती है, जिसकी विधियां भी अलग-अलग होती हैं. पूजा पूरे विधि-विधान से करने से मां का पूरा आर्शीवाद मिलेगा.

पढ़ें- VIDEO : छत्तीसगढ़ के देवियों के दर्शन करिए, लाइव आरती देखिए ETV भारत के साथ

29 सितंबर से 7 अक्टूबर तक नवरात्रि
दुर्लभ संयोगों की वजह से इस बार की शारदीय नवरात्रि का महत्व और भी बढ़ गया. शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 29 सितंबर यानि रविवार से हो रही है. 7 अक्टूबर को नवमी यानि नवरात्रि का आखिरी दिन होगा. इस बार नवरात्रि के नौवों दिन मां की अराधना करने के विशेष फल मिलेंगे, सुख शांति की प्राप्ति होगी.

Intro:शारदी नवरात्रि इस बार 29 सितंबर से आरंभ हो रही है जो 7 अक्टूबर तक रहेगी, नवरात्रि का यह पर्व सभी को शक्ति देने वाला है जगत का कल्याण करने वाला है। मां के पहले रूप की जो पूजा होगी वह शैलपुत्री के रूप में होगी । शैलपुत्री का जो विग्रह है एक हाथ मे त्रिशूल ,एक हाथ मे कमल है, धवल वस्त्रों में ,साथ ही धर्म के प्रतीक नंदी के ऊपर विराजमान है।




Body:माँ का यह दिव्य रूप समस्त कल्याणो को देने वाला है इस रूप की पूजा की पूजा पहले दिन की जाती है ।

मां की साधना आराधना का यह दिन व्रत संकल्प लेने का दिन है।

जब आप संकल्प ले । संकल्प से पहले घट स्थापना करें, माँ की स्थापना करें । उसके बाद व्रत को आगे बढ़ाए, घट स्थापना का सुबह बजे 8.30 बजे तक है ।


Conclusion:उसके बाद 11.36 से 1.30 बजे के समय घट स्थापना कर सकते है।


बाईट

पंडित अरुणेश शर्मा
ज्योतिषाचार्य
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