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देवउठनी एकादशी : नींद से जागेंगे देव, गूजेंगी शहनाइयां, शुरू होंगे मांगलिक कार्य

हिंदू पंचांग के अनुसार 25 नवंबर को एकादशी दोपहर 2:42 मिनट से लग जाएगी. एकादशी तिथि का समापन 26 नवंबर शाम 5:10 पर समाप्त होगा.

Dev Uthani Ekadashi
एकादशी
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Published : Nov 23, 2020, 4:36 PM IST

Updated : Nov 25, 2020, 12:36 PM IST

रायपुर : हिंदू धर्म में सबसे शुभ और पुण्यदायी माने जाने वाले एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है. इस साल देवउठनी एकादशी 25 नवंबर यानी बुधवार को मनाया जाएगी. एकादशी हरि प्रबोधिनी और देवोत्थान के नाम से भी जाना जाती है. देवउठनी एकादशी दिवाली के 11 दिन बाद मनाया जाती है. देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु निंद्रा के बाद उठते हैं, इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है.

देवउठनी एकादशी

पौराणिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी के बीच भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं. फिर भादों शुक्ल एकादशी को करवट बदलते हैं. पुण्य की वृद्धि और धर्म-कर्म में प्रवृत्ति कराने वाले भगवान श्रीविष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी को निद्रा से जागते हैं. मान्यता है कि भगवान विष्णु 4 महीने के लिए क्षीर सागर में निद्रा करने के कारण चतुर्मास में विवाह और मांगलिक कार्य थम जाते हैं. देवोत्थान एकादशी पर भगवान के जागने के बाद विवाह जैसे अन्य मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. इसके अलावा इस दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है.

Dev Uthani Ekadashi will be celebrated on 25 November
देवउठनी एकादशी

पढ़ें : कन्याकुमारी में सीएम भूपेश बघेल, मां भगवती के किए दर्शन, सनसेट प्वाइंट पर देखा अद्भुत नजारा

देवउठनी एकादशी का मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार 25 नवंबर को एकादशी दोपहर 2:42 मिनट से लग जाएगी. एकादशी तिथि का समापन 26 नवंबर शाम 5:10 पर समाप्त होगा. महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला का कहना है कि गृहस्थ जीवन में रहने वाले लोग 25 नवंबर बुधवार को ही देवउठनी एकादशी मनायें. इसका मुहूर्त गोधूलि बेला में होगा. मुहूर्त का समय शाम 5:30 बजे से 7:00 बजे तक का होगा. उन्होंने यह भी बताया कि 26 नवंबर को देवउठनी एकादशी वे लोग मनाएगे, जो गृहस्थ जीवन का त्याग कर चुके हैं या फिर साधु संत जो मठ मंदिर में निवास कर रहे हैं उनके लिए देवउठनी एकादशी 26 नवंबर को होगा.

Dev Uthani Ekadashi will be celebrated on 25 November
देवउठनी एकादशी

देवउठनी एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए

  • एकादशी पर किसी पेड़ पौधों की पत्तियों को नहीं तोड़ना चाहिए.
  • एकादशी वाले दिन पर बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए.
  • एकादशी वाले दिन पर संयम और सरल जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए.इस दिन कम से कम बोलने की कोशिश करनी चाहिए और भूल से भी किसी को कड़वी बातें नहीं बोलनी चाहिए.
  • हिंदू शास्त्रों में एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • एकादशी वाले दिन पर किसी दूसरे का दिया गया भोजन नहीं करना चाहिए.
  • एकादशी पर मन में किसी के प्रति विकार नहीं उत्पन्न करना चाहिए.
  • स्थिति पर गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन ना करें.
  • देवउठनी एकादशी का व्रत रखने वालों को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए.

रायपुर : हिंदू धर्म में सबसे शुभ और पुण्यदायी माने जाने वाले एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है. इस साल देवउठनी एकादशी 25 नवंबर यानी बुधवार को मनाया जाएगी. एकादशी हरि प्रबोधिनी और देवोत्थान के नाम से भी जाना जाती है. देवउठनी एकादशी दिवाली के 11 दिन बाद मनाया जाती है. देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु निंद्रा के बाद उठते हैं, इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है.

देवउठनी एकादशी

पौराणिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी के बीच भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं. फिर भादों शुक्ल एकादशी को करवट बदलते हैं. पुण्य की वृद्धि और धर्म-कर्म में प्रवृत्ति कराने वाले भगवान श्रीविष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी को निद्रा से जागते हैं. मान्यता है कि भगवान विष्णु 4 महीने के लिए क्षीर सागर में निद्रा करने के कारण चतुर्मास में विवाह और मांगलिक कार्य थम जाते हैं. देवोत्थान एकादशी पर भगवान के जागने के बाद विवाह जैसे अन्य मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. इसके अलावा इस दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है.

Dev Uthani Ekadashi will be celebrated on 25 November
देवउठनी एकादशी

पढ़ें : कन्याकुमारी में सीएम भूपेश बघेल, मां भगवती के किए दर्शन, सनसेट प्वाइंट पर देखा अद्भुत नजारा

देवउठनी एकादशी का मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार 25 नवंबर को एकादशी दोपहर 2:42 मिनट से लग जाएगी. एकादशी तिथि का समापन 26 नवंबर शाम 5:10 पर समाप्त होगा. महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला का कहना है कि गृहस्थ जीवन में रहने वाले लोग 25 नवंबर बुधवार को ही देवउठनी एकादशी मनायें. इसका मुहूर्त गोधूलि बेला में होगा. मुहूर्त का समय शाम 5:30 बजे से 7:00 बजे तक का होगा. उन्होंने यह भी बताया कि 26 नवंबर को देवउठनी एकादशी वे लोग मनाएगे, जो गृहस्थ जीवन का त्याग कर चुके हैं या फिर साधु संत जो मठ मंदिर में निवास कर रहे हैं उनके लिए देवउठनी एकादशी 26 नवंबर को होगा.

Dev Uthani Ekadashi will be celebrated on 25 November
देवउठनी एकादशी

देवउठनी एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए

  • एकादशी पर किसी पेड़ पौधों की पत्तियों को नहीं तोड़ना चाहिए.
  • एकादशी वाले दिन पर बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए.
  • एकादशी वाले दिन पर संयम और सरल जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए.इस दिन कम से कम बोलने की कोशिश करनी चाहिए और भूल से भी किसी को कड़वी बातें नहीं बोलनी चाहिए.
  • हिंदू शास्त्रों में एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • एकादशी वाले दिन पर किसी दूसरे का दिया गया भोजन नहीं करना चाहिए.
  • एकादशी पर मन में किसी के प्रति विकार नहीं उत्पन्न करना चाहिए.
  • स्थिति पर गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन ना करें.
  • देवउठनी एकादशी का व्रत रखने वालों को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए.
Last Updated : Nov 25, 2020, 12:36 PM IST
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