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रायपुर: देवउठनी एकादशी पर भी खाली हाथ बैठे पूजन सामग्री बेचने वाले, ग्राहकों का इंतजार - रायपुर न्यूज

देवउठनी एकादशी आज मनाई जा रही है. देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु निंद्रा के बाद उठते हैं इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं. छत्तीसगढ़ में आज के दिन भाजी और गन्ने का महत्तव होता है. लेकिन इस साल कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण बाजार से पूजन सामग्री खरीदी करने वालों की संख्या में भी कमी दिख रही है. दुकान सजाए बैठे लोग ग्राहकों के इंतजार में हैं.

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देवउठनी एकादशी
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Published : Nov 25, 2020, 1:19 PM IST

Updated : Nov 25, 2020, 3:25 PM IST

रायपुर: देवउठनी एकादशी आज मनाई जा रही है. कुछ जगहों पर इसे छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है. आज के दिन तुलसी विवाह होता है. ये एकादशी हरि प्रबोधिनी और देवोत्थान के नाम से भी जाना जाती है. देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु निंद्रा के बाद उठते हैं इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं. इस त्योहार के लिए राजधानी के बाजारों में फल, फूल, सब्जी और मिठाई दुकानें सज गई हैं लेकिन ग्राहकों के इंतजार में हैं. कोरोना वायरस हर रंग फीके कर रहा है. इस त्योहार की रौनक भी बाजार में नहीं नजर आ रही है.

देवउठनी एकादशी पर भी खाली हाथ बैठे पूजन सामग्री बेचने वाले

छत्तीसगढ़ में आज के दिन भाजी और गन्ने का महत्तव होता है. लेकिन इस साल कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण बाजार से पूजन सामग्री खरीदी करने वालों की संख्या में भी कमी दिख रही है. दुकान सजाए बैठे लोग ग्राहकों के इंतजार में हैं.

dev uthani ekadashi celebrated on 25 september in chhattisgarh
गन्ना

कोरोना की वजह से नहीं दिखी रौनक

देवउठनी एकादशी के दिन गन्नों से बनाए मंडप के नीचे भगवान विष्णु और माता तुसली की विवाह किया जाता है. तुलसी का विवाह गोधुलि बेला में संपन्न कराया जाता है. बुधवार की शाम को साढ़े पांच बजे से शाम 7 बजे तक का मुहूर्त है. इस समय तुलसी का विवाह शालिग्राम से कराया जाता है. पूजा में मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, आंवला, बेर, फल, फूल, मौली, धागा, चंदन, सिंदूर, अक्षत और सुहाग की वस्तुएं पूजन सामग्री उपयोग की जाती हैं.

dev uthani ekadashi celebrated on 25 september in chhattisgarh
पूजा सामग्री

पढ़ें- देवउठनी एकादशी : नींद से जागेंगे देव, गूजेंगी शहनाइयां, शुरू होंगे मांगलिक कार्य

शुरू होंगे मांगलिक कार्य
इस एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव शयन करते हैं. इस दिन से ही चतुर्मास की शुरुआत होती है. इस साल 1 जुलाई से चतुर्मास की शुरुआत होती है. जिसके बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु के विश्राम करने का समय पूर्ण होता है. भगवान विष्णु के जागने पर चतुर्मास का समापन हो जाता है. 4 महीने का चयन काल होने के कारण इसे चतुर्मास कहा गया है. चतुर्मास में मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. देवोत्थान यानी देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के जागने के बाद सभी प्रकार के मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.

dev uthani ekadashi celebrated on 25 september in chhattisgarh
पूजा सामग्री

देवउठनी एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए

  • एकादशी पर किसी पेड़ पौधों की पत्तियों को नहीं तोड़ना चाहिए.
  • एकादशी वाले दिन पर बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए.
  • एकादशी वाले दिन पर संयम और सरल जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए.इस दिन कम से कम बोलने की कोशिश करनी चाहिए और भूल से भी किसी को कड़वी बातें नहीं बोलनी चाहिए.
  • हिंदू शास्त्रों में एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • एकादशी वाले दिन पर किसी दूसरे का दिया गया भोजन नहीं करना चाहिए.
  • एकादशी पर मन में किसी के प्रति विकार नहीं उत्पन्न करना चाहिए.
  • स्थिति पर गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन ना करें.
  • देवउठनी एकादशी का व्रत रखने वालों को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए.

रायपुर: देवउठनी एकादशी आज मनाई जा रही है. कुछ जगहों पर इसे छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है. आज के दिन तुलसी विवाह होता है. ये एकादशी हरि प्रबोधिनी और देवोत्थान के नाम से भी जाना जाती है. देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु निंद्रा के बाद उठते हैं इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं. इस त्योहार के लिए राजधानी के बाजारों में फल, फूल, सब्जी और मिठाई दुकानें सज गई हैं लेकिन ग्राहकों के इंतजार में हैं. कोरोना वायरस हर रंग फीके कर रहा है. इस त्योहार की रौनक भी बाजार में नहीं नजर आ रही है.

देवउठनी एकादशी पर भी खाली हाथ बैठे पूजन सामग्री बेचने वाले

छत्तीसगढ़ में आज के दिन भाजी और गन्ने का महत्तव होता है. लेकिन इस साल कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण बाजार से पूजन सामग्री खरीदी करने वालों की संख्या में भी कमी दिख रही है. दुकान सजाए बैठे लोग ग्राहकों के इंतजार में हैं.

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गन्ना

कोरोना की वजह से नहीं दिखी रौनक

देवउठनी एकादशी के दिन गन्नों से बनाए मंडप के नीचे भगवान विष्णु और माता तुसली की विवाह किया जाता है. तुलसी का विवाह गोधुलि बेला में संपन्न कराया जाता है. बुधवार की शाम को साढ़े पांच बजे से शाम 7 बजे तक का मुहूर्त है. इस समय तुलसी का विवाह शालिग्राम से कराया जाता है. पूजा में मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, आंवला, बेर, फल, फूल, मौली, धागा, चंदन, सिंदूर, अक्षत और सुहाग की वस्तुएं पूजन सामग्री उपयोग की जाती हैं.

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पूजा सामग्री

पढ़ें- देवउठनी एकादशी : नींद से जागेंगे देव, गूजेंगी शहनाइयां, शुरू होंगे मांगलिक कार्य

शुरू होंगे मांगलिक कार्य
इस एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव शयन करते हैं. इस दिन से ही चतुर्मास की शुरुआत होती है. इस साल 1 जुलाई से चतुर्मास की शुरुआत होती है. जिसके बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु के विश्राम करने का समय पूर्ण होता है. भगवान विष्णु के जागने पर चतुर्मास का समापन हो जाता है. 4 महीने का चयन काल होने के कारण इसे चतुर्मास कहा गया है. चतुर्मास में मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. देवोत्थान यानी देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के जागने के बाद सभी प्रकार के मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.

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पूजा सामग्री

देवउठनी एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए

  • एकादशी पर किसी पेड़ पौधों की पत्तियों को नहीं तोड़ना चाहिए.
  • एकादशी वाले दिन पर बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए.
  • एकादशी वाले दिन पर संयम और सरल जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए.इस दिन कम से कम बोलने की कोशिश करनी चाहिए और भूल से भी किसी को कड़वी बातें नहीं बोलनी चाहिए.
  • हिंदू शास्त्रों में एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • एकादशी वाले दिन पर किसी दूसरे का दिया गया भोजन नहीं करना चाहिए.
  • एकादशी पर मन में किसी के प्रति विकार नहीं उत्पन्न करना चाहिए.
  • स्थिति पर गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन ना करें.
  • देवउठनी एकादशी का व्रत रखने वालों को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए.
Last Updated : Nov 25, 2020, 3:25 PM IST
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