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पितृपक्ष 2021: क्यों बढ़े बरबट्टी और तोरई के दाम, क्या है पारंपरिक नाता

पितृपक्ष 2021 के दौरान सब्जी मार्केट में बरबट्टी और तोरई (Barbatti and Luffa) जैसी हरी सब्जियों की मांग में उठाल आया है. जिसमें बरबट्टी और तोरई के दाम में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है.

Why did the prices of barbatti and luffa rise?
क्यों बढ़े बरबट्टी और तोरई के दाम
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Published : Oct 2, 2021, 9:00 PM IST

रायपुर: पितृपक्ष के दौरान सब्जी बाजार में बरबट्टी और तोरई (Barbatti and Luffa) जैसी हरी सब्जियों की मांग है. ऐसे में बरबट्टी और तोरई की सामान्य दिनों में के तुलना में रेट दोगुने हो गए हैं. पितृपक्ष के दौरान लोग बरबट्टी और तोरई का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, मांग अधिक होने के कारण बाजार में बरबट्टी और तोरई (Barbatti and Luffa) आसानी से नहीं मिल पा रही है. सामान्य दिनों में बरबट्टी और तरोई की प्रति किलोग्राम कीमत 30 रुपए से 40 रुपए हुआ करती थी, जो आज बढ़कर 60 से 80 रुपए तक पहुंच गई है. बरबट्टी और तोरई के दाम पितृ पक्ष की समाप्ति के साथ ही घट जाएंगे.

क्यों बढ़े बरबट्टी और तोरई के दाम

2 जनवरी : जानिए राजधानी रायपुर में सब्जियों के दाम

पितृपक्ष में बरबट्टी और तोरई सब्जी के दाम दोगुने हुए

राजधानी रायपुर के शास्त्री बाजार सहित दूसरे बाजारों के सब्जी दुकानदार बताते हैं कि पितृपक्ष (Pitru Paksha ) के कारण बरबट्टी और तोरई के दाम बढ़े हैं. पितृपक्ष की शुरुआत ( Beginning of Parenthood) 21 सितंबर से हुई थी तब से लेकर अब तक बरबट्टी और तोरई के दाम प्रति किलोग्राम दोगुने हो गए हैं. पितृपक्ष की समाप्ति 6 अक्टूबर को हो जाएगी. वर्तमान में बरबट्टी और तोरई के साथ ही दूसरी हरी सब्जियों के दाम भी कम हो जाएंगे. वर्तमान में बरबट्टी और तोरई की आवक भी कम है, जिसके कारण कीमतों में वृद्धि हुई हैं.

barbatti
बरबट्टी

ग्रामीण इलाकों में बनाई जाती है तोरई की सब्जी

पं. मनोज शुक्ला बताते हैं कि प्राचीन काल से ग्रामीण इलाकों में अपने घर की बाड़ी में साग सब्जी लगाने की परंपरा चली आ रही है. खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में पितृपक्ष (Patriarchy in Countryside) के 15 दिनों में ग्रामीण इलाकों में बड़ा और पूड़ी के साथ ही तोरई की सब्जी बनाते हैं. जिसका प्रभाव आज शहरी क्षेत्र पर भी देखने को मिल रहा है और यही वजह है कि तोरई की मांग बढ़ने के साथ ही इसके दाम भी बढ़े हैं.

रायपुर: पितृपक्ष के दौरान सब्जी बाजार में बरबट्टी और तोरई (Barbatti and Luffa) जैसी हरी सब्जियों की मांग है. ऐसे में बरबट्टी और तोरई की सामान्य दिनों में के तुलना में रेट दोगुने हो गए हैं. पितृपक्ष के दौरान लोग बरबट्टी और तोरई का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, मांग अधिक होने के कारण बाजार में बरबट्टी और तोरई (Barbatti and Luffa) आसानी से नहीं मिल पा रही है. सामान्य दिनों में बरबट्टी और तरोई की प्रति किलोग्राम कीमत 30 रुपए से 40 रुपए हुआ करती थी, जो आज बढ़कर 60 से 80 रुपए तक पहुंच गई है. बरबट्टी और तोरई के दाम पितृ पक्ष की समाप्ति के साथ ही घट जाएंगे.

क्यों बढ़े बरबट्टी और तोरई के दाम

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पितृपक्ष में बरबट्टी और तोरई सब्जी के दाम दोगुने हुए

राजधानी रायपुर के शास्त्री बाजार सहित दूसरे बाजारों के सब्जी दुकानदार बताते हैं कि पितृपक्ष (Pitru Paksha ) के कारण बरबट्टी और तोरई के दाम बढ़े हैं. पितृपक्ष की शुरुआत ( Beginning of Parenthood) 21 सितंबर से हुई थी तब से लेकर अब तक बरबट्टी और तोरई के दाम प्रति किलोग्राम दोगुने हो गए हैं. पितृपक्ष की समाप्ति 6 अक्टूबर को हो जाएगी. वर्तमान में बरबट्टी और तोरई के साथ ही दूसरी हरी सब्जियों के दाम भी कम हो जाएंगे. वर्तमान में बरबट्टी और तोरई की आवक भी कम है, जिसके कारण कीमतों में वृद्धि हुई हैं.

barbatti
बरबट्टी

ग्रामीण इलाकों में बनाई जाती है तोरई की सब्जी

पं. मनोज शुक्ला बताते हैं कि प्राचीन काल से ग्रामीण इलाकों में अपने घर की बाड़ी में साग सब्जी लगाने की परंपरा चली आ रही है. खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में पितृपक्ष (Patriarchy in Countryside) के 15 दिनों में ग्रामीण इलाकों में बड़ा और पूड़ी के साथ ही तोरई की सब्जी बनाते हैं. जिसका प्रभाव आज शहरी क्षेत्र पर भी देखने को मिल रहा है और यही वजह है कि तोरई की मांग बढ़ने के साथ ही इसके दाम भी बढ़े हैं.

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