रायपुर: देशभर में हिंदी के महत्व को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. कर्नाटक समेत कुछ राज्यों ने अपनी मातृभाषा को लेकर अपना मत साफ किया है. इस बीच राजधानी में भी प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई की मांग जोर पकड़ने लगी है.
छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के प्रांतीय संयोजक नन्दकिशोर शुक्ल ने ETV भारत से इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए बताया कि हिंदी को लेकर आपत्ति नहीं है, लेकिन हिंदी के साथ छत्तीसगढ़ी भाषा को भी आगे बढ़ाया जाना चाहिए.
बातचीत में उन्होंने कहा कि हिंदी के मायाजाल में छत्तीसगढ़ की सभी भाषाएं दब गई हैं. शुक्ल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में रहने वालों की पहली भाषा और मातृभाषा छत्तीसगढ़ी है. संविधान की धारा 350 क में स्पष्ट प्रावधान है कि बच्चों को अनिवार्य शिक्षा उसकी मातृभाषा में ही दी जाए.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने 12 साल पहले छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिया था. आयोग भी बनाया गया, लेकिन अब तक पढ़ाई छत्तीसगढ़ी में शुरू नहीं की गई है. यहां 300 से ज्यादा छात्र छत्तीसगढ़ी में एमए की पढ़ाई करके खाली बैठे हैं. उन्होंने राज्य सरकार से अपील करते हुए कहा कि पांचवीं तक के सभी बच्चों को छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई कराई जाए.