रायपुर: कोरोना का असर हर सेक्टर पर देखने को मिल रहा है. कई कारोबार मंदी की मार झेल रहे हैं. कोरोना का असर त्योहारों पर भी देखने को मिल रहा है. रक्षाबंधन हो या ईद सभी त्योहार इस बार फीके पड़ गए. अब जन्माष्टमी को लेकर भी बाजार पूरी तरह सज चुके हैं. ईद और राखी में लॉकडाउन के कारण व्यापारी दुकान उस तरीके से नहीं खोल पाए थे, जैसे हर साल खोले जाते हैं. इसलिए कहीं ना कहीं व्यापारियों की उम्मीद जन्माष्टमी पर टिकी हुई थी. जन्माष्टमी पर बाजारों में थोड़ी रौनक देखने को मिली भी है. लोग भगवान की रंग-बिरंगी पोशाकें और अन्य सामान खरीदने घरों से बाहर निकल रहे हैं.
जन्माष्टमी को देखते हुए भगवान कृष्ण के श्रृंगार के लिए अलग-अलग तरह की पोशाकें बाजारों में उपलब्ध हैं. सरकार ने गाइडलाइन जारी किया है कि एक बार में किसी भी दुकान में केवल 5 लोग ही जा सकते हैं. इसे देखते हुए सभी दुकानदार एक बार में केवल 5 लोगों को ही अपनी दुकान में एंट्री दे रहे हैं. व्यापारी बताते हैं कि कोरोना के कारण ग्राहकों में बेहद कमी आई है. व्यापार अब केवल 40% तक ही रह गया है.
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कॉटन के पोशाक की बढ़ी मांग
व्यापारी बताते हैं कि हर बार जन्माष्टमी के लिए लोग ज्यादातर चमकीले या नेट के कपड़े ले जाना पसंद करते थे, लेकिन इस बार लोग कॉटन के कपड़े ज्यादा पसंद कर रहे हैं. बाजारों में पोशाक के अलावा मुकुट, बांसुरी, मोर पंख, गहने, जेवर जैसे सामानों की डिमांड भी काफी ज्यादा है. लोग फैंसी मुकुट या पगड़ी खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
लोग बरत रहे सावधानी
बाजारों में खरीदी करने आए ग्राहकों का कहना है कि वे दुकानों से कपड़े खरीदकर पहले घर पर उसे धोते हैं, उसके बाद ही उसका इस्तेमाल करते हैं. बता दें कि देश भर में बुधवार को भी जन्माष्टमी मनाई जा रही है. इसकी धूम छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिल रही है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस बार त्योहार फीके पड़ रहे हैं.