रायपुर: जंगल सफारी में 17 हिरणों (चौसिंगा) की मौत की वजह का पता चल गया है.इन हिरणों की मौत खतरनाक वायरस फूड एंड माउथ डिजीज (FMD) से हुई है. जिसका खुलासा भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली, उत्तर प्रदेश से मिली रिपोर्ट से हुआ है. इस रिपोर्ट की पुष्टि मुख्य वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ राकेश वर्मा ने की है.
डॉ राकेश वर्मा ने बताया कि यह वायरस इतना खतरनाक है कि इससे चंद मिनट में ही जानवरों की मौत हो जाती है. यह वायरस जानवरों के हार्ट पर असर करता है और एक तरीके से हार्ट अटैक की वजह से जानवर की मौत हो जाती है. यह वायरस पालतू पशुओं में पाया जाता है और उन पशुओं के संपर्क में आने वाले व्यक्ति वस्तु या खाने पीने की चीज सहित अन्य कई माध्यम से दूसरे जानवरों में भी पहुंच जाता है यानी कि इस वायरस का वाहक इंसान भी हो सकता है.
फूड एंड माउथ डिजीज (FMD) वायरस: जंगल सफारी में 25 से 29 नवंबर तक 17 हिरणों की मौत हुई थी. हिरणों की 10 से 15 मिनट के अंदर मौत हो गई. उनके इलाज का भी समय नहीं मिल सका. किसी प्रकार के कोई लक्षण नहीं पता चल पा रहा था.उनकी मौत के बाद जानवरों का बिसरा इंडियन वेटरिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली, उत्तर प्रदेश भेजा गया था जिसकी रिपोर्ट आ चुकी है. इससे पता चला है कि हिरणों की मौत फूड एंड माउथ डिजीज (FMD) से हुई है.
पालतू पशु में पाई जाती है यह बीमारी: डॉक्टर ने बताया कि यह रोग सामान्यतः पालतू पशु में पाया जाता है. यह संक्रामक रोग बारिश की वजह से काफी तेजी से फैलता है. भारत में सबसे ज्यादा मवेशियों की मौत इसी रोग की वजह से होती है. इस वायरस का असर सीधे जानवर के हार्ट पर होता है और कुछ ही देर में पशुओं की मौत हो जाती है या यूं कहे कि हार्टअटैक जैसा ही लक्षण देखने को मिलता है.
व्यक्ति भी हो सकता है इस वायरस का वाहक: डॉ राकेश वर्मा ने बताया कि इस संक्रमण के जानवरों में फैलाने के बहुत सारे कारण होते हैं. हवा, आसपास के इलाकों में फैले वायरस, अन्य जानवरों के संपर्क में आना, खाने-पीने की चीज सहित अन्य वस्तुओं के माध्यम से यह वायरस दूसरे जानवर में चला जाता है. इतना ही नहीं यदि किसी के घर में पालतू जानवर है और उसमें यह वायरस है तो वह उस घर में रहने वाले व्यक्ति के जरिए दूसरे जानवरों में भी जा सकता है.
वायरस फैलने की वजह ढूंढने में जुटा विभाग: डॉ राकेश वर्मा का कहना है कि जंगल सफारी के जानवर तक के वायरस कैसे पहुंचा इसकी जानकारी लगाने की कोशिश की जा रही है. आसपास के गांव में भी यह जानकारी जुटाई जा रही है कि हाल फिलहाल वहां क्या इस तरह का वायरस जानवरों में पाया गया है. इस जंगल सफारी के आसपास लगभग चार-पांच गांव हैं.
राकेश वर्मा ने बताया कि हिरणों की मौत के बाद ही जंगल सफारी के जानवरों को सुरक्षित रखने के लिए कई उपाय अपनाए गए हैं. जानवरों को आइसोलेट किया गया. पूरे बाड़े पर स्प्रे किया गया. कीपर्स को भी आइसोलेट किया गया है. सभी जानवरों को रोग प्रतिरोध दवाइयां विटामिन सी सहित अन्य दवाइयां दी जा रही है इसलिए यह गंभीर बीमारी जो की अन्य जानवरों में फैल सकती थी उसे रोकने में हमें सफलता मिली है.