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निलंबित IPS जीपी सिंह की याचिका पर HC में फैसला सुरक्षित - IPS GP Singh

बिलासपुर हाईकोर्ट में निलंबित IPS जीपी सिंह की याचिकाओं पर सुनवाई की गई. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. पढ़ें पूरी खबर

निलंबित IPS जीपी सिंह
निलंबित IPS जीपी सिंह
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Published : Jul 20, 2021, 8:42 PM IST

रायपुर: बिलासपुर हाईकोर्ट ( Bilaspur High Court ) में निलंबित आईपीएस जीपी सिंह (Suspended IPS GP Singh) की याचिकाओं पर सुनवाई पूरी हो गई है. मामले में IPS और छत्तीसगढ़ सरकार दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा लिया गया है.

पिछले सुनवाई में निलंबित सीनियर IPS जीपी सिंह की दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से केस डायरी तलब की थी. जीपी सिंह ने अंतरिम राहत की मांग को लेकर अपनी पहली याचिका लगाई थी. उस पर कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया था. शासन की ओर से केस डायरी पेश की गई. छत्तीसगढ़ के सीनियर IPS जीपी सिंह ने अपने वकील किशोर भादुड़ी के माध्यम से रिट पिटीशन दायर कर मांग की थी. पिटीशन में उन्होंने CBI से जांच की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने एक और याचिका दायर कर सरकार के राजद्रोह के केस को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

HC की शरण में पहुंचे IPS जीपी सिंह, CBI जांच की मांग, सरकार पर लगाए आरोप

10 ठिकानों पर हुई थी छापे की कार्रवाई

1 जुलाई को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह के कई ठिकानों पर छापा मारा था. एसीबी को जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत मिली थी. शिकायत के बाद सिंह के सरकारी आवास समेत लगभग 10 ठिकानों पर छापे की कार्रवाई शुरू की गई. 68 घंटे चले मैराथन छापेमार कार्रवाई में एसीबी को जीपी सिंह के खिलाफ 10 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति के दस्तावेज मिले थे.

1994 बैच के ऑफिसर हैं जीपी सिंह

छापे के बाद उन्हें राज्य सरकार ने पद से निलंबित कर दिया था. वहीं बाद में उनके ऊपर राजद्रोह का मामला भी दर्ज कर दिया गया. राजद्रोह का मामला दर्ज होने के बाद से ही जीपी सिंह ने हाईकोर्ट की शरण ली है. रिट याचिका दायर करते हुए IPS ने पूरे मामले में स्वतंत्र एजेंसी सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की है. मामले की जांच शुरू नहीं होने तक राज्य के पुलिस की जांच पर भी रोक लगाने की मांग की है. एडीजी जीपी सिंह, भारतीय पुलिस सेवा के 1994 बैच के अधिकारी हैं. वर्तमान में वह राज्य पुलिस अकादमी के निदेशक हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सिंह एसीबी (ACB)के प्रमुख भी रहे थे. राज्य सरकार ने उन्हें पिछले वर्ष जून माह में हटा दिया था.

रायपुर: बिलासपुर हाईकोर्ट ( Bilaspur High Court ) में निलंबित आईपीएस जीपी सिंह (Suspended IPS GP Singh) की याचिकाओं पर सुनवाई पूरी हो गई है. मामले में IPS और छत्तीसगढ़ सरकार दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा लिया गया है.

पिछले सुनवाई में निलंबित सीनियर IPS जीपी सिंह की दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से केस डायरी तलब की थी. जीपी सिंह ने अंतरिम राहत की मांग को लेकर अपनी पहली याचिका लगाई थी. उस पर कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया था. शासन की ओर से केस डायरी पेश की गई. छत्तीसगढ़ के सीनियर IPS जीपी सिंह ने अपने वकील किशोर भादुड़ी के माध्यम से रिट पिटीशन दायर कर मांग की थी. पिटीशन में उन्होंने CBI से जांच की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने एक और याचिका दायर कर सरकार के राजद्रोह के केस को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

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10 ठिकानों पर हुई थी छापे की कार्रवाई

1 जुलाई को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह के कई ठिकानों पर छापा मारा था. एसीबी को जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत मिली थी. शिकायत के बाद सिंह के सरकारी आवास समेत लगभग 10 ठिकानों पर छापे की कार्रवाई शुरू की गई. 68 घंटे चले मैराथन छापेमार कार्रवाई में एसीबी को जीपी सिंह के खिलाफ 10 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति के दस्तावेज मिले थे.

1994 बैच के ऑफिसर हैं जीपी सिंह

छापे के बाद उन्हें राज्य सरकार ने पद से निलंबित कर दिया था. वहीं बाद में उनके ऊपर राजद्रोह का मामला भी दर्ज कर दिया गया. राजद्रोह का मामला दर्ज होने के बाद से ही जीपी सिंह ने हाईकोर्ट की शरण ली है. रिट याचिका दायर करते हुए IPS ने पूरे मामले में स्वतंत्र एजेंसी सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की है. मामले की जांच शुरू नहीं होने तक राज्य के पुलिस की जांच पर भी रोक लगाने की मांग की है. एडीजी जीपी सिंह, भारतीय पुलिस सेवा के 1994 बैच के अधिकारी हैं. वर्तमान में वह राज्य पुलिस अकादमी के निदेशक हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सिंह एसीबी (ACB)के प्रमुख भी रहे थे. राज्य सरकार ने उन्हें पिछले वर्ष जून माह में हटा दिया था.

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