रायपुर : छत्तीसगढ़ में बेमौसम बारिश किसानों और ग्रामीणों के लिए आफत बनकर आई. विधानसभा में सरकार ने ओलावृष्टि और मौतों की जानकारी दी. जिसमें सरकार ने सर्वे कराने के बाद मुआवजा वितरण की बात कही है. वहीं विपक्ष ने राज्य के कई हिस्सों में असमय बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को हुए नुकसान का मुद्दा उठाया. साथ ही स्थगन प्रस्ताव नोटिस देकर चर्चा की मांग की .
विपक्ष ने सरकार पर लगाए आरोप : भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि ''कई स्थानों पर सब्जियां, गेहूं और चने की फसल को नुकसान हुआ है, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक नुकसान का आकलन नहीं किया है.'' भाजपा विधायक अजय चंद्राकर और धरमलाल कौशिक ने कहा कि ''किसान राज्य सरकार की खराब नीतियों का खामियाजा भुगत रहे हैं और उन्हें फसलों को हुए नुकसान का तुरंत मुआवजा दिया जाना चाहिए.'' इसके लिए विपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया.
फसल नुकसान पर चर्चा का आश्वासन : डिप्टी स्पीकर संतराम नेताम ने विपक्ष के नोटिस को खारिज कर दिया. संतराम नेताम ने विपक्ष को आश्वासन दिया कि इस मुद्दे को बाद में किसी भी रूप में चर्चा के लिए उठाया जाएगा. इसके बाद मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि ''उनके विभाग को फसल नुकसान की रिपोर्ट मिली है और कलेक्टरों को रायपुर, दुर्ग, बेमेतरा और कबीरधाम सहित सभी जिलों में फसल क्षति का आकलन करने का निर्देश दिए गए हैं.''
मंत्री ने दी सदन में नुकसान की जानकारी : राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने सदन में जानकारी देते हुए बताया कि ''राज्य में 19 मार्च को 13.7 मिमी और 20 मार्च को 6.2 मिमी बारिश हुई थी. बिजली गिरने से सात लोगों की मौत हुई है.वहीं ओलावृष्टि से एक व्यक्ति की मौत हुई है. जानवरों और 209 घरों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है. बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से करीब 385.216 हेक्टेयर में फसल खराब हुई है. प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई 15 दिन के भीतर करने का प्रावधान है.''
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मृतकों के परिवार के लिए मुआवजे की मांग : वहीं विपक्ष के नेता नारायण चंदेल ने मौसम की मार से मारे गए आठ व्यक्तियों के परिवार को मुआवजा राशि देने की मांग की है. नारायण चंदेल ने कहा कि, राजस्व अधिकारियों को प्राकृतिक आपदाओं में मारे लोगों के परिजनों को तुरंत मुआवजा देना चाहिए.''
सोर्स: पीटीआई