रायपुर: अक्सर लोग घर को आकर्षक बनाने को सीमेंट और कांक्रीट से बने टाइल्स का उपयोग करते हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ में अब गोबर से टाइल्स बनाने का काम शुरू हो रहा है. अब जल्द ही प्रदेश के बाजारों में गोबर के टाइल्स मिलने लगेंगे. गोबर के टाइल्स लगाए जाने से घरों में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे, ये सोच इसका निर्माण गोठानों में किया जा रहा है. गोबर से बने टाइल्स गर्मियों में ठंडक प्रदान करेगी. इसके साथ ही घर में कीड़े-मकोड़ों से भी लोगों को छुटकारा मिलेगा. गोबर से बने टाइल्स का निर्माण रायपुर के एक गोठान से शुरू होने वाला है. जिसके बाद इसे लैब टेस्टिंग के लिए भी भेजा जाएगा. वहां से हरी झंडी मिलने के बाद गोबर से बने टाइल्स बाजारों में देखने को मिलेंगे.
लोगों की मांग के बाद बन रहा गोबर टाइल्स
छत्तीसगढ़ में जब से गोधन न्याय योजना की शुरुआत हुई है तब से गोठानों में गोबर से कई तरह की चीजों का निर्माण किया जा रहा है. शुरुआती दौर में गोठानों में गोबर से वर्मी कंपोस्ट, दीया, चप्पल और ईंट सहित कई तरह की चीजों का निर्माण किया जा रहा था, लेकिन पहली बार गोबर से बने टाइल्स का निर्माण भी शुरू की जा रही है. रायपुर के पहल सेवा समिति के माध्यम से संचालित गोठान में गोबर के टाइल्स बन रहे हैं.
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लोगों की डिमांड पर बन रहे टाइल्स
इस विषय में संचालक रितेश अग्रवाल ने बताया कि उनके गोठान में ज्यादातर लोग गोबर की ईट खरीदने आते हैं. ईट खरीदने वाले लोगों ने गोबर से बने टाइल्स की मांग की थी, जिसके बाद हमने गोबर से बने टाइल्स बनाने की पहल की है. गोठान के संचालक रितेश अग्रवाल ने बताया कि 7 से 8 दिन का पूरा समय लगता है. इसमें किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया जाता. गोबर से बने टाइल्स निर्माण के लिए ग्वारगम, चुना, लकड़ी के बुरादे का उपयोग किया जाता है. इसमें 80 फीसदी गोबर डाली जाती है. यह गोबर ताजा होना बेहद जरूरी है. क्योंकि गोबर ताजा रहेगा तो बाकी चीजों को मिक्स करने में आसानी होता है. टाइल्स निर्माण के लिए लकड़ी का एक खांचा बनाया जाता है. उसी खांचे में गोबर को डाला जाता है. जिसके बाद उसे धूप में सुखाया जाता है. इसे करीब 7-8 दिनों तक धूप में सुखाना पड़ता है.
कांक्रीट के जंगल से मिलेगी मुक्ति
गोठान संचालक अग्रवाल कहते हैं कि सामान्य टाइल्स टूटने के बाद कांक्रीट के जंगल में तब्दील हो जाता है. ऐसे में लोगों की मांग के बाद हमने गोबर का टाइल्स बनाना शुरू किया है. यह टाइल्स मंदिर में या घरों में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे घर में ठंडकता बनी रहेगी. इसके साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा भी मिलेगी. यदि गोबर के टाइल्स टूटते भी हैं तो यह कांक्रीट के जंगल की तरह नहीं रहेगा.
लैब से हरी झंडी का इंतजार
नेशनल बिल्डिंग मटेरियल के लैब में गोबर से निर्मित टाइल्स को भेजने की तैयारी है. लैब से आए रिपोर्ट के बाद बताया जाएगा कि ये कितने डिग्री में जलती है. यह पानी में घुलेगी या नहीं. ये टाइल्स कितने दिन टिकेगी. इसकी उम्र क्या होगी? इसकी लैब टेस्ट रिपोर्ट जब पूरी तरह आ जाएगी और हमें इसकी हरी झंडी मिल जाएगी. फिर हम इसे बाजार में उतार देंगे. अगर यह सक्सेस हुआ तो गोठान की महिलाओं को भी रोजगार मिलेगा. छत्तीसगढ़ में गोबर निर्मित टाइल्स निश्चित ही एक नई पहल मानी जा रही है. इसे टेस्टिंग के लिए लैब भी भेजने की तैयारी है, लेकिन यह कितना कारगर है ये तो लैब टेस्टिंग के बाद पता चलेगा. यदि इसे हरी झंडी मिलती है तो फिर निश्चित ही यह लोगो के लिए कारगर साबित होगा.