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14 जुलाई को होगी छत्तीसगढ़ कैबिनेट की बैठक, गोबर के दाम पर लगेगी मुहर - छत्तीसगढ़ कैबिनेट की बैठक

14 जुलाई को छत्तीसगढ़ कैबिनेट की बैठक होने वाली है. बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, साथ ही 'गोधन न्याय योजना' के तहत खरीदे जाने वाले गोबर के दाम पर भी राज्य सरकार की मुहर लग सकती है.

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छत्तीसगढ़ कैबिनेट
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Published : Jul 10, 2020, 12:57 PM IST

Updated : Jul 10, 2020, 2:10 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ कैबिनेट की अहम बैठक 14 जुलाई को होने वाली है. सीएम हाउस में करीब दो महीने बाद होने वाली कैबिनेट की बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. कोरोना संकट के बीच हो रही ये कैबिनेट की बैठक बेहद अहम है. बैठक में छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी के दाम को लेकर भी मंत्रिमंडल की उपसमिति के फैसले पर चर्चा कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

बैठक में गोबर खरीदी के लिए वित्तीय प्रबंधन को लेकर भी निर्णय लिया जाएगा. बताया जा रहा है कि डीएमएफ फंड से इसके भुगतान की व्यवस्था की जाएगी. राज्य सरकार लगातार ये जोर दे रही है कि इस तरह पशुधन का संरक्षण और संवर्धन हमारे विकास के लिए आवश्यक है. इसके मद्देनजर राज्य सरकार अहम निर्णय लेते हुए छत्तीसगढ़ में हरेली त्योहार के दिन से 'गोधन न्याय योजना' की शुरुआत करेगी.

'ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आएगा बदलाव'

प्रदेश सरकार का मानना है कि गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने में महत्वपूर्ण साबित होगी. राज्य में नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी के कार्यक्रम के तहत गांवों में गौठान का निर्माण भी किया जाएगा. इन गौठानों के सही ढंग से संचालन के लिए गठित गौठान समिति में गांव के चरवाहा भी अनिवार्य रूप से सदस्य होंगे. गौठान समिति के अर्जित आय में चरवाहों की भी हिस्सेदारी होगी. राज्य में अभी तक 2200 गौठानों का निर्माण हो चुका है और लगभग तीन हजार गौठानों का निर्माण प्रगति पर है.

निर्धारित दर पर की जाएगी गोबर की खरीदी

राज्य में गौठान निर्माण कार्य को गति देते हुए आगे हर गांव में गौठान का निर्माण किया जाएगा. गोधन न्याय योजना के तहत किसानों और पशुपालकों से शासन के निर्धारित दर पर गोबर की खरीदी की जाएगी. इससे राज्य में गोधन के संरक्षण और संवर्धन और वर्मी कम्पोष्ट के उत्पादन को बढ़ावा देने सहित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में काफी मदद मिलेगी. साथ ही पशुओं के खुले में चराई पर रोक भी लगे, इससे किसान दूसरी फसल या उतेरा फसल का उत्पादन आसानी से कर पाएंगे.

पढ़ें- SPECIAL : गोबर पर सियासत, बीजेपी ने कहा- केंद्र की योजना कॉपी कर रही भूपेश सरकार

इसके अलावा खुले में आवारा घूम रहे पशुओं की वजह से होने वाले दुर्घटनाओं पर नियंत्रण किया जा सकेगा. गोबर के संग्रहण से वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी. गोबर की खरीदी होने से पशुपालक किसान पशुपालन के प्रति और अधिक आकर्षित होंगे और पशुओं की सही देखभाल करेंगे.

रायपुर: छत्तीसगढ़ कैबिनेट की अहम बैठक 14 जुलाई को होने वाली है. सीएम हाउस में करीब दो महीने बाद होने वाली कैबिनेट की बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. कोरोना संकट के बीच हो रही ये कैबिनेट की बैठक बेहद अहम है. बैठक में छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी के दाम को लेकर भी मंत्रिमंडल की उपसमिति के फैसले पर चर्चा कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

बैठक में गोबर खरीदी के लिए वित्तीय प्रबंधन को लेकर भी निर्णय लिया जाएगा. बताया जा रहा है कि डीएमएफ फंड से इसके भुगतान की व्यवस्था की जाएगी. राज्य सरकार लगातार ये जोर दे रही है कि इस तरह पशुधन का संरक्षण और संवर्धन हमारे विकास के लिए आवश्यक है. इसके मद्देनजर राज्य सरकार अहम निर्णय लेते हुए छत्तीसगढ़ में हरेली त्योहार के दिन से 'गोधन न्याय योजना' की शुरुआत करेगी.

'ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आएगा बदलाव'

प्रदेश सरकार का मानना है कि गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने में महत्वपूर्ण साबित होगी. राज्य में नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी के कार्यक्रम के तहत गांवों में गौठान का निर्माण भी किया जाएगा. इन गौठानों के सही ढंग से संचालन के लिए गठित गौठान समिति में गांव के चरवाहा भी अनिवार्य रूप से सदस्य होंगे. गौठान समिति के अर्जित आय में चरवाहों की भी हिस्सेदारी होगी. राज्य में अभी तक 2200 गौठानों का निर्माण हो चुका है और लगभग तीन हजार गौठानों का निर्माण प्रगति पर है.

निर्धारित दर पर की जाएगी गोबर की खरीदी

राज्य में गौठान निर्माण कार्य को गति देते हुए आगे हर गांव में गौठान का निर्माण किया जाएगा. गोधन न्याय योजना के तहत किसानों और पशुपालकों से शासन के निर्धारित दर पर गोबर की खरीदी की जाएगी. इससे राज्य में गोधन के संरक्षण और संवर्धन और वर्मी कम्पोष्ट के उत्पादन को बढ़ावा देने सहित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में काफी मदद मिलेगी. साथ ही पशुओं के खुले में चराई पर रोक भी लगे, इससे किसान दूसरी फसल या उतेरा फसल का उत्पादन आसानी से कर पाएंगे.

पढ़ें- SPECIAL : गोबर पर सियासत, बीजेपी ने कहा- केंद्र की योजना कॉपी कर रही भूपेश सरकार

इसके अलावा खुले में आवारा घूम रहे पशुओं की वजह से होने वाले दुर्घटनाओं पर नियंत्रण किया जा सकेगा. गोबर के संग्रहण से वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी. गोबर की खरीदी होने से पशुपालक किसान पशुपालन के प्रति और अधिक आकर्षित होंगे और पशुओं की सही देखभाल करेंगे.

Last Updated : Jul 10, 2020, 2:10 PM IST
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