रायपुर: पूरे देश में एक बार फिर से कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है. हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि कोरोना संक्रमण की तीव्रता अब लगातार कम हो रही है, इसलिए ज्यादा घबराने की बात नहीं है. लेकिन कोरोना गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है. कोरोना की तीव्रता कम करने के लिए बूस्टर डोज (Booster Dose) एक बेहतर उपाय है. 15 जुलाई से केंद्र सरकार द्वारा बूस्टर डोज को लेकर विशेष अभियान चलाया जा रहा है. 13 जुलाई को केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर 18 से 59 आयु वर्ग के लोगों को भी सरकारी टीकाकरण केंद्र (Government Vaccination Center) में बूस्टर डोज लगाने की अनुमति दे दी थी. इसके पहले 18 से 59 आयु वर्ग के लोगों को प्राइवेट अस्पताल में जाकर बूस्टर डोज लगाना पड़ रहा था. जिस वजह से प्रदेश में बूस्टर डोज़ लगाने वालों की संख्या काफी कम थी. बूस्टर डोज को लेकर चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत 15 जुलाई से 21 जुलाई तक 18 से 59 ऐज ग्रुप के 6 लाख लोगों ने बूस्टर डोज़ लगा लिया है.
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बूस्टर डोज लगाने रोजाना 250 से 300 लोग पहुंच रहे टीकाकरण केंद्र: मेडिकल कॉलेज टीकाकरण केंद्र कोऑर्डिनेटर प्रतिभा सरकार ने बताया कि "15 जुलाई से केंद्र सरकार द्वारा बूस्टर डोस (Booster Dose) को लेकर जो विशेष अभियान चलाया जा रहा है. उसके मद्देनजर अभी देखा जा रहा है कि लगभग रोज 250 से 300 लोग रायपुर के मेडिकल कॉलेज टीकाकरण केंद्र (Government Vaccination Center) में टीका लगाने पहुंच रहे हैं. 18 आयु वर्ष के ऊपर के सभी को यहां वैक्सीन लगाया जा रहा है. को-विशील्ड और को-वैक्सीन दोनों यहां पर उपलब्ध है."
लोगों में बूस्टर डोज़ को लेकर दिख रहा उत्साह: मेडिकल कॉलेज टीकाकरण केंद्र कोऑर्डिनेटर प्रतिभा सरकार ने बताया, "15 जुलाई के पहले 18 से 59 वर्ष के लोगों का वैक्सीनेशन प्राइवेट अस्पतालों में चल रहा था. 60 आयु वर्ष से ज्यादा, फ्रंटलाइन वर्कर और स्वास्थ्य कर्मियों को ही सिर्फ सरकारी अस्पतालों में बूस्टर डोज लग रहा था. इस वजह से बूस्टर डोज़ (Booster Dose) लगाने वालों की भीड़ काफी कम थी. लेकिन 15 जुलाई से 18 आयु वर्ष से ऊपर सभी को बूस्टर डोज़ सरकारी अस्पतालों (Government Vaccination Center) में लगाने की अनुमति मिलने के बाद से वैक्सीनेशन को लेकर भीड़ देखी जा रही है.
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प्राइवेट अस्पताल में बूस्टर डोज़ लगने के चलते लोगों की नहीं थी दिलचस्पी: वैक्सीन लगाने आए सुमन चटर्जी ने बताया "18 से 59 आयु वर्ष के लोगो को बूस्टर डोज लगाने के लिए प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ता था. प्राइवेट अस्पतालों में भी एक व्यक्ति को बूस्टर डोज लगाने के लिए 386 देने पड़ते थे. जिस वजह से काफी कम लोग बूस्टर डोज लगाने में दिलचस्पी दिखा रहे थे. तब संक्रमण भी कम था, इस वजह से भी लोग बूस्टर डोज नहीं लगा रहे थे. लेकिन केंद्र सरकार के बूस्टर डोज फ्री करने के बाद लोग बूस्टर डोज लगाने टीकाकरण केंद्र (Government Vaccination Center)पहुंच रहे हैं.
"वैक्सीन के तीनो डोज़ लगाना जरूरी, तभी कोरोना से होगा आपका बचाओ": वैक्सीन लगाने आए दुर्गेश्वरी ठाकुर ने बताया कि "वैक्सीनेशन सभी को करवाना चाहिए. जैसे किसी भी दवाई की पूरी क्राइटेरिया होती है कि उसे 3 बार या चार बार खाना पड़ता है, उसी तरह वैक्सीनेशन की भी पूरी प्रक्रिया है. जिसमें वैक्सीन के तीनो डोज़ लगाना जरूरी है. मैं अभी बूस्टर डोज लगाने यहां आई हूं और मैं सभी को यह अनुरोध भी करती हूं कि वह बूस्टर डोज (Booster Dose) जरूर लगवाएं.
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अधिक से अधिक वैक्सीनेशन के लिए चलाया जा रहा विशेष अभियान: प्रदेश टीकाकरण अधिकारी वी आर भगत ने बताया कि "13 जुलाई को केंद्र सरकार ने 18 आयु वर्ष से अधिक के सभी लोगों को सरकारी टीकाकरण केंद्र (Government Vaccination Center)में बूस्टर डोज को लगाने अनुमति दे दी है. केंद्र सरकार ने बूस्टर डोज लगाने का टाइम ड्यूरेशन भी 9 महीने से घटाकर 6 महीना कर दिया है. 15 जुलाई से प्रदेश में बूस्टर डोज को लेकर विशेष अभियान चलाया जा रहा है. जिसके बाद से प्रदेश में तेजी से लोग वैक्सीनेशन करवा रहे हैं. 18 से 59 आयु वर्ग के लोगों में बूस्टर डोज (Booster Dose) के लेकर काफी उत्साह नजर आ रहा है. 6 दिनों में 6 लाख लोगों ने बूस्टर डोज लगाया है." पहले 18 से 59 आयु वर्ष के लोगो को प्राइवेट अस्पतालों में ही बूस्टर डोस लगाए जा रहा था. जिससे बड़ी संख्या में प्रदेश में रखे गये बूस्टर डोस के एक्सपायर होने का खतरा था. लेकिन अब तेजी से हो रहे वैक्सीनेशन को देख कर माना रहा है कि हमारे जितने वैक्सीन अभी रखे हुए हैं, वह एक्सपायर होने से पहले इस्तेमाल हो जाएंगे.