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मनी लॉन्ड्रिंग में फंसे शराब कारोबारी सुभाष शर्मा की फिर 14 दिन बढ़ी न्यायिक रिमांड, ईडी को दिये अहम क्लू - raipur crime news

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे शराब कारोबारी (Raipur liquor businessman Subhash Sharma) सुभाष शर्मा को कोर्ट ने 14 दिनों के लिए न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने का आदेश दिया है.

Raipur liquor businessman Subhash Sharma
मनी लॉन्ड्रिंग में फंसे शराब कारोबारी सुभाष शर्मा की फिर 14 दिन बढ़ी न्यायिक रिमांड
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Published : Mar 20, 2022, 8:21 PM IST

रायपुर : मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे शराब कारोबारी सुभाष (Raipur liquor businessman Subhash Sharma) शर्मा को आज ईडी ने रायपुर कोर्ट में पेश किया. ईडी रिमांड खत्म होने के बाद ईडी ने उसे फोर्थ एडीजे अजय कुमार सिंह की कोर्ट में पेश किया. जहां कोर्ट ने आरोपी शराब कारोबारी को 14 दिनों के लिए न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने का आदेश दिया. आपको बता दें कि शराब कारोबारी को ईडी ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था. ईडी ने विदेश भागते हुए दिल्ली एयरपोर्ट से उसकी गिरफ्तारी की थी. सूत्रों की मानें तो ईडी की पूछताछ में सुभाष शर्मा ने कई अहम क्लू दिये हैं.

सुभाष शर्मा की बिजनेस पार्टनर जयंती साहू...!
सूत्रों की मानें तो सुभाष शर्मा के तार दुर्ग की पूर्व जिला पंचायत सदस्य जयंती साहू से जुड़े हुए थे. कहा जा रहा है कि जयंती साहू सुभाष शर्मा के किसी बिजनेस की पार्टनर हैं. इसी के आधार पर हाल ही में ईडी ने पूर्व जिला पंचायत सदस्य जयंती साहू और उसके भाई के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी. इसमें ईडी को कई अहम दस्तावेज मिलने की जानकारी आ रही है. बता दें कि ईडी ने 14 मार्च की सुबह 7 बजे जयंती साहू के गांव गातापार में दबिश दी थी.

यह भी पढ़ें : ईडी का शिकंजा...मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शराब कारोबारी सुभाष शर्मा गिरफ्तार, 39.68 करोड़ की संपत्ति अटैच

ईडी और सीबीआई ने एक साथ की थी छापेमारी
जानकारी के मुताबिक सुभाष शर्मा के खिलाफ ईडी और सीबीआई ने एक साथ दिसंबर 2018 में छापेमारी की थी. छापे के दौरान ईडी को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले थे. उसके बाद से ही लगातार सुभाष शर्मा के दस्तावेजों की पड़ताल की जा रही थी. ईडी के अनुसार सुभाष शर्मा ने फर्जी तरीके से 54 करोड़ का ऋण लिया था. जांच में सामने आया है कि शर्मा ने 29.65 करोड़ की लोन राशि विभिन्न कंपनियों के जरिये मशीनों समेत अन्य चीजों के लिए निवेश किया था.

लोन लेकर दूसरे व्यवसाय में किया निवेश
ईडी की जांच में पाया गया है कि दिसंबर 2009 से लेकर दिसंबर 2014 तक सुभाष शर्मा ने बैंकों से लोन लिया था. लोन के इस पैसे को दूसरे व्यवसाय में निवेश किया. साथ ही लोन की राशि से फर्जी कंपनियों के नाम से चल अचल संपत्ति भी खरीदी. सुभाष शर्मा की कई संपत्तियों की कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं थी. उन्हें केवल लोन की राशि ट्रांसफर करने के लिए बनाया गया था.

रायपुर : मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे शराब कारोबारी सुभाष (Raipur liquor businessman Subhash Sharma) शर्मा को आज ईडी ने रायपुर कोर्ट में पेश किया. ईडी रिमांड खत्म होने के बाद ईडी ने उसे फोर्थ एडीजे अजय कुमार सिंह की कोर्ट में पेश किया. जहां कोर्ट ने आरोपी शराब कारोबारी को 14 दिनों के लिए न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने का आदेश दिया. आपको बता दें कि शराब कारोबारी को ईडी ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था. ईडी ने विदेश भागते हुए दिल्ली एयरपोर्ट से उसकी गिरफ्तारी की थी. सूत्रों की मानें तो ईडी की पूछताछ में सुभाष शर्मा ने कई अहम क्लू दिये हैं.

सुभाष शर्मा की बिजनेस पार्टनर जयंती साहू...!
सूत्रों की मानें तो सुभाष शर्मा के तार दुर्ग की पूर्व जिला पंचायत सदस्य जयंती साहू से जुड़े हुए थे. कहा जा रहा है कि जयंती साहू सुभाष शर्मा के किसी बिजनेस की पार्टनर हैं. इसी के आधार पर हाल ही में ईडी ने पूर्व जिला पंचायत सदस्य जयंती साहू और उसके भाई के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी. इसमें ईडी को कई अहम दस्तावेज मिलने की जानकारी आ रही है. बता दें कि ईडी ने 14 मार्च की सुबह 7 बजे जयंती साहू के गांव गातापार में दबिश दी थी.

यह भी पढ़ें : ईडी का शिकंजा...मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शराब कारोबारी सुभाष शर्मा गिरफ्तार, 39.68 करोड़ की संपत्ति अटैच

ईडी और सीबीआई ने एक साथ की थी छापेमारी
जानकारी के मुताबिक सुभाष शर्मा के खिलाफ ईडी और सीबीआई ने एक साथ दिसंबर 2018 में छापेमारी की थी. छापे के दौरान ईडी को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले थे. उसके बाद से ही लगातार सुभाष शर्मा के दस्तावेजों की पड़ताल की जा रही थी. ईडी के अनुसार सुभाष शर्मा ने फर्जी तरीके से 54 करोड़ का ऋण लिया था. जांच में सामने आया है कि शर्मा ने 29.65 करोड़ की लोन राशि विभिन्न कंपनियों के जरिये मशीनों समेत अन्य चीजों के लिए निवेश किया था.

लोन लेकर दूसरे व्यवसाय में किया निवेश
ईडी की जांच में पाया गया है कि दिसंबर 2009 से लेकर दिसंबर 2014 तक सुभाष शर्मा ने बैंकों से लोन लिया था. लोन के इस पैसे को दूसरे व्यवसाय में निवेश किया. साथ ही लोन की राशि से फर्जी कंपनियों के नाम से चल अचल संपत्ति भी खरीदी. सुभाष शर्मा की कई संपत्तियों की कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं थी. उन्हें केवल लोन की राशि ट्रांसफर करने के लिए बनाया गया था.

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