रायपुरः 16 जनवरी से पूरे देश में वैक्सीनेशन (vaccination) की प्रक्रिया शुरू की गई है. सबसे पहले फ्रंट लाइन वर्कर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन लगाया गया, जिसके बाद बुजुर्गों को और फिर युवाओं को वैक्सीन लगाया जा रहा है. भारत में को-वैक्सीन और कोवीशिल्ड के ही 2-2 डोज लोगों को लगाए जा रहे हैं. को-वैक्सीन का पहला डोज लगने के 28 दिन बाद ही दूसरा डोज लगाया जा रहा है. वहीं कोवीशिल्ड का पहला डोज लगने के 84 दिन बाद दूसरा डोज लोगों को लगाया जा रहा है. दोनों वैक्सीन दो अलग सिरम इंस्टीट्यूट के हैं और अलग-अलग तरीके से बनाये गये हैं. इससे दोनों वैक्सीन शरीर में अलग-अलग तरीके से काम करते हैं.
आईसीएमआर ने मिक्स वैक्सीन के ट्रायल को दी मंजूरी
को-वैक्सीन और कोवीशिल्ड के साथ-साथ भारत में और भी कई वैक्सीन हैं, जो लोगों को लगाई जा रही हैं. वहीं लोग अपनी इच्छा के अनुसार अलग-अलग कंपनी के वैक्सीन भी लगा सकते हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि भारत में बनी दोनों वैक्सीन कोरोना से लड़ने में कारगर है. वहीं अब आईसीएमआर भारत में मिक्स वैक्सीन (mix vaccine) के कांसेप्ट पर काम कर रहा है. जबकि आईसीएमआर ने मिक्स वैक्सीन के ट्रायल को मंजूरी भी दे दी है. हालांकि सरकार ने अभी उसको लेकर कोई गाइडलाइन जारी नहीं किया है. उम्मीद है कि जल्द ही मिक्स वैक्सीन भी लोगों को लगाई जाएगी. बताया जा रहा है कि मिक्स वैक्सीन कोरोना के अलग-अलग वैरीएंट से लड़ने में भी कारगर साबित होगी.
मिक्स वैक्सीन नया कॉन्सेप्ट, सरकार का निर्देश आना बाकी
कोरोना आईसीयू डिपार्टमेंट के हेड ओपी सुंदरानी ने कहा कि मिक्स वैक्सीन एक नया कॉन्सेप्ट है, लेकिन इस पर रिसर्च काफी समय से चल रहा था. अभी फाइनल दिशा-निर्देश और गाइडलाइन सरकार की तरफ से इसमें आना बाकी है. हमें कुछ समय और इंतजार करना होगा, जिससे एक क्लियर गाइडलाइन हमें आईसीएमआर और सरकार से मिलेगी. जिसके बाद सारे स्टेट उसको फॉलो करेंगे. अभी उसके लिए हमें इंतजार करना पड़ेगा.
मिक्स डोज से अलग-अलग वैरिएंट से लड़ने में मिल सकती है ताकत
एक ही वैक्सीन के दोनों डोज लगाने से यह होता है कि पहला डोज लगाने से शरीर में एंटीबॉडीज बनती है. दूसरा डोज लगाने से एंटीबॉडीज और मजबूत होती है. अगर दो अलग-अलग कांसेप्ट वाली वैक्सीन लगाएंगे तो शरीर में दो अलग-अलग मेकैनिज्म काम करेंगे. इसमें संभवत यह माना जा रहा है कि जब वायरस का अटैक होगा तो दोनों ही मैकेनिज्म एक्टिवेट होंगे और शायद लोगों को स्ट्रांग इम्यूनिटी मिल सकेगी.