रायपुर: राजधानी समेत पूरे देश में 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन किया गया दान मनुष्य को 100 गुना ज्यादा पुण्य देता है. यह दिन विशेष माना गया है. मकर संक्रांति के दिन तिल से बने लड्डू, पापड़ी, गजक, मूंगफली और गुड़ का दान करने के साथ ये सब खाने की भी परंपरा है. लेकिन बढ़ते कोरोना संक्रमण ने इन दुकानों पर भी ग्रहण लगा दिया है. पिछले 4 दिनों से ग्राहकों की संख्या भी इन दुकानों पर कम दिखाई दे रही है. बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से ग्राहक भी इन दुकानों से नदारद है. दुकानदारों में कोरोना के डर के कारण मायूसी साफ तौर पर दिखाई दे रही है. इनका व्यवसाय घटकर 40 फीसद पर पहुंच गया.
बढ़ते कोरोना से खौफ में रायपुर के दुकानदार
हिंदू पंचांग और ज्योतिषियों के मुताबिक हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. इस दिन सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश होता है. यानी सूर्य का उत्तरायण होना शुरू हो जाता है. मकर संक्रांति को उत्तरायण का पर्व भी कहा जाता है. मकर संक्रांति में गुड़, मूंगफली, तिल से बनी पापड़ी और लड्डू दान करने के साथ, खाने की भी परंपरा है. लेकिन बढ़ते कोरोना का असर इन दुकानों पर भी साफ तौर पर दिख रहा है. दुकानदारों का कहना है कि कोरोना की वजह से ग्राहकी भी कम हुई है. दुकानदार बताते हैं कि पिछले 4 दिनों से कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अन्य सालों की तुलना में सामान भी बाजार में कम लेकर आए हैं. उन्हें भी डर है कि आने वाले समय में लॉकडाउन होता है तो उनके सामानों की बिक्री नहीं हो पाएगी.
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तिल और मूंगफली से बने सामानों की कीमत
इस बार तिल के बने लड्डू और पापड़ी की कीमत 200 रुपए प्रति किलो है. इसी तरह तिल से बने गजक की कीमत 240 रुपए प्रति किलोग्राम बतायी जा रही है. मूंगफली से बने पापड़ी और लड्डू की कीमत 150 रुपए प्रति किलोग्राम है. मकर संक्रांति को देखते हुए बाजार में रेवड़ी भी बिक रही है. शक्कर और तिल से बनी रेवड़ी की कीमत प्रति किलोग्राम 150 रुपए है, जबकि गुड़ और तिल से बनी रेवड़ी की कीमत प्रति किलोग्राम 240 रुपए है.