रायपुर : राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 को राधानगर, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत में हुआ था. वह एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे. राजा राममोहन राय ने संस्कृत, फारसी, अरबी और अंग्रेजी सहित कई भाषाओं में व्यापक शिक्षा प्राप्त की. रॉय ने अपने समय के दौरान भारतीय समाज में प्रचलित सामाजिक बुराइयों का सक्रिय रूप से विरोध किया. जिसमें सती प्रथा (अपने पति की चिता पर आत्मदाह करने वाली विधवाओं की प्रथा), बाल विवाह, बहुविवाह और जातिगत भेदभाव शामिल हैं. राजा राममोहन राय ने शिक्षा, महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने की मांग की.
ब्रह्म समाज की स्थापना : राजा राममोहन राय के महत्वपूर्ण योगदानों में से एक 1828 में ब्रह्म समाज का गठन था.ब्रह्म समाज एक सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन था. जिसका उद्देश्य हिंदू धर्म से अंधविश्वास, कर्मकांड और मूर्ति पूजा को हटाना था.इसने "सर्वोच्च होने" की पूजा और कारण और नैतिकता के महत्व की वकालत की. राजा राममोहन राय भी शिक्षा के समर्थक थे. उन्होंने शिक्षण संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 1817 में एंग्लो-हिंदू स्कूल की स्थापना की, जो बाद में कोलकाता में प्रेसीडेंसी कॉलेज के रूप में विकसित हुआ.
ब्रिटिश मानसिकता के थे विरोधी : अपने सामाजिक और शैक्षिक सुधारों के अलावा, रॉय भारतीयों के अधिकारों के कट्टर समर्थक थे. राजा राममोहन राय ने राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाई. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की आलोचना की . ब्रिटिश प्रशासन में भारतीयों के लिए अधिक से अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व की वकालत करते हुए, भारतीय और ब्रिटिश समुदायों के बीच की खाई को पाटने की मांग की.
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आधुनिक भारत के प्रणेता : भारतीय समाज में राजा राममोहन राय के योगदान और कारण, शिक्षा और सामाजिक सुधार पर उनके जोर ने आधुनिक भारत की नींव रखी. उनके विचार और प्रयास देश में सुधारकों और बुद्धिजीवियों की पीढ़ियों को प्रेरित करते रहे हैं.