ETV Bharat / state

छत्तीसगढ़ के ऐसे माटीपुत्र जिन्होंने भारतीय संविधान की रचना में निभाई अहम भूमिका

26 जनवरी साल 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ था. संविधान के निर्माण में देशभर की महान विभूतियों ने अपना योगदान दिया. आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर हम छत्तीसगढ़ के उन माटीपुत्रों के बारे में बताने जा रहे हैं. जिन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है.

indian constitution
भारतीय संविधान
author img

By

Published : Aug 14, 2022, 10:15 PM IST

रायपुर: 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता कहा जाता है. छत्तीसगढ़ के माटीपुत्रों ने भी संविधान को तैयार कराने में अहम भूमिका निभाई थी. जिनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. गणतंत्र दिवस के अवसर पर हम उन्हीं महान विभूतियों को नमन कर रहे हैं.

संविधान निर्माण में अहम भूमिका: छत्तीसगढ़ से संविधान निर्माण परिषद में पंडित रविशंकर शुक्ल, डॉक्टर छेदीलाल बैरिस्टर, घनश्याम सिंह शुक्ल, राजघराने से रघुराज सिंहदेव समेत कई अन्य लोगों की अहम भूमिका रही. छत्तीसगढ़ की रियासती जनता का प्रतिनिधित्व करने के लिए पं. किशोरी मोहन त्रिपाठी, कांकेर के रामप्रसाद पोटाई निर्वाचित किए गए.

घनश्याम सिंह गुप्ता:घनश्याम सिंह गुप्ता का जन्म 22 दिसंबर 1885 में दुर्ग में हुआ.घनश्याम ने 1906 में जबलपुर के राबर्टसन कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की. उन्हें गोल्ड मेडल से भी सम्मानित किया गया.1908 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की थी.संविधान सभा के सदस्य घनश्याम सिंह गुप्ता ने राष्ट्रीय आंदोलन में राजनीतिक सेवाओं के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी योगदान दिया. जंगल सत्याग्रह के दौरान वे 50 रुपये जुर्माना देकर 6 महीने की सजा काटकर जेल से मुक्त हुए थे.नवम्बर 1933 में जब गांधी जी दुर्ग दौरे पर आए तो घनश्याम सिंह गुप्ता के निवास का भी रुख किया था.संविधान सभा के सदस्य के तौर पर उन्होंने संविधान की हिन्दी शब्दावली पर अहम योगदान दिया था.

बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल: बैरिस्टर छेदीलाल का जन्म 1886 में बिलासपुर के अकलतरा में हुआ.इनके पिता ठाकुर पचकोड़ सिंह थे.बिलासपुर अंचल में जागृति के लिए रामलीला मंच से राष्ट्रीय रामायण का अभिनव प्रयोग किया.बैरिस्टर छेदीलाल ने ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई पूरी की थी.1932 ई. में असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण 2500 रुपये अर्थदण्ड भी चुकाना पड़ा था.वे 1946 में संविधान सभा के सदस्य भी रहे.संविधान सभा के सदस्य के तौर पर इनकी अहम भूमिका की वजह हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत पर इनकी पकड़ थी.

यह भी पढ़ें: पर्यावरण और जलवायु संरक्षण की दिशा में काम करने वाले भारतीयों के बारे में जानिए

रामप्रसाद पोटाई:कांकेर के गांव कन्हारपुरी के रहने वाले रामप्रसाद पोटाई संविधान सभा के सदस्य थे.उन्हें रियासत के प्रतिनिधि के तौर पर चुना गया था.उन्होंने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए संविधान में आवाज उठाई थी.1950 में वे कांग्रेस की ओर से सांसद मनोनीत हुए थे.वे भानुप्रतापपुर के विधायक भी रहे.कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत भारतीय समस्या के निराकरण के लिए भी चुने गए थे.रामप्रसाद पोटाई के साथ किशोरी मोहन त्रिपाठी ने मध्य प्रांत की रियासतों के विलीनीकरण की मांग 'मेमोरेंडम' सरदार पटेल को सौंपा था.

पंडित किशोरी मोहन त्रिपाठी: रायगढ़ निवासी पं. किशोरी मोहन त्रिपाठी भी भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे.इनका जन्म 8 नवंबर 1912 को तत्कालीन सारंगढ़ रियासत के एक छोटे से गांव सरिया में एक शिक्षक परिवार में हुआ था. वे संविधान सभा की ड्रॉफ्टिंग कमेटी के भी सदस्य थे. बालश्रम को रोकने और गांधी के ग्राम स्वराज के अनुरूप पंचायती राज स्थापना जैसे विषयों को शामिल करने में पं. किशोरी मोहन त्रिपाठी की अहम भूमिका रही है.संविधान की मूल प्रति में संविधान सभा के अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ पं. किशोरी मोहन त्रिपाठी के भी हस्ताक्षर हैं.1950 में जब वे सांसद बने तब वे 37 साल के थे. उस वक्त वे सबसे युवा सांसदों में से एक थे.

रायपुर: 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता कहा जाता है. छत्तीसगढ़ के माटीपुत्रों ने भी संविधान को तैयार कराने में अहम भूमिका निभाई थी. जिनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. गणतंत्र दिवस के अवसर पर हम उन्हीं महान विभूतियों को नमन कर रहे हैं.

संविधान निर्माण में अहम भूमिका: छत्तीसगढ़ से संविधान निर्माण परिषद में पंडित रविशंकर शुक्ल, डॉक्टर छेदीलाल बैरिस्टर, घनश्याम सिंह शुक्ल, राजघराने से रघुराज सिंहदेव समेत कई अन्य लोगों की अहम भूमिका रही. छत्तीसगढ़ की रियासती जनता का प्रतिनिधित्व करने के लिए पं. किशोरी मोहन त्रिपाठी, कांकेर के रामप्रसाद पोटाई निर्वाचित किए गए.

घनश्याम सिंह गुप्ता:घनश्याम सिंह गुप्ता का जन्म 22 दिसंबर 1885 में दुर्ग में हुआ.घनश्याम ने 1906 में जबलपुर के राबर्टसन कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की. उन्हें गोल्ड मेडल से भी सम्मानित किया गया.1908 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की थी.संविधान सभा के सदस्य घनश्याम सिंह गुप्ता ने राष्ट्रीय आंदोलन में राजनीतिक सेवाओं के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी योगदान दिया. जंगल सत्याग्रह के दौरान वे 50 रुपये जुर्माना देकर 6 महीने की सजा काटकर जेल से मुक्त हुए थे.नवम्बर 1933 में जब गांधी जी दुर्ग दौरे पर आए तो घनश्याम सिंह गुप्ता के निवास का भी रुख किया था.संविधान सभा के सदस्य के तौर पर उन्होंने संविधान की हिन्दी शब्दावली पर अहम योगदान दिया था.

बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल: बैरिस्टर छेदीलाल का जन्म 1886 में बिलासपुर के अकलतरा में हुआ.इनके पिता ठाकुर पचकोड़ सिंह थे.बिलासपुर अंचल में जागृति के लिए रामलीला मंच से राष्ट्रीय रामायण का अभिनव प्रयोग किया.बैरिस्टर छेदीलाल ने ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई पूरी की थी.1932 ई. में असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण 2500 रुपये अर्थदण्ड भी चुकाना पड़ा था.वे 1946 में संविधान सभा के सदस्य भी रहे.संविधान सभा के सदस्य के तौर पर इनकी अहम भूमिका की वजह हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत पर इनकी पकड़ थी.

यह भी पढ़ें: पर्यावरण और जलवायु संरक्षण की दिशा में काम करने वाले भारतीयों के बारे में जानिए

रामप्रसाद पोटाई:कांकेर के गांव कन्हारपुरी के रहने वाले रामप्रसाद पोटाई संविधान सभा के सदस्य थे.उन्हें रियासत के प्रतिनिधि के तौर पर चुना गया था.उन्होंने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए संविधान में आवाज उठाई थी.1950 में वे कांग्रेस की ओर से सांसद मनोनीत हुए थे.वे भानुप्रतापपुर के विधायक भी रहे.कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत भारतीय समस्या के निराकरण के लिए भी चुने गए थे.रामप्रसाद पोटाई के साथ किशोरी मोहन त्रिपाठी ने मध्य प्रांत की रियासतों के विलीनीकरण की मांग 'मेमोरेंडम' सरदार पटेल को सौंपा था.

पंडित किशोरी मोहन त्रिपाठी: रायगढ़ निवासी पं. किशोरी मोहन त्रिपाठी भी भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे.इनका जन्म 8 नवंबर 1912 को तत्कालीन सारंगढ़ रियासत के एक छोटे से गांव सरिया में एक शिक्षक परिवार में हुआ था. वे संविधान सभा की ड्रॉफ्टिंग कमेटी के भी सदस्य थे. बालश्रम को रोकने और गांधी के ग्राम स्वराज के अनुरूप पंचायती राज स्थापना जैसे विषयों को शामिल करने में पं. किशोरी मोहन त्रिपाठी की अहम भूमिका रही है.संविधान की मूल प्रति में संविधान सभा के अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ पं. किशोरी मोहन त्रिपाठी के भी हस्ताक्षर हैं.1950 में जब वे सांसद बने तब वे 37 साल के थे. उस वक्त वे सबसे युवा सांसदों में से एक थे.

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.