रायपुर: छत्तीसगढ़ में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की कार्यप्रणाली शुरू से ही सवालों के घेरे में रही है. झीरम नक्सली हमले को लेकर NIA की जांच लगभग 7 साल हो जाने के बावजूद पूरी नहीं हो सकी है. NIA की ओर से हाल ही में झीरम नक्सली हमले में शामिल नक्सलियों का पोस्टर जारी किया गया है. इन पर इनाम भी घोषित किया गया है.
NIA ने हर पहलुओं की जांच नहीं की: शैलेश
नक्सलियों पर इनाम घोषित किए जाने और पोस्टर जारी करने को लेकर कांग्रेस ने भी NIA को आड़े हाथों लिया है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने बताया कि मामले की जांच जब NIA को सौंपी गई थी ये आशा थी कि NIA पूरे मामले की जांच करके इस मामले के षड्यंत्र को भी बेनकाब करेगी. NIA ने अपने फाइनल रिपोर्ट में साजिश के पहलुओं की जांच ही नहीं की. जिन लोगों से पूछताछ की और जिसके शामिल होने के सबूत थे उनकी गिरफ्तारी नहीं की और रिपोर्ट जमा कर दी.
'सवालिया निशान खड़े कर रहे पोस्टर'
शैलेश ने बताया कि जब इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ के कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की तब NIA ने पोस्टर चिपकाना शुरू किया. इतने दिनों तक NIA इस मामले में क्या कर रही थी और आज दिखावे के लिए पोस्टर चिपकाए हैं. शैलेश ने कहा कि NIA की जांच में रमन सरकार के दौरान नोडल अधिकारी ने बाधा डाली और अब इतने सालों बाद पोस्टर चिपकाने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
NIA ने किया नक्सलियों पर इनाम घोषित
बता दें कि बस्तर के कई इलाकों में नक्सलियों की गिरफ्तारी के लिए पोस्टर वार छिड़ा है. झीरम घाटी हत्याकांड में शामिल नक्सलियों की सूची जारी कर NIA ने उन पर 50000 से 7 लाख तक का इनाम घोषित किया है. जंगलों में चस्पा किए जा रहे पोस्टरों पर NIA ने यह भी दावा किया है कि सूचना देने वालों का नाम गोपनीय रखा जाएगा.