रायपुर: केंद्र और राज्य में पदोन्नति में आरक्षण (reservation in promotion) मामले को लेकर छत्तीसगढ़ सोशल जस्टिस एंड लीगल फाउंडेशन (सोजलिफ) के प्रतिनिधिमंडल रायपुर पहुंचा हुआ है. इस प्रतिनिधिमंडल ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया (state in-charge PL Punia) पूर्व प्रभारी बीके हरिप्रसाद से मुलाकात की. यह मुलाकात इन दोनों के दिल्ली स्थित निवास पर हुई. मुलाकात के दौरान 117वां संविधान संशोधन विधेयक 2012 लोकसभा में पारित करवाने और छत्तीसगढ़ राज्य में पदोन्नति में आरक्षण बहाली को लेकर चर्चा की गई.
कोर मेंबर विनोद कुमार कोसले ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के एम नागराज के फैसले 2006 और उत्तर प्रदेश मामले के 2012 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद निर्बाध रूप से अनुसूचित जाति जनजाति वर्गों को पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने 117वां संविधान संशोधन बिल 2012 लाया गया. यह बिल पूर्ण बहुमत से राज्यसभा में पारित हो गया लेकिन 9 साल बीत जाने के बाद भी आज तक बिल लोकसभा में प्रस्तुत नहीं किया गया है. इस मामले को लोकसभा और राज्यसभा (Lok Sabha and Rajya Sabha) में उठाने के लिए अन्य अनुसूचित जाति और जनजाति वर्गो के सांसदों से दिल्ली में मुलाकात की.
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पीएल पुनिया और हरि प्रसाद ने छत्तीसगढ़ में एससी-एसटी को पदोन्नति में आरक्षण विस्तार करने के लिए अपनी बात रखी. सुप्रीम कोर्ट के शर्तों के अनुसार गठित क्वांटिफायर डेटा कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर परिणामी वरिष्ठता सहित पदोन्नति में विस्तारल से एक्ट पारित करने के लिए मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ से पहल करने बात रखी है.
कोर मेंबर शैलेश ने पीएल पुनिया और हरिप्रसाद को बताया कि पिछले डेढ़ साल से मुख्यमंत्री से अनुसूचित जाति जनजाति वर्गों के अधिकारी कर्मचारी, सामाजिक संगठन प्रमुख आवेदन निवेदन करते आ रहे हैं. लेकिन अभी तक सकारात्मक जवाब नहीं मिला है, जबकि कमेटी डेटा एकत्र कर चुकी है.
राज्य सरकार चाहे तो 10 दिन में रिपोर्ट के आधार पर बिल को कैबिनेट में पास करके बिलासपुर हाईकोर्ट में जवाब फाइल कर पदोन्नति में आरक्षण बहाल कर सकती है. लेकिन बार-बार पत्र व्यवहार मुलाकात के बावजूद मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति-जनजाति वर्गो के हितों के संरक्षण में फैसले लेने में लेटलतीफी कर रही है.
वर्तमान सरकार की आधी से अधिक सीटों पर निर्वाचित जनप्रतिनिधि अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग से है. बहुसंख्यक अनुसूचित जाति और जनजाति वर्गों की हितों की अनदेखी करना उनके संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है. दिल्ली में मुलाकात के लिए प्रतिनिधिमंडल में विनोद कुमार, शैलेश, दिलेश्वर और लोकेश कुमार शामिल रहे. इस बात की जानकारी छतीसगढ़ सोशल जस्टिस एंड लीगल फॉउंडेशन के स्टेट कोर मेंबर विनोद कुमार कोसले ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी.