रायपुर : कांग्रेस ने बीजेपी के पीएससी परीक्षा में चहेतों को सीट बांटने के आरोप का गुरुवार को जवाब दिया है. कांग्रेस ने रमन शासन काल में हुई भर्तियों की चयनित सूची जारी करके बीजेपी पर हमला बोला है. कांग्रेस ने पूर्व सीएम रमन सिंह के पीएससी को लेकर लगाए गए आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. बीजेपी और डॉ. रमन सिंह ने ये आरोप लगाए हैं कि पीएससी में नेताओं, अधिकारियों, व्यवसायियों के बच्चों का चयन हुआ है. कांग्रेस के मुताबिक रमन सिंह को इस बात की चिंता है कि पीएससी में सगे भाई बहन और पति पत्नी का चयन कैसे हो गया है.
कांग्रेस ने जारी की सूची : कांग्रेस ने बीजेपी के आरोपों का जवाब देने के लिए पीएससी परीक्षा में चयनित हुए पूर्व के अभ्यर्थियों की सूची जारी की है.जिसमें कई नेता और अफसरों के रिश्तेदारों के नाम है. कांग्रेस के मुताबिक सूची जारी करने का मकसद सिर्फ ये है कि पहले भी प्रशासनिक अफसरों, नेताओं और व्यवसायियों के रिश्तेदारों का चयन पीएससी में होता रहा है. लेकिन किसी का किसी नेता या अधिकारी का रिश्तेदार होना उसकी अयोग्यता नहीं हो जाती है. कांग्रेस ने चयनित 21420 अभ्यर्थियों की सूची भी दिखाई है. इसमें साफ है कि अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में कितने नंबर मिले और लिखित में कितने नंबर मिले.
कांग्रेस के बीजेपी पर आरोप : कांग्रेस ने रमन सिंह पर आरोप लगाए हैं कि रमन सिंह के पिछले डेढ़ दशक के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ व्यवसायिक परीक्षा मंडल भ्रष्टाचार और अनियमितता का अड्डा बन चुका था. प्रदेश की जनता अभी भूली नहीं है पीएमटी परीक्षा के प्रश्न पत्र रमन राज में 2011 में बाजारों में बिके थे. भाजपा का नेता मुंगेली में पीएमटी परीक्षा में सामूहिक नकल करवाते पकड़ाया था. देश के किसी भी व्यवसायिक परीक्षा मंडल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक ही परीक्षा को एक वर्ष में चार बार करने की नौबत आयी हो. छत्तीसगढ़ में तो तीन बार परीक्षाएं उसी परीक्षा नियंत्रक के देख-रेख में आयोजित की गयी जो प्रथम दृष्टया दो बार परीक्षा की गड़बड़ी के लिये दोषी था.
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अफसर की नियुक्ति पर रमन सिंह को घेरा : कांग्रेस ने पूर्व में व्यापमं कंट्रोलर की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए हैं. व्यावसायिक परीक्षा मंडल में तत्कालीन नियंत्रक वीपी त्रिपाठी की नियुक्ति किसके इशारे पर की गयी? त्रिपाठी की नियुक्ति के लिये जो नोटशीट सरकारी महकमे में चली थी उसमें तत्कालीन मुख्य सचिव शिवराज सिंह ने त्रिपाठी के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी किए जाने और उसकी नियुक्ति किए जाने को अनुचित बताया था. इसके बाद भी मुख्यमंत्री ने क्यों त्रिपाठी की नियुक्ति का अनुमोदन किया था. पीएमटी परीक्षा की गड़बड़ियों के तार तत्कालीन सत्ता शीर्ष के करीबियों तक जब जुड़ने लगे तो अपनो को बचाने इस कांड की जांच को बंद करवा दिया गया. दोषियों को भी बख्श दिया गया था. इस तरह के आरोप लगाकर अब कांग्रेस पीएससी के मामले को ठंडा करने की कोशिश कर रही है. लेकिन यदि बीजेपी के शासन में गड़बड़ियां हुईं तो क्या कांग्रेस भी उसी नक्शे कदम में चल रही है. ये तो फिलहाल जांच का विषय है.