रायपुर : बस्तर के आदिवासी वोट बैंक पर अब बीजेपी की नजर है. भाजपा प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी आज से तीन दिवसीय बस्तर प्रवास पर रहेंगी, जहां वे 3 दिन बस्तर में ही रुककर स्थानीय नेताओं से मुलाकात करेंगी. भाजपा की राजनीतिक जमीनी हकीकत जानेंगी. खास बात यह है कि इस बार बस्तर प्रवास के दौरान उनके साथ छत्तीसगढ़ भाजपा का कोई भी बड़ा नेता नहीं होगा. पुरंदेश्वरी का यह निर्णय चौंकाने वाला है, जो छत्तीसगढ़ की राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. आखिर क्या वजह है कि पुरंदेश्वरी ने भाजपा के स्थानीय बड़े नेताओं को बस्तर नहीं बुलाया.
यूं तो छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को करीब पौने 2 साल का समय बचा है, बावजूद इसके अभी से ही आदिवासी वोट पर प्रदेश के दोनों प्रमुख दलों की नजरें हैं. छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटें हैं. जिसमें से 29 सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है प्रदेश में 32 फीसदी वोटर आदिवासी हैं. ऐसे में प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी का फोकस इन आदिवासी वोट बैंक की ओर ज्यादा नजर आ रहा है. प्रदेश में 15 सालों तक भाजपा की सरकार रही. बावजूद इसके साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में आदिवासियों की 29 सीटों में से महज 2 सीटें ही भाजपा को मिली हैं. बाकी की 27 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए समीकरण अभी से तैयार किए जा रहे हैं, ताकि आदिवासी वोटर्स के सहारे बीजेपी की नैया पार लग सके.
बस्तर रहा है कांग्रेस का गढ़
बस्तर संभाग के अंतर्गत 12 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. यदि साल 2013 में विधानसभा चुनाव परिणाम की बात की जाए तो बीजेपी को महज 4 सीटें मिली थीं. जबकि कांग्रेस के खाते में 8 सीटें आई थीं. इसके पहले साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 11 और कांग्रेस को एक सीट मिली थी. साल 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 9 और कांग्रेस को 3 सीटें मिली थीं.
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों में से 11 पर कांग्रेस का कब्जा रहा. एक सीट ही भाजपा की झोली में आई थी. भाजपा के जीतने वाले उम्मीदवार भीमा मंडावी थे, जिन्होंने दंतेवाड़ा से जीत हासिल की थी. हालांकि बाद में लोकसभा चुनाव 2019 के पहले उनकी हत्या कर दी गई और यह सीट खाली हो गई. इसके बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ है, जिसपर कांग्रेस ने जीत हासिल की. इस सीट से देवती कर्मा को विधायक चुना गया और अब बस्तर संभाग की 12 में से 12 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है.
बस्तर में हैं 12 सीटें, सभी पर कांग्रेस काबिज
बस्तर संभाग कांग्रेस का गढ़ माना जा रहा है. इस बार यहां की 12 विधानसभा सीटों में से 12 सीटें पर कांग्रेस काबिज है. आखिर ऐसी क्या वजह है कि बस्तर में भाजपा अपनी पैठ जमाने में अब तक नाकाम रही. 15 साल सत्ता में रहने के बाद भी बस्तर में कांग्रेस की पैठ को भेद नहीं पाई है. यह भाजपा के लिए चिंता का विषय है और यही कारण है कि बस्तर पैठ जमा चुके कांग्रेस को उखड़ने अब भाजपा प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी अपने तीन दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ पहुंची हैं.
भाजपा नया नेतृत्व खोज रही : भूपेश बघेल
डी पुरंदेश्वरी द्वारा छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान छत्तीसगढ़ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को बस्तर न बुलाए जाने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि इससे बिल्कुल स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी नया नेतृत्व खोज रही है. पुराने जो लोग हैं, उसको दरकिनार करना चाहती है. उनके साथ इतने सालों तक रहे इस तरीके का अपमान उनकी पार्टी के द्वारा किया जा रहा है, यह तो बहुत ही चिंतनीय है.
नगरीय निकाय चुनाव में मिली हार से पुरंदेश्वरी हैं नाराज : अमरजीत
इस विषय पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को करारी हार मिली है. जिस वजह से प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी नाराज चल रही हैं. और यही वजह है कि बस्तर प्रवास के दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को नहीं बुलाया है.
छत्तीसगढ़ में स्थापित लीडरशिप की उपेक्षा : रविंद्र चौबे
मंत्री रविंद्र चौबे ने भी कहा है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा का जो स्थापित लीडरशिप है, उसकी केंद्रीय नेतृत्व द्वारा उपेक्षा की जा रही है. चाहे फिर डी पुरंदेश्वरी हो या फिर नितिन गडकरी. पुरंदेश्वरी ने अपने बस्तर प्रवास के दौरान छत्तीसगढ़ भाजपा के किसी भी पंक्ति के किसी भी नेता को आमंत्रित नहीं किया है, इसे खुद पार्टी के नेताओं को समझना चाहिए.
पुरंदेश्वरी के प्रवास से कांग्रेस में दहशत : कौशिक
वहीं नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि पुरंदेश्वरी के बस्तर प्रवास को लेकर कांग्रेस में दहशत व्याप्त है. न जाने क्यों जब भी भाजपा प्रदेश प्रभारी का छत्तीसगढ़ प्रवास होता है तो उस दौरान कांग्रेस दहशत में आ जाती है. पुरंदेश्वरी के दौरे से कांग्रेस अंदर से घबराई हुई है.
बस्तर में जमीन तलाशने में जुटी भाजपा : रामअवतार
वहीं राजनीति के जानकार रामअवतार तिवारी का मानना है कि भाजपा बस्तर में जमीन तलाशने में जुट गई है. 15 साल सत्ता में रहने के बाद जिस तरह का प्रभाव बस्तर में बनाना था, वह बनाने में भाजपा नाकाम रही है. तिवारी ने बताया कि इस दौरान सबसे अलग बात यह रही कि पुरंदेश्वरी ने बड़े नेताओं को दरकिनार करते हुए बस्तर के स्थानीय नेताओं को तवज्जो दी है, जिसे भाजपा के लिए एक संदेश माना जाए.
बहरहाल बस्तर में अपनी जमीन तलाश रही भाजपा के लिए डी पुरंदेश्वरी का यह दौरा कितना कारगर साबित होगा, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा. लेकिन या जरूर है कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व कहीं न कहीं छत्तीसगढ़ के प्रथम पंक्ति के नेताओं को शायद तवज्जो नहीं दे रहा है. जो भाजपा के उन नेताओं के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.