रायपुर: 15 साल बाद सत्ता में वापसी करते ही कांग्रेस के तेवर बदले नजर आ रहे हैं. पार्टी ने प्रदेश के 22 जिलों में अपना जिला स्तरीय कार्यालय बनाने का फैसला लिया है. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के मौके पर एक साथ 22 जिलों में पार्टी कार्यालय के लिए शिलान्यास भी कर दिया गया है. एक साथ इतने कार्यालय खोले जाने के पीछे आखिर पार्टी की क्या मंशा है.
शायद, कांग्रेस को लगने लगा है कि जिला स्तर पर पार्टी की खुद का कार्यालय हो. इससे ज्यादा मजबूती से संगठन के कामकाज और चुनावी रणनीति को अमल में लाने पर काम किया जा सकता है.
छत्तीसगढ़ के 22 जिलों में बनने वाले कार्यालय में जिला अध्यक्ष के साथ ही प्रभारी महामंत्री सभी मोर्चा संगठन के जिला अध्यक्षों के लिए कक्ष होंगे. सभी भवनों में बैठकों के लिए अलग कमरे बनाए जाएंगे. पहले या दूसरे मंजिल पर सभाओं के लिए भी व्यवस्था होगी. सभी कार्यालय संचार के आधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे. वीआईपी मूवमेंट से लेकर कार्यकर्ताओं की सुविधाओं का भी खास तौर पर ध्यान रखा जाएगा, जिन जिलों में कांग्रेस के नए कार्यालय का निर्माण होना है. वहां 4800 से लेकर 5000 वर्ग फीट की जमीन शासकीय दर पर ली गई है. सभी कार्यालय की बनावट लगभग एक जैसी होगी. खास तौर पर कार्यालय के बाहरी हिस्से की डिजाइन में किसी तरह क्या बदलाव नहीं किया जाएगा. कार्यालय का बाहरी हिस्सा प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन के आकार का बनाया जाएगा.
कार्यकर्ताओं और नेताओं के सहयोग से बनेगा भवन
कांग्रेस कार्यालय के लिए लगभग 22 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान है. इसके लिए कार्यकर्ताओं से सहयोग देने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है, जिसमें कार्यकर्ता 50 रुपये से लेकर अधिक से अधिक राशि सहयोग के रूप में पार्टी को दे सकते हैं, क्योंकि कार्यालय का निर्माण जन सहयोग से किया जाना है. इसके लिए सभी जिलों में जिला अध्यक्षों और विधायकों के माध्यम से कूपन भेज दिया गया है. इन्हीं कूपन में 50 रुपये से लेकर लाखों की राशि दान के स्वरूप में ली जाएगी. विधायकों और जिला अध्यक्षों के साथ स्थानीय स्तर पर सक्रिय कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और प्रदेश पदाधिकारियों का भी राशि जुटाने की जिम्मेदारी दी गई है.
2023-24 के चुनाव इन्हीं कार्यालयों से होंगे संचालित
पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भी यह संकेत भी दे दिए हैं कि आने वाले समय में 2023-24 के विधानसभा और लोकसभा चुनाव इन्हीं कार्यालयों से संचालित किए जाएंगे. पार्टी के खुद के भवन निर्माण के बाद हाईटेक टेक्नोलॉजी जैसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग इलेक्शन वाररूम, प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल जैसी सुविधाओं से लैस किया जाएगा. इससे जिला स्तर और भविष्य में ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ता भी पार्टी के बड़े नेताओं से जुड़ पाएंगे, जिससे रणनीति बनाने, निचले स्तर पर लागू करने और उसकी मॉनिटरिंग करने में पार्टी को सहूलियत होगी.
जिला स्तर पर पार्टी का बढ़ेगा रुतबा
जाहिर सी बात है जिला स्तर पर आधुनिक ऑफिस निर्माण से जिला स्तर पर राजनीति करने वाले पार्टी के नेताओं का रुतबा भी इससे बढेगा. साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को पार्टी से जुड़ने में भी मदद मिलेगी. इसके अलावा संगठन के नेताओं का यह भी कहना है कि इस तरह आधुनिक कार्यालय खुलने से आम आदमी अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए संगठन के नेताओं से भी संपर्क कर सकेंगे, जिससे कि आम आदमी की बात सरकार तक आसानी से पहुंच सकेगी. इससे आम जनता की नब्ज भी संगठन के पास रहेगी और चुनावी समय में इसको पार्टी अपने पक्ष में भुना भी सकती है.
कॉर्पोरेट कल्चर को मिलेगा बढ़ावा !
अक्सर कांग्रेस भाजपा पर कॉर्पोरेट कल्चर को बढ़ावा देने का आरोप लगाती रही है. कांग्रेस नेता अक्सर यह कहते थे कि भाजपा पांच सितारा कल्चर और उद्योगपति बड़े कारोबारियों की पार्टी है, जबकि खुद को आम आदमी और किसान, ग्रामीणों के हक की बात करने वाली पार्टी बताती रही है. पिछले 15 वर्षों में प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा ने तमाम जिलों में अपना खुद का भवन निर्माण कराया है. संगठन स्तर पर इससे काफी लाभ भी भाजपा को मिला है. इसके चलते भी कहीं न कहीं निचले स्तरों पर कांग्रेस के नेता खुद को उपेक्षित महसूस करते थे, लेकिन अब इसे दूर करने के लिए कांग्रेस भी भाजपा की तर्ज पर जिला स्तरों पर खुद के कार्यालय डिवेलप करने जा रही है.
कांग्रेस पार्टी के कार्यालय काफी पुराने और जर्जर हो चुके थे
वरिष्ठ पत्रकार अनिल द्विवेदी का कहना है कि कांग्रेस काफी पुरानी पार्टी है और उसे कार्यालय भी काफी पुराने और जर्जर हो चुके थे. ऐसे में पार्टी को नए कार्यालय की आवश्यकता महसूस हो रही थी. यही वजह है कि उनके द्वारा सभी जिलों में कांग्रेस भवन का निर्माण कराया जा रहा है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कहीं न कहीं बीजेपी के द्वारा बनाए गए पार्टी कार्यालयों को देखते हुए भी कांग्रेस ने यह कदम उठाया है, क्योंकि आज के समय में सभी कार्यालय आधुनिक संसाधनों से लैस और सर्व सुविधा युक्त होने चाहिए इससे पार्टी को काम करने में काफी सहूलियत होती है.
'भाजपा का प्रदेश कार्यालय किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं'
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि कांग्रेस भाजपा की तर्ज पर अपने कार्यालयों का निर्माण नहीं करा रही है. उन्होंने बताया कि भाजपा का प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं है. यहां पर वे सारी सुविधाएं हैं, जो फाइव स्टार होटल में मौजूद रहती है, लेकिन हमारे कार्यालय ऐसे नहीं बनेंगे, क्योंकि कांग्रेस पार्टी गरीबों और किसानों की पार्टी है. यही कारण है कि यह कार्यालय काफी छोटे स्वरूप में होंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस के कार्यालय में जमीन आसमान का अंतर है.
कांग्रेस इतनी बड़ी राशि की व्यवस्था कहां से की ?
वहीं शिलान्यास को लेकर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि यह कांग्रेस द्वारा प्रशासन तंत्र के दुरुपयोग का जीवंत प्रमाण है. इतने कम अवधि में सारे जिलों में राजस्व के सारी प्रक्रिया को पूरा करके शासकीय जमीन रियात दर पर प्राप्त करना है. उस पर भूमि पूजन करना यह जांच का विषय है, उपासने ने कहा कि कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी पर कार्यालय बनाने के पूर्व में आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने 15 साल में राजस्व की सारी प्रक्रिया को पूरा करने, सारी आपत्तियों का निराकरण के बाद पार्टी कार्यालयों का निर्माण कराया है. आज भी कई जिलों में कार्यालय की प्रक्रिया लंबित है. उपासने ने कहा कि उपासे का यह भी कहना है कि कांग्रेस ने इतने कम समय में इन जिलों में बनने वाले कार्यालयों के लिए इतनी बड़ी राशि की व्यवस्था कहां से की. इसकी जांच होनी चाहिए.
कांग्रेस को नए कार्यालयों से कितना मिलेगा लाभ ?
बहरहाल, कांग्रेस ने प्रदेश के 22 जिलों में कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. पार्टी की ओर से इस बात के भी संकेत दिए गए हैं कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव इन्हीं कार्यालयों से संचालित होंगे. अब देखने वाली बात है कि आने वाले समय में कांग्रेस को इन कार्यालयों का कितना लाभ मिलता है या फिर बीजेपी की तरह कांग्रेस भी चुनाव में बुरी तरह हार का मुंह देखेगी, क्योंकि भाजपा के द्वारा नए प्रदेश कार्यालय से चुनाव लड़ने के बाद पार्टी को बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा है.