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सरकारनामा : एक साल बाद नरवा, गरवा... योजना की पड़ताल, गौठान से कितना हुआ फायदा

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Published : Dec 16, 2019, 9:23 PM IST

बघेल सरकार जोर शोर से नरवा, गरवा, घुरुवा और बाड़ी योजना को बढ़ावा देने का काम कर रही है. इसके लिए सरकार ने छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी - नरवा, गरवा, घुरुवा अउ बारी -ऐला बचाना हे संगवारी का मंत्र भी दिया है, लेकिन 1 साल बीत जाने के बाद इस योजना की हकीकत क्या है. इसकी पड़ताल में कई अहम खुलासे हुए हैं.

sarkarnama bhupesh on gauthan
सरकार के एक साल पर जानिए गौठान का हाल

रायपुर: बघेल सरकार की महती योजना नरवा,गरवा, घुरुवा और बारी से आम लोगों को कितना फायदा हो रहा है और गौठान की हालत कैसी है. भूपेश सरकार ने एक साल पहले इस योजना की शुरुआत की थी. एक साल पूरे होने के मौके पर ETV भारत ने इस योजना का जायजा लिया. हमारे संवाददाता गौठान की पड़ताल करने राजधानी रायपुर से 30 किलोमीटर दूर आरंग के जरौद गांव पहुंचे.

सरकार के एक साल पर जानिए गौठान का हाल

आरंग के जरौद में गौठान का जायजा
ETV भारत संवाददाता आरंग के जरौद गांव में पहुंचे और गौठान का जायजा लिया. यहां हालात बेहद खराब थे. गौठान में व्यवस्थाएं दम तोड़ रही थी. न तो चारे की व्यवस्था थी और न तो पानी की व्यवस्था थी. गायों की तुलना में उन्हें रखने के लिए बनाए गए शेड अधूरे पड़े थे. बारी को लेकर भी काम पूरा नहीं हुआ था. जरौद के गौठान से गांव के लोग भी नाखुश नजर आए. उन्होंने योजना की तो तारीफ की, लेकिन योजना के संचालन को लेकर सवाल खड़े किए.

फरफौद गांव के गौठान में सुविधाएं संतोषजनक
ETV भारत संवाददाता आरंग के फरफौद गांव भी पहुंचे, यहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं नजर आई. गौठान में कर्मचारी काम करते दिखे. यहां गायों के लिए पर्यापत चारा उपलब्ध था. साथ ही पानी की व्यवस्था भी अच्छी थी. लेकिन गायों के रहने के लिए बनाए गया शेड छोटा था. इस गौठान में लगभग 200 की संख्यां में गायों को रखा गया था. गांव के सरपंच से जब इस बारे में बात की गई ,तो उन्होंने इसके लिए सरकार की नीतियों में हो रही बदलाव को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने मांग की की ऐसी योजनाओं को सफल बनाने के लिए एक स्थाई नीति की जरूरत है.

पढ़ें- ETV भारत की मेगा कवरेज 'नगर सरकार' का बड़ा असर, बीजेपी प्रत्याशी पर हुई कार्रवाई

भोथली गांव के गौठान का हाल
जब हमारी टीम भोथली गांव पहुंच, तो वहां हालात ठीक दिखे, लेकिन व्यवस्था सही ढंग से नहीं की गई थी. गौठान के बगल में ही बाड़ी का निर्माण कराया जा रहा था. जिसकी देखरेख स्व सहायता समूह की महिलाएं कर रही थी. लेकिन जो पानी की व्यवस्था है उसका लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा था. बाड़ी के विकास के लिए जो चीजें सरपंच से मांगी जाती है वह भी उन्हें नहीं मिल पाता है. उनका कहना था कि बीते 7 महीने से उन्हें बारी से कोई लाभ नहीं मिल पाया है. गौठान में काम करने वाले कर्मचारियों से बात की गई, तो उनका कहना था कि उन्हें बीते 3 महीने से वेतन नहीं मिला है.

ETV भारत की इस पड़ताल में ये देखा गया कि इस योजना के तहत अभी और काम की जरूरत है ताकि इसका उदेश्य पूरा हो सके. बीते 1 साल में सरकार ने सभी मंचों से इस योजना की खासियत बताई. लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी इसका कोई लाभ नहीं मिल पाया है.

रायपुर: बघेल सरकार की महती योजना नरवा,गरवा, घुरुवा और बारी से आम लोगों को कितना फायदा हो रहा है और गौठान की हालत कैसी है. भूपेश सरकार ने एक साल पहले इस योजना की शुरुआत की थी. एक साल पूरे होने के मौके पर ETV भारत ने इस योजना का जायजा लिया. हमारे संवाददाता गौठान की पड़ताल करने राजधानी रायपुर से 30 किलोमीटर दूर आरंग के जरौद गांव पहुंचे.

सरकार के एक साल पर जानिए गौठान का हाल

आरंग के जरौद में गौठान का जायजा
ETV भारत संवाददाता आरंग के जरौद गांव में पहुंचे और गौठान का जायजा लिया. यहां हालात बेहद खराब थे. गौठान में व्यवस्थाएं दम तोड़ रही थी. न तो चारे की व्यवस्था थी और न तो पानी की व्यवस्था थी. गायों की तुलना में उन्हें रखने के लिए बनाए गए शेड अधूरे पड़े थे. बारी को लेकर भी काम पूरा नहीं हुआ था. जरौद के गौठान से गांव के लोग भी नाखुश नजर आए. उन्होंने योजना की तो तारीफ की, लेकिन योजना के संचालन को लेकर सवाल खड़े किए.

फरफौद गांव के गौठान में सुविधाएं संतोषजनक
ETV भारत संवाददाता आरंग के फरफौद गांव भी पहुंचे, यहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं नजर आई. गौठान में कर्मचारी काम करते दिखे. यहां गायों के लिए पर्यापत चारा उपलब्ध था. साथ ही पानी की व्यवस्था भी अच्छी थी. लेकिन गायों के रहने के लिए बनाए गया शेड छोटा था. इस गौठान में लगभग 200 की संख्यां में गायों को रखा गया था. गांव के सरपंच से जब इस बारे में बात की गई ,तो उन्होंने इसके लिए सरकार की नीतियों में हो रही बदलाव को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने मांग की की ऐसी योजनाओं को सफल बनाने के लिए एक स्थाई नीति की जरूरत है.

पढ़ें- ETV भारत की मेगा कवरेज 'नगर सरकार' का बड़ा असर, बीजेपी प्रत्याशी पर हुई कार्रवाई

भोथली गांव के गौठान का हाल
जब हमारी टीम भोथली गांव पहुंच, तो वहां हालात ठीक दिखे, लेकिन व्यवस्था सही ढंग से नहीं की गई थी. गौठान के बगल में ही बाड़ी का निर्माण कराया जा रहा था. जिसकी देखरेख स्व सहायता समूह की महिलाएं कर रही थी. लेकिन जो पानी की व्यवस्था है उसका लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा था. बाड़ी के विकास के लिए जो चीजें सरपंच से मांगी जाती है वह भी उन्हें नहीं मिल पाता है. उनका कहना था कि बीते 7 महीने से उन्हें बारी से कोई लाभ नहीं मिल पाया है. गौठान में काम करने वाले कर्मचारियों से बात की गई, तो उनका कहना था कि उन्हें बीते 3 महीने से वेतन नहीं मिला है.

ETV भारत की इस पड़ताल में ये देखा गया कि इस योजना के तहत अभी और काम की जरूरत है ताकि इसका उदेश्य पूरा हो सके. बीते 1 साल में सरकार ने सभी मंचों से इस योजना की खासियत बताई. लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी इसका कोई लाभ नहीं मिल पाया है.

Intro:छत्तीसगढ़ सरकार की सबसे महती योजना नरवा गरवा घुरवा अब बारी दरअसल यह शब्द पहले नारे के तौर पर कांग्रेस पार्टी ने इस्तेमाल किया जिसका साफ संदेश दिया था अगर छत्तीसगढ़ को विकसित करना है तो सबसे पहले गांव का विकास जरूरी है। यह चारों ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दूरी है जो आज बिल्कुल चरमराई हुई नजर आती है इन्हीं में सुधार लाने और इन्हें विकसित करने के लिए किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने इस योजना का आगाज किया 1 साल के भीतर इस योजना ने कितनी रफ्तार पकड़ी आज इसके तहत बनाए गए गठान और गाड़ियों की क्या स्थिति है। इसकी पड़ताल हमने ग्रामीण इलाकों का दौरा करके की


ओपनिग पिटीसी


Body:वही रास्ते में जाते वक्त सड़कों में आवारा मवेशी है घूमते नजर आए... विजुअल


सीन 1

ग्राम जरौद , विकासखण्ड आरंग

यहां जाकर जब हमने पड़ताल की तो गठन में पानी के लिए व्यवस्था बनाई गई थी लेकिन वहां पानी ही नहीं था। साथी गठान में किसी प्रकार से चारा भी मौजूद नहीं था।। गायों की संख्या आधार में पर्याप्त शैड छोटा था।। बारी को लेकर किसी प्रकार का सफलता पूर्वक काम नज़र नही आया।।



सीन 2

ग्राम फरफौद विकास खण्ड आरंग


इसके बाद हम ग्राम पंचायत पर फरफौद की ओर निकले , वहां निर्मित गठन में जाकर जब देखा वहां पर्याप्त मात्रा में गायों के लिए चारा उपलब्ध था ।साथ ही पानी की व्यवस्था अच्छी थी, गौठान में एक गाय ने बछड़े को भी जन्म दिया था।। गौठान में गायों की संख्या लगभग 200 के करीब थी लेकिन उनके लिए पर्याप्त शर्ड नही था। मौजूदा शर्ड का निर्माण छोटा था।
गांव के सरपंच से इस विषय मे बात की गई तो उनका कहना था कि कहां की कोई भी कार्य चरणबद्ध तरीके से होता है लेकिन इस योजना में प्रबंधन व्यवस्था सही नहीं है। एक बार में कोई भी कार्य जमीनी स्तर पर आ जाएगा ऐसा नहीं हो सकता।। वह इस योजना को लेकर बार-बार नीति और विचार बदले जाते हैं कई बार मचान बनाने के लिए कहा जाता है तो कई बार शेड निर्माण के लिए कहा जाता है।। सरपंच ने दुख जाहिर करते हुए कहा
सरकार की नीति है कि गौठान बने। लेकिन सरकार की योजना है कि वह आचार्य खट्टा हो ताकि पशु को भरपेट चारा मिले। वही अभी इसके लिए कोई लेबर बजट नहीं है अगर इस काम को करना है तो शासन को इस पर खुली नीति बनाना चाहिए।
अगर त्वरित तरीके से इस पर ध्यान नहीं दिया गया और काम नहीं किया गया तो सरकार की महत्वाकांक्षी योजना विफल हो जाएगी।।


बाइट

हिम्मत चंद्राकर
सरपंच ग्राम फरफौद


सीन 3

ग्राम भोथली , विकासखण्ड आरंग
ईटीवी भारत की टीम भोथली गांव पहुंची जहां गोटन में जाकर देखा गया तो गठान में पानी की पर्याप्त व्यवस्था थी वही गाय के चारा उपलब्ध था लेकिन उसकी व्यवस्था सही ढंग से नहीं की गई थी। गठान के बगल में ही बाड़ी निर्माण के लिए स्व सहायता समूह को दिया गया था वही स्व सहायता समूह के सदस्यों ने बताया कि उन्हें बाड़ी का काम तो दिया गया है वह पिछले 7 महीनों से इस पर काम कर रही है लेकिन जो पानी की व्यवस्था है उसका लाभ में नहीं दे पा रही है कुछ जरूरत की चीजें सरपंच से मांगी जाती है तो वह भी नहीं दे पाते। पिछले 7 महीनों से वे काम कर रही है लेकिन अभी तक उन्हें एक बार भी बारी से कोई लाभ प्राप्त नहीं हुआ है। स्व सहायता समूह की सदस्यों ने बताया कि सरकार की यह योजना बेहद अच्छी है लेकिन जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस योजना का सही लाभ नहीं मिल पा रहा है।। गठान में काम करने वाले व्यक्ति से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह इस पर काम कर रहे हैं लेकिन पिछले 3 महीनों से उनका वेतन नहीं दिया गया है उन्हें ₹5000 मासिक वेतन के तौर पर रखा गया है लेकिन 3 महीने का पैसा मांगने के बाद भी बात टाली जा रही है।।।
गांव के स्थानीय से बात की गई

सरकार की यह योजना तो ठीक है लेकिन योजना का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है ना ही गौठान में में चारा की व्यवस्था पर्याप्त, गरवा की भी कोई देखरेख नहीं हो रही है, नहीं गठान को एक बेहतर ढंग से काम करेंगे तो यह अच्छा होगा अभी यह आधा अधूरा है, वही इस काम से जनता भी खुश नहीं है।।


Conclusion:ईटीवी भारत की टीम सरकार की इस योजना की जमीनी पड़ताल के लिए आरंग विकास खण्ड के तीन गाव का दौरा किया हमने यह पाया कि सरकार की महत्वपूर्ण योजना का जमीनी स्तर पर कोई बेहतर क्रियान्वयन नज़र नही आ रहा है।।

कहीं पानी की व्यवस्था नहीं है तो कहीं पर्याप्त मात्रा में चारा उपलब्ध नहीं है तो कहीं गाय के रहने के लिए पर्याप्त शर्ट का निर्माण नहीं किया गया है घोटालों में वृक्षारोपण करना था लेकिन सभी को उठाने में एक भी वृक्ष का रोपण नहीं किया गया। पिछले 1 सालों में सरकार ने इस योजना को लेकर सभी मंचों से घोषणाएं तो की लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है ऐसे में सरकार को घोटालों को बेहतर बनाने के लिए सही तरीके से कार्यों का क्रियान्वयन करना आवश्यक है तभी यह योजना बेहतर और सफल हो पाएगी।।

नोट

सभी शाट ,बाइट को सीरियल के हिसाब से जमा दिया गया है कुछ शॉट अलग से फाइल बनाकर भेजे है।


सिद्धार्थ श्रीवासन
ईटीवी भारत रायपुर
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