रायपुर: बघेल सरकार की महती योजना नरवा,गरवा, घुरुवा और बारी से आम लोगों को कितना फायदा हो रहा है और गौठान की हालत कैसी है. भूपेश सरकार ने एक साल पहले इस योजना की शुरुआत की थी. एक साल पूरे होने के मौके पर ETV भारत ने इस योजना का जायजा लिया. हमारे संवाददाता गौठान की पड़ताल करने राजधानी रायपुर से 30 किलोमीटर दूर आरंग के जरौद गांव पहुंचे.
आरंग के जरौद में गौठान का जायजा
ETV भारत संवाददाता आरंग के जरौद गांव में पहुंचे और गौठान का जायजा लिया. यहां हालात बेहद खराब थे. गौठान में व्यवस्थाएं दम तोड़ रही थी. न तो चारे की व्यवस्था थी और न तो पानी की व्यवस्था थी. गायों की तुलना में उन्हें रखने के लिए बनाए गए शेड अधूरे पड़े थे. बारी को लेकर भी काम पूरा नहीं हुआ था. जरौद के गौठान से गांव के लोग भी नाखुश नजर आए. उन्होंने योजना की तो तारीफ की, लेकिन योजना के संचालन को लेकर सवाल खड़े किए.
फरफौद गांव के गौठान में सुविधाएं संतोषजनक
ETV भारत संवाददाता आरंग के फरफौद गांव भी पहुंचे, यहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं नजर आई. गौठान में कर्मचारी काम करते दिखे. यहां गायों के लिए पर्यापत चारा उपलब्ध था. साथ ही पानी की व्यवस्था भी अच्छी थी. लेकिन गायों के रहने के लिए बनाए गया शेड छोटा था. इस गौठान में लगभग 200 की संख्यां में गायों को रखा गया था. गांव के सरपंच से जब इस बारे में बात की गई ,तो उन्होंने इसके लिए सरकार की नीतियों में हो रही बदलाव को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने मांग की की ऐसी योजनाओं को सफल बनाने के लिए एक स्थाई नीति की जरूरत है.
पढ़ें- ETV भारत की मेगा कवरेज 'नगर सरकार' का बड़ा असर, बीजेपी प्रत्याशी पर हुई कार्रवाई
भोथली गांव के गौठान का हाल
जब हमारी टीम भोथली गांव पहुंच, तो वहां हालात ठीक दिखे, लेकिन व्यवस्था सही ढंग से नहीं की गई थी. गौठान के बगल में ही बाड़ी का निर्माण कराया जा रहा था. जिसकी देखरेख स्व सहायता समूह की महिलाएं कर रही थी. लेकिन जो पानी की व्यवस्था है उसका लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा था. बाड़ी के विकास के लिए जो चीजें सरपंच से मांगी जाती है वह भी उन्हें नहीं मिल पाता है. उनका कहना था कि बीते 7 महीने से उन्हें बारी से कोई लाभ नहीं मिल पाया है. गौठान में काम करने वाले कर्मचारियों से बात की गई, तो उनका कहना था कि उन्हें बीते 3 महीने से वेतन नहीं मिला है.
ETV भारत की इस पड़ताल में ये देखा गया कि इस योजना के तहत अभी और काम की जरूरत है ताकि इसका उदेश्य पूरा हो सके. बीते 1 साल में सरकार ने सभी मंचों से इस योजना की खासियत बताई. लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी इसका कोई लाभ नहीं मिल पाया है.