रायपुर: भारत में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने हाहाकार मचा रखा है. बढ़ते कोरोना संक्रमण और जेलों में कैदियों की बड़ी संख्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जेलों में भीड़ कम की जाए. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य पिछले साल जारी निर्देश का पालन करें. जिन कैदियों को पिछले साल छोड़ा था, उनकी फिर अंतरिम रिहाई हो. जिनको पेरोल मिली थी, उन्हें फिर 90 दिन के लिए छोड़ा जाए. कोर्ट ने इसके साथ ही ये भी साफ किया है कि बहुत जरूरी मामलों में ही गिरफ्तारी होनी चाहिए. इसके अलावा उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नियुक्त कमेटी से कहा है कि नए कैदी जो सशर्त रिहाई की योग्यता रखते हैं, उनकी रिहाई पर भी विचार हो.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी आदेश का पालन करते हुए अब छत्तीसगढ़ के जेलों में बंद कैदियों को भी पैरोल और अंतरिम जमानत पर छोड़ने का निर्णय लिया गया है. हाईकोर्ट जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में हुई हाई पावर कमेटी की मीटिंग में यह फैसला लिया गया है. इस मीटिंग में कमेटी के सदस्य ACS सुब्रत साहू, डीआईजी जेल केके गुप्ता उपस्थित मौजूद रहे. छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की अंडर सेकेट्री श्वेता श्रीवास्तव के मुताबिक गुरुवार को पहले चरण में लगभग 3 हजार के आस-पास कैदियों की रिहाई हो सकती है.
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करीब 100 कैदी संक्रमित, 5 की मौत
तिहाड़ समेत देश की कई जिलों में कैदियों के कोरोना संक्रमित होने और मौत के मामले सामने आ चुके हैं. छत्तीसगढ़ में कुल 33 जेल हैं. जेल डीआईजी के के गुप्ता ने बताया कि प्रदेश की जेलों में कोरोना की दूसरी लहर के बीच 1 मई 2021 तक लगभग 100 करोना संक्रमित बंदी सामने आ चुके हैं. जिनका लगातार उपचार किया गया. उन्होंने बताया कि रायपुर केंद्रीय जेल में जनवरी से लेकर 11 मई तक 21 बंदी कोरोना संक्रमित हुए थे, जो पूरी तरह ठीक हो चुके हैं. फिलहाल रायपुर जेल में कोई भी कोरोना संक्रमित नहीं है.
डीआईजी गुप्ता के अनुसार कोरोना के दूसरे लहर के बीच 5 बंदियों की अब तक मौत हो चुकी है. जिन 5 बंदियों की मौत हुई है उसमें दो दुर्ग, एक अंबिकापुर और दो रायपुर के बंदी शामिल हैं. डीआईजी ने बताया कि प्रदेश की विभिन्न जेलों में लगभग 18 हजार 500 बंदी हैं. यह बंदी प्रदेश की जेलों की क्षमता से थोड़े अधिक हैं. रायपुर जेल में भी लगभग 3000 से ज्यादा कैदी हैं.
ये हैं गाइडलाइन्स
जेल डीआईजी बताते हैं कि कोराना संक्रमित कैदियों का ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के तहत किया गया है. कोरोना गाइड लाइन के अनुसार प्रदेश की जेलों में व्यवस्थाएं की गई हैं. जेलों में नए आने वाले बंदियों का सबसे पहले कोरोना टेस्ट कराया जाता है. उसके बाद उन्हें 14-14 दिन अलग-अलग बैरक में रखा जाता है. 14 दिन के बाद उन्हें जेल में अन्य बंदियों के साथ रखा जाता है.
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'पिछले साल पैरोल पर छूटे कुछ कैदी नहीं लौटे'
गुप्ता ने बताया कि पिछले साल कोरोना संक्रमण के दौरान जेलों में बंदियों की संख्या कम करने कई बंदियों को पैरोल पर छोड़ा गया था, जो जनवरी में वापस आ गए थे. अभी भी कुछ बंदी वापस जेल नहीं पहुंचे हैं, जिनके खिलाफ जेल प्रशासन की ओर से आगे की कार्रवाई की जा रही है.
कोविड-19 महामारी के चलते पिछले साल छत्तीसगढ़ की जेलों से 20 हजार से ज्यादा बंदियों को सशर्त रिहा किया गया था. आइए आंकड़ों पर नजर डालते हैं कि छत्तीसगढ़ की जेलों से कितने कैदी किस वर्ग से और किन शर्तों के आधार पर छोड़ गए हैं ?
26/03/20 से 15/11/20 तक के आंकड़े-
अंतरिम जमानत पर रिहा | 2,698 |
नियमित जमानत पर रिहा | 15,718 |
जिला मजिस्ट्रेट के द्वारा छुट्टी | 444 |
जेल मुख्यालय द्वारा पैरोल | 851 |
राज्य सरकार द्वारा सजा माफ | 148 |
सजा पूरी करने वाले कैदी | 280 |
कुल रिहा किए गए कैदी | 20,139 |
जेल में बंद कैदी | 17,000 लगभग |