रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज विश्व आदिवासी दिवस पर प्रदेशवासियों को विशेषकर आदिवासी समाज के लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ जनजाति बाहुल्य प्रदेश है. जनजातियों की प्राचीन कला और संस्कृति यहां की अनमोल धरोहर है. छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों की प्राचीनतम विरासत और संस्कृति को सहेजते हुए, उनके विकास और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए संकल्पित है.
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#विश्व_आदिवासी_दिवस पर आदिवासी समाज सहित सभी प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) August 9, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
हम छत्तीसगढ़ के लोग भाग्यशाली हैं जो हमारे प्रदेश में 32% आदिवासी समाज के रूप में एक गौरवशाली इतिहास, एक समृद्ध भाषा और एक अद्भुत संस्कृति यहाँ हमारा गौरव बढ़ाती है।
जय आदिवासी!
जय छत्तीसगढ़ pic.twitter.com/BtKpVT3aXY
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हम छत्तीसगढ़ के लोग भाग्यशाली हैं जो हमारे प्रदेश में 32% आदिवासी समाज के रूप में एक गौरवशाली इतिहास, एक समृद्ध भाषा और एक अद्भुत संस्कृति यहाँ हमारा गौरव बढ़ाती है।
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हम छत्तीसगढ़ के लोग भाग्यशाली हैं जो हमारे प्रदेश में 32% आदिवासी समाज के रूप में एक गौरवशाली इतिहास, एक समृद्ध भाषा और एक अद्भुत संस्कृति यहाँ हमारा गौरव बढ़ाती है।
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सीएम ने कहा कि हमारी कोशिश है कि प्रकृति के करीब जीवन जीने वाली यहां की 32 प्रतिशत आदिवासी जनता को सभी जरूरी सुविधाएं और आगे बढ़ने के सभी साधन उपलब्ध कराएं. बघेल ने कहा कि जनजातियों के विकास और हित को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने बीते डेढ़ साल में कई अहम फैसले लिए हैं. लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की 4 हजार 200 एकड़ जमीन की वापसी, जेलों में बंद आदिवासियों के मामलों की समीक्षा के लिए समिति का गठन, जिला खनिज न्यास के पैसों से आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार का फैसला, बस्तर और सरगुजा में कर्मचारी चयन बोर्ड की स्थापना और यहां आदिवासी विकास प्राधिकरणों में स्थानीय अध्यक्ष की नियुक्ति से आदिवासी समाज के लिए बेहतर काम करने की कोशिशें जारी हैं.
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चिंता दूर करने की कोशिश: सीएम
भूपेश ने कहा कि 'मुझे खुशी है कि हमने तेजी से आदिवासियों के हितों के लिए फैसले लिए हैं. इन फैसलों से उनका जीवन सरल हो सका है. हमने वन अधिकार पट्टों के जरिए हजारों आदिवासियों को जमीन का अधिकार देकर उन्हें आवास, और आजीविका की चिंता दूर करने की कोशिश की है. हमारी कोशिश है कि सरकार की योजनांए सीधे आदिवासियों तक पहुंचे. साथ ही ये भी कोशिश की जा रही है कि जल, जंगल और जमीन को लेकर उनकी चिंता दूर हो सके.'
आदिवासी महोत्सव से मिली पहचान: सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत को नया आयाम देने के लिए हमने कई कदम उठाए हैं. हमने छत्तीसगढ़ में विश्व आदिवासी दिवस पर सामान्य अवकाश घोषित किया. प्रदेश में पहली बार राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का आयोजन राजधानी रायपुर में किया. आयोजन से आदिवासी प्राचीन संस्कृति और कला को विश्वपटल पर एक नई पहचान मिली है.